आजकल के डिजिटल युग में, ऑनलाइन शॉपिंग हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गई है। खासकर युवाओं में, यह एक सामान्य गतिविधि से बढ़कर एक आदत या लत का रूप ले रही है। जर्मनी के हैनोवर मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं के अनुसार, बायिंग शॉपिंग डिसऑर्डर (BSD) को एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के रूप में देखा जा रहा है। उनकी रिसर्च में पाया गया कि विकसित देशों में लगभग 5 प्रतिशत लोग इस विकार से प्रभावित हैं, जिसमें से प्रत्येक 20 में से 1 व्यक्ति इससे पीड़ित है। यह लत न केवल आर्थिक समस्याओं को जन्म देती है, बल्कि मानसिक और सामाजिक चुनौतियों का भी कारण बनती है। कई बार, व्यक्ति तनाव, अकेलापन या अवसाद से निपटने के लिए शॉपिंग का सहारा लेते हैं, जिससे यह एक अस्थायी राहत का माध्यम बन जाता है। हालांकि, यह राहत स्थायी नहीं होती और व्यक्ति एक चक्र में फंस जाता है, जहां शॉपिंग की लत और ज्यादा बढ़ जाती है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है, बल्कि व्यक्तिगत संबंधों में भी खटास आ सकती है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम इस बढ़ती हुई समस्या को समझें और इसके प्रभावों के प्रति जागरूक हों, ताकि समय रहते सही कदम उठाए जा सकें। इस लेख में हम जानेंगे युवाओं में बढ़ते शॉपिंग एडिक्शन के कारण और इससे बचने के उपाय। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
शॉपिंग एडिक्शन के कारण- Causes of Shopping Addiction Among Youth
- कई लोग तनाव, अवसाद या अकेलेपन से निपटने के लिए शॉपिंग का सहारा लेते हैं। यह उन्हें अस्थायी खुशी या संतुष्टि देता है, लेकिन यह लत का रूप ले सकती है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगातार विज्ञापनों और प्रमोशन्स के संपर्क में रहने से युवाओं में शॉपिंग की इच्छा बढ़ती है। आकर्षक ऑफर्स और डिस्काउंट्स उन्हें गैर-जरूरी खरीदारी के लिए प्रेरित करते हैं।
- दोस्तों और साथियों के बीच प्रतिस्पर्धा या उनके समान दिखने की चाहत भी ज्यादा शॉपिंग एडिक्शन (Shopping Addiction) का कारण बन सकती है।
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शॉपिंग एडिक्शन का मानसिक सेहत पर असर- How Shopping Addiction Affects Mental Health
- खरीदारी के दौरान डोपामिन (खुशी देने वाला हार्मोन) बढ़ता है, लेकिन बाद में गैर-जरूरी खर्च का एहसास होने पर गिल्ट और स्ट्रेस बढ़ जाता है।
- जरूरत से ज्यादा शॉपिंग करने से आर्थिक तनाव बढ़ता है, जिससे व्यक्ति चिंता (एंग्जाइटी) और तनाव महसूस कर सकता है।
- कुछ लोग अपनी भावनाओं (जैसे अकेलापन, उदासी) को दबाने के लिए खरीदारी करने लगते हैं, जिससे यह एक साइकोलॉजिकल डिपेंडेंसी बन सकती है।
- जरूरत से ज्यादा खर्च और लगातार खरीदारी करने से परिवार या पार्टनर के साथ बहस और रिश्तों में तनाव आ सकता है।
शॉपिंग एडिक्शन से बचाव के उपाय- How to Prevent Shopping Addiction
ट्रिगर्स को पहचानें और अवॉइड करें
साइकोलॉजिस्ट सलाह देते हैं कि उन परिस्थितियों को पहचानें, जो आपको गैर-जरूरी खरीदारी की ओर धकेलती हैं। जैसे- बोरियत, अकेलापन या स्ट्रेस। जब ऐसा महसूस हो, तो ध्यान भटकाने के लिए कोई और एक्टिविटी करें।
जरूरत और इच्छा में फर्क करें
हर खरीदारी से पहले खुद से पूछें कि 'क्या यह मेरी जरूरत है या सिर्फ इच्छा?' अगर यह सिर्फ इच्छा है, तो इसे तुरंत खरीदने की बजाय कुछ दिन रुककर सोचें।
डिजिटल शॉपिंग पर रोक लगाएं
ऑनलाइन शॉपिंग से बचने के लिए अनावश्यक शॉपिंग ऐप्स को फोन से डिलीट करें और डिस्काउंट या सेल के नोटिफिकेशन को बंद कर दें।
बिहेवियरल थेरेपी लें
अगर शॉपिंग एडिक्शन आपकी जिंदगी और फाइनेंशियल हेल्थ पर बुरा असर डाल रहा है, तो कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) का सहारा लें। यह थेरेपी इम्पल्स कंट्रोल सुधारने और सोचने के तरीके को बदलने में मदद करती है।
शॉपिंग की लत एक गंभीर समस्या है जो युवाओं के जीवन को कई तरीकों से प्रभावित कर सकती है। संतुलित जीवनशैली और स्वयं के प्रति जागरूकता से हम इस लत से बच सकते हैं।
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