आजकल के वर्किंग कल्चर, टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल, एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ और काम के बढ़ते दबाव के कारण लोगों की दिनचर्या पूरी तरह बदल चुकी है। ऑफिस में लंबे समय तक काम करना, देर रात तक लैपटॉप या मोबाइल स्क्रीन से चिपके रहना और वर्क फ्रॉम होम की वजह से दिनभर ऑफिस का काम करने जैसी आदतें लोगों के स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव डाल रही हैं। इस बदलते वर्किंग कल्चर के कारण कुछ लोगों के पास पर्याप्त नींद लेने का समय भी नहीं बचता है। आज के समय में, चाहे कॉर्पोरेट सेक्टर हो, स्टार्टअप कल्चर हो या फिर कोई अन्य प्रोफेशन, हर जगह लोगों से ज्यादा कार्य क्षमता और निरंतर उपलब्ध रहने की अपेक्षा की जाती है। देर रात तक काम करना और सुबह जल्दी उठकर फिर से उसी दौड़ में शामिल हो जाना एक आम बात हो गई है। खासकर युवा पीढ़ी, जो अपने करियर को लेकर बेहद गंभीर है, वह अपनी नींद और स्वास्थ्य से समझौता कर रही है। इस लेख में गुरुग्राम के फोर्टिस हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डायरेक्टर और चीफ ऑफ न्यूरोलॉजी डॉ. प्रवीण गुप्ता (Dr. Praveen Gupta, Principal Director & Chief of Neurology, Fortis Hospital) से जानिए, क्या नींद मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है?
नींद हमारे मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है? - Does Sleep Affect Your Mental Health
डॉ. प्रवीण गुप्ता बताते हैं कि नींद का असर न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त और अच्छी क्वालिटी वाली नींद बहुत जरूरी है। हालांकि, आजकल की तेज-तर्रार जिंदगी, तनावपूर्ण वर्किंग कल्चर और सोशल मीडिया के प्रभाव से नींद से संबंधित समस्याएं बढ़ रही हैं। इन समस्याओं का असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है और यह कई मानसिक विकारों का कारण बन सकता है।
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नींद और मानसिक स्वास्थ्य का संबंध - What Is The Connection Between Sleep And Mental Health
चिंता, डिप्रेशन, तनाव और भावनात्मक असंतुलन अक्सर नींद की कमी से जुड़ी समस्याएं हैं। यदि किसी व्यक्ति को रात को सही से नींद नहीं मिलती, तो इसका सीधा प्रभाव उसके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। नींद की कमी से दिमाग की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिससे व्यक्ति के मूड, सोचने की क्षमता और उसकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है।
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नींद की कमी से होने वाली मानसिक समस्याएं - What Mental Illnesses Can Lack Of Sleep Cause
1. चिंता - Anxiety
जब शरीर को सही नींद नहीं मिलती, तो यह चिंता के लक्षणों को बढ़ा सकता है। शरीर के अंदर कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है, जो मानसिक शांति को प्रभावित करता है। लगातार नींद की कमी चिंता और घबराहट को जन्म दे सकती है।
2. अवसाद - Depression
नींद की कमी अवसाद यानी डिप्रेशन का एक प्रमुख कारण बन सकती है। जब व्यक्ति ठीक से सोता नहीं है, तो उसका दिमाग सही तरीके से कार्य नहीं कर पाता, जिससे भावनात्मक असंतुलन और अवसाद का अनुभव हो सकता है। अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति को अक्सर नींद में कठिनाई होती है, और यह चक्र बढ़ता ही जाता है।
3. मानसिक थकान - Mental Fatigue
पर्याप्त नींद की कमी से मानसिक थकान हो सकती है, जिससे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। मानसिक थकान के कारण व्यक्ति का मस्तिष्क सही तरीके से काम नहीं कर पाता, जिससे निर्णय लेने में परेशानी और मूड स्विंग्स हो सकते हैं।
अगर रात में नींद ना आए तो क्या करना चाहिए? - what to do when you can't sleep at night
यदि आप मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना चाहते हैं तो अपनी दिनचर्या को संतुलित रखना जरूरी है। नियमित समय पर सोने और जागने की आदत डालें, ताकि आपका शरीर और मस्तिष्क दोनों नियमित नींद के आदी हो सकें। शांति और अंधेरे में सोना मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। कमरे का तापमान, शांति और अंधेरा नींद की क्वालिटी को बेहतर बना सकते हैं। अपने बिस्तर को आरामदायक बनाए रखें और मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रहें। ध्यान, योग और गहरी सांस लेना मानसिक शांति को बढ़ावा दे सकता है।
निष्कर्ष
नींद का मानसिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। नींद की कमी मानसिक विकारों को जन्म दे सकती है। यदि आप नींद से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप जल्दी ही डॉक्टर से सलाह लें और लाइफस्टाइल में सुधार करें। बैलेंस डाइट, फिजिकल एक्टिविटी और मानसिक शांति से आप मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और नींद की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं।
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