रोबोटिक सर्जर शब्द सुनते ही दिमाग में पहला ख्याल यही आता है कि यह कुछ ऐसा है जिसमें डॉक्टर नहीं बल्कि रोबोट सर्जरी करते हैं। लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है। भारत में यह सर्जरी का भविष्य है, वर्तमान में महानगरों सहित टू टियर सिटी में इसके जरिए इलाज हो रहा है। जीनिटो - यूरिनरी सर्जरी (Genito - Urinary Surgery) एक्सपर्ट व रोबोटिक सर्जरी के स्पेशलिस्ट जमशेदपुर के ब्रह्मानंद अस्पताल के साथ कोलकाता के ब्रह्मानंद अस्पताल में कार्यरत डॉ. अभय कुमार बताते हैं कि यह लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का विकसित रूप है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में पेट के अंदर चीरा लगाकर दूरबीन के सहारे सर्जरी की जाती है, इसमें रोबोटिक सर्जरी की तुलना में कलाइयों का बेहतर इस्तेमाल नहीं हो पाता। बल्कि रोबोटिक सर्जरी व रोबोट असिस्टेंट सर्जरी (Robotic surgery or robot-assisted surgery) की मदद से काफी सटीक, नियंत्रण के साथ जटिल ऑपरेशन कर सकते हैं। इसमें जोखिम की संभावनाएं भी काफी कम होती हैं। प्रोस्टेट कैंसर, ब्लैडर कैंसर सहित अन्य के उपचार में इसका काफी बड़ा योगदान है।
क्या है ‘रोबोटिक सर्जरी
डॉ. अभय बताते हैं कि रोबोटिक सर्जरी में रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम की मदद से ऑपरेशन करते हैं। दुनियाभर में द विनसी सिस्टम (Da Vinci system) रोबोटिक मशीन की मदद से उपचार किया जाता है, इस मशीन के फोर्थ जेनरेशन की मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें पहला सर्जन कंसोल (surgeon’s console) होता है, जिसमें देखकर डॉक्टर उपकरणों को हाथों से कंट्रोल कर इलाज करते हैं। दूसरा पेशेंट कार्ट (patient cart) होता है, जो मरीज के स्ट्रेचर के ऊपर मशीन (रोबोट) होते हैं, जिसे सर्जन कंसोल की मदद से कंट्रोल किया जाता है। तीसरा विजन कार्ट (vision cart) होता है, जिसमें देखकर डॉक्टर सर्जरी करते हैं। इन उपकरणों की मदद से जिस प्रकार कलाइयों का इस्तेमाल करते हैं, उतनी ही आसानी से काफी परफेक्शन (सटीकता) के साथ डॉक्टर सर्जरी कर पाते हैं।
सर्जन कंसोल उस जगह को कहते हैं जहां डॉक्टर बैठता है, यहां बैठकर वो देख पाता है कि कैसे सर्जरी करना है और उपकरणों का आसानी से इस्तेमाल कर पाता है। कंसोल की मदद से हाई डेफिनेशन रियल टाइम 3 डी इमेज को डॉक्टर देखते हैं। मरीज को पेशेंट कार्ट पर रखकर इलाज किया जाता है, पेशेंट कार्ट पर उपकरणों में कैमरे भी लगे होते हैं, इसे कैमरा आर्म व मैकेनिकल आर्म (camera arm and mechanical arms) भी कहते हैं। इन आर्म में सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट जुड़े होते हैं। ऑपरेटिंग टेबल पर बैठकर कंप्यूटर कंसोल के सामने सर्जन इन आर्म्स को अपनी जरुरत के अनुसार कंट्रोल करता है। तीसरा विजन कार्ट होता है, जिसमें सर्जिकल साइट को देखकर डॉक्टर ऑपरेशन करते हैं।
टॉप स्टोरीज़
क्यों करते हैं इसका इस्तेमाल
