ड्रग्स की लत छोड़ फैमिली बिजनेस संभालने वाले इस लड़के की कहानी करेगी इंस्पायर, जानें कैसे छूटी ये बुरी लत

अगर आप भी ऐसे किसी नशे की लत से जूझ रहे हैं तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें। नशे की आर्टिफिशियल खुशी को छोड़कर असली खुशी को अपनाएं।
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ड्रग्स की लत छोड़ फैमिली बिजनेस संभालने वाले इस लड़के की कहानी करेगी इंस्पायर, जानें कैसे छूटी ये बुरी लत


‘’मैं सुबह 11 बजे से ड्रग्स लेना शुरू करता था और रात 8 बजे तक लेता था। फिर रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक ड्रग्स लेता था। अगली सुबह फिर 11 बजे से ड्रग्स लेना शुरू कर देता था। लेकिन अब मैं ड्रग्स की उस नकली दुनिया से बाहर निकल आया हूं और पापा का बिजनेस संभाल रहा हूं। ’’ ये कहना है दिल्ली के रहने वाले आदित्य (बदला हुआ नाम) का। 22 साल के आदित्य ने अपनी चार साल की ड्रग लेने की लत को 6 महीने में दूर किया है। इस हद तक ड्रग लेने की लत को कोई इतनी जल्दी कैसे छोड़ सकता है? यह सवाल आपके मन भी होगा। लेकिन आदित्य जैसे लोग बाकियों के लिए प्रेरणा हैं कि कोई भी लत इच्छाशक्ति और सही निर्देशन से छोड़ी जा सकती है। आदित्य ने ओन्लीमाईहेल्थ को अपना यह निजी अनुभव शेयर किया। आगे हम डॉक्टर से भी जानेंगे कि इस लत को कैसे छोड़ा जाए और किसी को नशे की लत लगती क्यों है।

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आदित्य कहते हैं कि जब वे 18 साल के थे तब स्कूल के दोस्तों के साथ उन्हें यह लत लगी थी। वे स्कूल जाकर दोस्तों के साथ ड्रग लेते थे। आदित्य बताते हैं कि शुरू-शुरू में उन्होंने ड्रग लेना मजे-मजे में शुरू किया था लेकिन ये लत कब बन गई पता ही नहीं चला। 

आदित्य कहते हैं कि मैं हमेशा सोचता था कि ड्रग की लत बुरी नहीं होती। इससे किसी का नुकसान नहीं होता। लेकिन जब मैंने देखा कि मेरा व्यवहार चिड़चिड़ा होता जा रहा था। मैं दोस्तों से छोटी-छोटी बातों पर लड़ने लगा था। घर में मम्मी-पापा पर गुस्सा करता था। मेरी गर्लफ्रेंड मुझे छोड़कर चली गई। जिंदगी में करना क्या है, कुछ भी तय नहीं कर पा रहा था। कुछ काम नहीं करता था। सिर्फ ड्रग्स लेता था। 

एक समय तो ऐसा आया कि घर में छुप-छुपकर ड्रग्स लेने शुरू कर दिए। आदित्य बताते हैं कि जब जिंदगी में से सबकुछ जाने लगा था, तब लगा कि कुछ गलत हो रहा है मेरे साथ। फिर अहसास हुआ कि मेरी ड्रग लेने की लत की वजह से यह सब हो रहा है। 

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ड्रग्स लेने पर क्या होता है?

आदित्य बताते हैं कि जब तक ड्रग्स नहीं लेता था तब तक गुस्से में रहता था। चिड़चिड़ा रहता था। यहां तक घर वालों पर शक करता था कि कहीं वो मेरे खिलाफ मुझे मारने की साजिश तो नहीं रच रहे हैं। आदित्य बताते हैं कि उनका बिहेवियर एंटी-सोशल हो रहा था। 

वे कहते हैं कि हमें मालूम होता है कि ड्रग लेना गलत है लेकिन जब आपको उसकी लत चुकी होती है तब वो डिसिजन भी नहीं कर पाते कि क्या गलत है और क्या सही है। तो वहीं, टीएमएस माइंडफुल जीके 2 में क्लीनिकल साइकॉलोजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक का कहना है कि जब कोई व्यक्ति नशा शुरू करता है और लंबे समय तक उसका सेवन करता है तो उसका मानसिक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। ऐसे व्यक्ति में साइकोसिस जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों के अलावा तनाव, डिप्रेशन के लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं।  डॉ. प्रज्ञा कहती हैं कि ऐसे लोग जब लंबे समय तक ड्रग लेते हैं तब उनकी डिसिजन मेकिंग पावर भी प्रभावित होती है। जिससे वे सही गलत का फैसला नहीं कर पाते। 

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किसी भी नशे की लत क्यों लगती है?

