
प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) पुरुषों में तेजी से बढ़ती एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। यह कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि में शुरू होता है, जो मूत्राशय के नीचे स्थित एक छोटी ग्रंथि होती है और वीर्य द्रव (Seminal Fluid) का निर्माण करती है। स्टेज 1 प्रोस्टेट कैंसर में ट्यूमर बहुत छोटा होता है और केवल प्रोस्टेट तक सीमित रहता है, यानी यह शरीर के किसी और भाग में नहीं फैलता। यही कारण है कि शुरुआती स्टेज पर यह बीमारी अक्सर बिना लक्षणों के रहती है और नियमित जांच के दौरान ही सामने आती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर प्रोस्टेट कैंसर का पता शुरुआती चरण में चल जाए, तो इसके सफल इलाज की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसीलिए पुरुषों को 50 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से पीएसए टेस्ट और प्रोस्टेट जांच जरूर करवानी चाहिए ताकि कैंसर के किसी भी शुरुआती संकेत को समय रहते पहचाना जा सके। इस लेख में जानेंगे स्टेज 1 प्रोस्टेट कैंसर का इलाज कैसे होता है? इस विषय पर Dr Sudipto De, Consultant, Surgical Oncology & Robotic Surgery At Metro Hospitals, Faridabad, NCR ने अपने इंस्टाग्राम के जरिए लोगों के साथ एक विस्तृत जानकारी वाला वीडियो शेयर किया है, जिससे जुड़ी जरूरी बातें हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे।
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1. सक्रिय निगरानी या नो ट्रीटमेंट अप्रोच- Active Surveillance Or No Treatment Approach
स्टेज 1 प्रोस्टेट कैंसर में कई बार कैंसर बहुत धीरे बढ़ता है और शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैलता। ऐसे में डॉक्टर मरीज को कोई सक्रिय इलाज देने की बजाय उसकी नियमित जांच और निगरानी करते हैं। इसमें एमआरआई, बायोप्सी और अन्य टेस्ट की मदद से कैंसर की ग्रोथ को मॉनिटर किया जाता है। इसमें अनावश्यक सर्जरी या रेडिएशन के साइड इफेक्ट्स से बचाव होता है।
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2. रोबोटिक सर्जरी- Robotic Surgery
- अगर ट्यूमर सीमित क्षेत्र में है, तो डॉक्टर रोबोटिक असिस्टेड लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (RALP) की सलाह देते हैं। इसमें छोटे चीरे के जरिए कैंसर ग्रस्त प्रोस्टेट टिशू को हटाया जाता है।
- इस तकनीक में बहुत कम ब्लीडिंग ही होता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाता है।
- रोबोटिक सर्जरी की सटीकता के कारण कैंसर के दोबारा लौटने का खतरा भी कम रहता है।
3. आईजीआरटी रेडिएशन थेरेपी- IGRT Radiation Therapy
- आईजीआरटी (Image-Guided Radiation Therapy) में हाई-टेक मशीनों की मदद से कैंसर सेल्स को सटीक रूप से निशाना बनाया जाता है।
- यह तकनीक स्वस्थ टिशू को नुकसान पहुंचाए बिना सिर्फ कैंसर ट्यूमर का इलाज करती है।
- इसे उन मरीजों के लिए चुना जाता है, जिनकी सर्जरी संभव नहीं है या जो सर्जरी नहीं करवाना चाहते हैं।
- आईजीआरटी से कैंसर सेल्स धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं और रिकवरी का समय भी कम होता है।
4. हार्मोनल थेरेपी- Hormonal Therapy
- प्रोस्टेट कैंसर की ग्रोथ टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पर निर्भर करती है। इसलिए डॉक्टर हार्मोनल थेरेपी के जरिए शरीर में टेस्टोस्टेरोन का लेवल घटाते हैं।
- यह थेरेपी कैंसर सेल्स की ग्रोथ को धीमा करती है।
- आमतौर पर इसे रेडिएशन के साथ या सर्जरी से पहले दी जाती है ताकि ट्यूमर छोटा किया जा सके।
निष्कर्ष:
स्टेज 1 प्रोस्टेट कैंसर शुरुआती स्टेज पर पूरी तरह काबू में लाया जा सकता है। इसका सही इलाज मरीज की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और कैंसर की प्रकृति पर निर्भर करता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इलाज का तरीका चुनना सबसे बेहतर होता है।
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Current Version
Oct 11, 2025 11:24 IST
Published By : Yashaswi Mathur