डॉक्टरों के अनुसार यह लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का विकसित रूप है। इसमें जिस प्रकार हम सामान्य तौर पर कलाइयों का इस्तेमाल करते हैं ठीक उसी प्रकार सर्जरी के दौरान भी कलाइयों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे काफी सटीकता के साथ सर्जन ऑपरेशन कर पाते हैं। सामान्य सर्जरी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में इस सर्जरी को करने से घाव कम होता है और संक्रमण का खतरा भी कम होता है।
इसे भी पढ़ें- किन बीमारियों में और कैसे की जाती है लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (दूरबीन विधि)? जानें इस सर्जरी से जुड़ी जरूरी बातें
रोबोटिक सर्जरी के फायदे
- ऑपरेशन करने के लिए छोटा चीरा लगाया जाता है, जिससे बड़े निशान नहीं पड़ते हैं
- मरीज जल्द से जल्द ठीक हो जाता है
- खून का रिसाव कम होने के साथ दर्द कम होता है
- मरीज को कम दवा का सेवन करना पड़ता है, कम समय के लिए सेवन करना पड़ता है
- सर्जिकल साइट इंफेक्शन (surgical site infection) का खतरा कम होता है, जहां सर्जरी की जाती है वहां संक्रमण का खतरा भी कम होता है
- मरीज को अस्पताल में कम दिनों तक रहना पड़ता है, जिससे संक्रमण की संभावना कम होती है
रोबोटिक सर्जरी और प्रोस्टेट का है संबंध
भारतीय मूल के निवासी व वर्तमान में अमेरिका में रह रहे अमेरिकन सर्जन डॉ. मनी मेनन बताते हैं कि रोबोटिक सर्जरी और प्रोस्टेट कैंसर का गहरा संबंध है। बता दें कि इन्हें 10 हजार से भी अधिक रोबोटिक सर्जरी का अनुभव है। डॉ. मनी मेनन को ‘फादर ऑफ रोबोटिक सर्जरी’ भी कहा जाता है, इन्होंने ही भारत में सबसे पहले रोबोटिक सर्जरी को करके दिखाया था। वर्तमान में ये हेनरी फोर्ड हॉस्पिटल डेट्राइट मिशिगन में कार्यरत हैं।
डॉ. अभय बताते हैं कि रोबोटिक प्रोस्टेट सर्जरी के लिए छोटा चीरा लगाया जाता है, इससे मरीज जल्द स्वस्थ हो जाता है। यह पारंपरिक सर्जरी, जिसमें मोटा चीरा लगाकर मरीज का इलाज होता था, उससे काफी आधुनिक है। रोबोटिक सर्जरी में ब्लड वैसल्स और नर्व डैमेज होने की संभावनाएं काफी कम होती हैं। यही वजह है कि इसके बेहतर नतीजे देखने को मिलते हैं।
पहले के समय में किडनी के कैंसर का इलाज करने के लिए किडनी को निकालना पड़ता था और करीब आठ इंच तक मोटा चीरा लगाया जाता था। यह काफी पेचिंदा ऑपरेशन होता था, जो जोखिमों से भरपूर था। लेकिन अब रोबोटिक सर्जरी के जरिए छोटा चीरा लगाकर ही ट्रीटमेंट आसानी से किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत सर्जरी करने से मरीज काफी जल्दी ठीक होता है और रोजमर्रा के काम को आसानी से कर पाता है।
इसे भी पढ़ें-सर्जरी (ऑपरेशन) के बाद क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? जानें डाइट प्लान और जरूरी टिप्स
इन परिस्थितियों में की जाती है रोबोटिक सर्जरी
कई बीमारियों और परिस्थितियों में रोबोटिक सर्जरी को अपनाकर सफलता हासिल की जा चुकी है। कई सर्जरी है जिसमें रोबोटिकल सर्जिकल सिस्टम को अपनाया जाता है, जिनमें
- यूरोलॉजिक सर्जरी (Urologic surgery)
- रोस्टेट कैंसर
- हार्ट सर्जरी
- एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
- सिर व गर्दन की सर्जरी
