Tulsi Leaf Impact on Liver Harmful Side Effects : तुलसी की पत्तियों को आयुर्वेदिक औषधि कहा गया है। कई तरह की आयुर्वेदिक दवाओं, काढ़े और तेल में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का इस्तेमाल भारतीय घरों में भी बहुत बड़ी मात्रा में किया जाता है। सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियां होने पर तुलसी के पत्तों की चाय, तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने की सलाह दी जाती है। औषधीय गुणों के कारण ही कोरोना महामारी के दौरान भी तुलसी के पत्तों का सेवन भरपूर मात्रा में किया गया।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि तुलसी के पत्तों का सेवन आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है? तुलसी के पत्ते लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं? तुलसी के पत्ते लिवर को कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं इसके लिए हमने डाइटिशियन सिमरन सैनी से बातचीत की।
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क्या लिवर के लिए नुकसानदायक हैं तुलसी के पत्ते? - Is Tulsi Leaf Harmful to The Liver?
तुलसी की पत्तियों में यूजेनॉल पाया जाता है। यूजेनॉल का थोड़ी मात्रा में सेवन किया जाए तो ये शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकालने और शरीर की इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाने में मदद कर सकती है। लेकिन तुलसी की पत्तियों में पाए जाने वाले यूजेनॉल का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए तो ये कई बीमारियों का कारण बन सकती है। डाइटिशियन का कहना है कि तुलसी की पत्तियों का अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी, दस्त, हार्ट बीट्स का तेज होना जैसी समस्या हो सकती है। तुलसी की पत्तियों में पाया जाने वाले यूजेनॉल लिवर को डैमेज कर सकता है।
तुलसी के साइड इफेक्ट्स- Side Effects of Tulsi in Hindi
पाचन संबंधी समस्याएं
तुलसी के पत्तों की तासीर गर्म होती है। ऐसे में अगर तुलसी की चाय, काढ़े का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो ये पाचन संबंधी समस्याएं जैसे पेट में जलन, सूजन की समस्या हो सकती है।
स्पर्म काउंट पर डालता है नेगेटिव इफेक्ट
अगर कोई पुरुष अधिक मात्रा में तुलसी का सेवन करता है तो इससे उनकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है। तुलसी पर हुई कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि पुरुष अगर इसका सेवन करें तो स्पर्म काउंट में कमी आती है।
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गर्भवती महिलाओं के लिए है नुकसानदायक
गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। तुलसी में मौजूद यूजेनॉल गर्भाशय के संकुचन का कारण बन सकता है। गर्भाशय के संकुचन के कारण ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है, जिससे गर्भ में पलने वाले बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है।
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