इस सवाल के जवाब में डॉक्टर प्रज्ञा मलिक ने बताया कि नशे की लत कई कारणों से लग सकती है। जैसे गुस्सा आना, बच्चे की पैरेंटिंग ठीक से न होना, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर आदि। लेकिन इन सभी कारणों में पर्सनैलिटी डिसऑर्डर प्रमुख है। 

वे बताती हैं कि पर्सनैलिटि डिसऑर्डर में एंटी सोशल बिहेवियर भी आता है। एंटी-सोशल बिहेवियर के लोग मैन्युपुलेटिड होते हैं। ये लोग बहुत झूठ बोलते हैं। अपना काम निकलवाने के लिए किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे लोगों में इंपल्सिव बिहेवियर होता है। बिना सोचे समझे कोई भी फैसला ले लेते हैं। ऐसे लोगों को किसी बात का कोई डर नहीं होता। उनके किसी फैसले का दूसरे पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके बारे में नहीं सोचते। इनके अंदर असंतुष्ट गुस्सा रहता है। जिसकी वजह से ये इरिटेट रहते हैं। ऐसे लोग खुद को और दूसरों को दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

ड्रग्स की लत को कैसे छोड़ें?

आदित्य बताते हैं कि मैं हमेशा सोचता था कि मैं कभी ड्रग लेना छोड़ दूंगा लेकिन जब देखा कि मेरी जिंदगी गटर बन गई है। मेरे पास अब कोई नहीं है। तब मैंने छोड़ने की कोशिश की लेकिन नहीं छोड़ पाया। ऐसे वक्त में मेरे माता-पिता ने मेरा साथ दिया और मुझे मनोवैज्ञानिक के पास ले गए। वहां मेरी काउंसलिंग हुई और थैरेपी सेशन हुए और आज मैं 6 महीने में रिकवर कर चुका हूं। आदित्य कहते हैं कि अब मैं दूसरों के साथ अच्छे से बिहेव करता हूं। गुस्सा नहीं करता हूं। ड्रग नहीं लेता हूं। परिवार के साथ रहता हूं और पापा का बिजनेस आगे बढ़ा रहा हूं। 

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डॉक्टर प्रज्ञा मलिक का कहना है कि नशे की लत छोड़ना आसान है। इस नशे से मानसिक बीमारियां पनपती हैं। लेकिन एक समस्या यह भी है कि लोग मरीज को मनोवैज्ञानिक के पास लाना नहीं चाहते क्योंकि उनके लिए काउंसलिंग आज भी एक टैबू है। ऐसे में आदित्य का कहना है कि अगर मेरे माता-पिता काउंसलर के पास नहीं लाते तो शायद मैं ड्रग की लत नहीं छोड़ पाता। डॉक्टर प्रज्ञा का कहना है कि अगर मरीज चाहे तो जितनी जल्दी वो नशा छोड़ना चाहता है उतनी जल्दी छोड़ सकता है, लेकिन इससे बाहर निकलने के लिए उसे परिवार की भी मदद लेनी पड़ती है। डॉक्टर प्रज्ञा ने ड्रग की लत से बाहर निकले के निम्न तरीके बताए-

  • दवाओं की मदद से नशा छोड़ा जा सकता है।
  • साइकोथैरेपी जिसमें सपोर्टिव थैरेपी, मोटिवेशनल थैरेपी, फैमिली थैरेपी आदि आते हैं, इसकी मदद से भी नशे की लत को छोड़ा जा सकता है। यह थैरेपी का काम डॉक्टर करते हैं। इसलिए मरीज को मनोवैज्ञानिक के पास ले जाना जरूरी है।  
  • मरीज की दिनचर्या मेंटेन करके भी नशे की आदत को छोड़ा जा सकता हैा। ऐसे व्यक्ति को उसके पसंद के काम में व्यस्त करना और उसे प्रोडक्टिव बनाना जरूरी है। 
  • अच्छे लोगों से दोस्ती करें। अच्छी दोस्ती कई बीमारियों को दूर कर देती है। 

लोगों से आप क्या कहना चाहेंगे?

आदित्य का कहना है कि जिंदगी बिना ड्रग के भी बहुत सुंदर है। ड्रग की लाइफ आर्टिफिशियल है, वो सुंदर नहीं है। असली खुशी ड्रग छोड़ने के बाद मालूम होती है। अब वे कहते हैं कि अब अगर मैं भरपेट खाना खाता हूं तो मुझे उसकी भी खुशी होती है। अब मैं अपनी मां को हंसाता हूं तो मुझे अच्छा लगता है। अब जिंदगी खुशहाल लगती है। 

अगर आप भी ऐसे किसी नशे की लत से जूझ रहे हैं तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें। नशे की आर्टिफिशियल खुशी को छोड़कर असली खुशी को अपनाएं।

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