- कोलोरेक्टल सर्जरी (Colorectal surgery)
- सामान्य सर्जरी
- थोरेसिक सर्जरी (Thoracic surgery)
- गायनेकोलॉजिकल सर्जरी (Gynaecological surgery)
- ओवेरियन कैंसर (ovarian cancer)
- सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer)
- ब्लैडर कैंसर
- किडनी कैंसर
रोबोटिक सर्जरी से जुड़े जोखिम और फायदों पर एक नजर
इस सर्जरी के कई फायदे हैं, जिनमें :
- ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर काफी आसानी से शरीर के अंदर के अंगों को देख पाता है और यह निर्णय ले पाता है कि उसे क्या और कैसे करना है
- रोबोटिक सर्जरी की मदद से डॉक्टर उतना ही चीरा लगाते हैं जितना जरुरत होता है, इससे टिशू डैमेज कम होता है, नतीजा यह होता है कि मरीज जल्दी ठीक होता है
- सामान्य-पारंपरिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी में मरीज को कम दर्द का एहसास होता है, वजह यह कि इस सर्जरी में चीरा कम लगाया जाता है
- रोबोटिक सर्जरी की मदद से उपचार करने के कारण ब्लड लॉस कम होता है, ऐसे में मरीज को कम से कम खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है
- कैमरा व रियल टाइम इमेज दिखने की वजह से डॉक्टर आसानी से उपचार कर पाता है
- रोबोटिक सर्जरी से मरीज जल्द स्वस्थ होता है व इंफेक्शन का खतरा कम रहता है
- जोखिम की बात करें तो संभावना रहती है कि चीरा लगाने की वजह से कहीं इंफेक्शन न हो जाए
- रोबोटिक सर्जरी में काफी कम जोखिम होते हैं, ऐसा नहीं है कि इसमें रिस्क नहीं है, इसमें काफी कम रिस्क होता है
- मरीज को अस्पताल में ज्यादा समय तक नहीं ठहरना पड़ता है, पारंपरिक ऑपरेशन में मरीज को अस्पताल में कम से कम एक सप्ताह तक रखा जाता था
- रोबोटिक सर्जरी में डॉक्टर अपनी कलाई व हाथ का इस्तेमाल काफी आसानी से कर पाता है, जटिलताएं कम होती हैं, ऐसे में डॉक्टर आसानी से ऑपरेशन कर पाते हैं
रोबोटिक सर्जरी से जोखिम भी जुड़े होते हैं, जैसे छोटे इंफेक्शन का खतरा रहता है। यह खतरा सामान्य तौर पर हर सर्जरी के साथ बना रहता है। सर्जरी की वजह से ब्लीडिंग व सांस लेने में समस्या भी हो सकती है। बावजूद इसके पारंपरिक व लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में इसमें कम जोखिम होते हैं।
हमेशा लें डॉक्टरी सलाह
भारत में सर्जरी का काफी पुराना इतिहास रहा है। सुश्रुत पहले चिकित्साशास्त्री व शल्यचिकित्सक थे। उस जमाने से लेकर आजतक सर्जरी में काफी परिवर्तन आया है। भारत में रोबोटिक सर्जरी आने वाले कल का भविष्य है। अभी यह महानगरों के साथ टू टियर सिटी में इस तकनीक की मदद से एक्सपर्ट ऑपरेशन कर रहे हैं। वर्तमान में 2.5 लाख से लेकर पांच लाख रुपए तक का खर्च इस ऑपरेशन को कराने में आता है। सर्जरी को लेकर अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। रोबोटिकल सर्जिकल सिस्टम को यदि एक्सपर्ट हैंडल कर उपचार करें तो यह काफी सेफ है। इस सिस्टम को चलाने के पूर्व डॉक्टर को ट्रेनिंग व सही-सही जानकारी दी जाती है, कि कैसे इसका इस्तेमाल करें। उसके बाद ही एक्सपर्ट इसकी मदद से ऑपरेशन करते हैं।
Read More Articles On Diseases On Miscellaneous