इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना कर रहे कपल्स के लिए आईवीएफ किसी वरदान से कम नहीं है। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी मदद से संतान सुख से वंचित महिलाओं काे मां बनने का सुख प्राप्त हाे सकता है। जो महिलाऐं प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने में समर्थ नहीं हैं, वे आईवीएफ ट्रीटमेंट की मदद से प्रेग्नेंट हो सकती हैं। आईवीएफ प्रोसेस में महिला के शरीर से अंडों को बाहर निकाला जाता है। फिर इन्हें लैब में शुक्राणु से मिलाकर एम्ब्रयो बनाए जाते हैं। इसके बाद डॉक्टर एम्ब्रयो को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर करते हैं। इसके बाद अंडों का फर्टिलाइजेशन शुरू होता है। इस तरह एक महिला गर्भधारण कर पाती है। आईवीएफ के पूरे प्रोसेस में एम्ब्रयो ट्रांसफर का स्टेप सबसे खास और नाजुक होता है। इस दौरान एक महिला के मन में खुशी और एक्साइटमेंट के साथ-साथ काफी घबराहट भी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ तो वह मां बनने के सपने के करीब होती है। वहीं, दूसरी तरफ उसके मन में यह डर होता है कि आईवीएफ सफल होगा भी या नहीं? ऐसे में एम्ब्रयो ट्रांसफर के बाद एक महिला को काफी सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। एम्ब्रयो ट्रांसफर के बाद सफलता दर बढ़ाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की डॉ शोभा गुप्ता से बात की। आपको बता दें कि हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस (World IVF Day) मनाया जाता है। ओन्लीमाईहेल्थ भी लोगों को जागरूक करने के लिए #KhushKhabriWithIVF कैंपेन चला रहा है, जिसमें आपको आईवीएफ से जुड़े अलग-अलग तरह के लेख पढ़ने को मिलेंगे। आज इस लेख में हम आपको ऐसी 6 टिप्स बता रहें हैं, जिनकी मदद से आप अपने आईवीएफ प्रोसेस के सक्सेस रेट को बढ़ा सकते हैं (Tips For Successful Ivf Pregnancy After Embryo Transfer In Hindi) -
1. आराम करें
एम्ब्रयो ट्रांसफर के बाद आपको आराम करना चाहिए। कुछ डॉक्टर प्रक्रिया के बाद 24 घंटे आराम की सलाह देते हैं। जबकि, कुछ डॉक्टर्स 2 से 3 दिन बेस्ट रेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। एम्ब्रयो ट्रांसफर के बाद शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं, जिसकी वजह से पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है। इससे आपको शारीरिक और भावनात्मक उतार-चढ़ावों से निपटने में मदद मिलेगी। इस दौरान कोई भी ऐसा काम करने से बचें, जिससे आपके शरीर के निचले हिस्से पर जोर पड़े।
2. टाइम पर दवाई लें
गर्भधारण करने के लिए महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की पर्याप्त मात्रा होना जरूरी है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान महिला को इंजेक्शन के माध्यम से कृत्रिम प्रोजेस्ट्रोन दिए जाते हैं। इसके अलावा, उसे कई अन्य तरह की दवाओं की आवश्यकता भी हो सकती है। इससे चक्कर और उल्टी के लक्षण बढ़ सकते हैं। इसलिए, डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी दवाओं को समय पर जरूर लें। एम्ब्रयो ट्रांसफर के बाद किसी भी दवाई को शुरू या बंद करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। इस दौरान आपको अपने डॉक्टर की सलाह पर फोलिक एसिड लेना भी शुरू कर देना चाहिए।
3. तनाव से बचें
किसी भी महिला के लिए आईवीएफ की प्रक्रिया सहज नहीं होती है। खासतौर पर, एम्ब्रयो ट्रांसफर के बाद उसके मन में कई तरह की इमोशंस आते हैं। लेकिन इस दौरान आपको किसी भी तरह के तनाव से बचना चाहिए। क्योंकि अत्यधिक चिंता या तनाव की वजह से आईवीएफ प्रोसेस फेल हो सकता है। इसलिए आपको तनाव के स्तर को कम करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए आप ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताएं। साथ ही, तनाव से बचने के लिए आप ध्यान और योग जैसे तरीकों को अपना सकती हैं।
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4. सही डाइट लें
आईवीएफ प्रोसेस के दौरान आपको अपने खानपान का खास ख्याल रखना चाहिए। एम्ब्रयो ट्रांसफर के बाद कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन-बी, फोलिक एसिड और आयरन युक्त भोजन का सेवन करें। अपनी डाइट में पत्तेदार सब्जियों, दालों, फलों और अनाज को शामिल करें। आपको डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स भी लेने चाहिए। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थों का सेवन करके खुद को हाइड्रेटेड रखें। इस दौरान बासी या बाहर का जंक फूड खाने से परहेज करें।
5. धूम्रपान और शराब से परहेज करें
आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान आपको धूम्रपान और शराब से दूरी बना लेनी चाहिए। साथ ही, दिनभर में दो कप से ज्यादा चाय या कॉफी का सेवन न करें। नशीले पदार्थ या कैफीन भ्रूण के लिए बेहद हानिकारक हो सकते है। इससे आपकी फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ सकता है कुछ मामलों में मिसकैरेज भी हो सकता है।
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यौन गतिविधियों से दूर रहें
एम्ब्रयो ट्रांसफर के बाद कम से कम 2 सप्ताह के लिए यौन गतिविधियों से दूर रहें। यौन गतिविधि गर्भाशय पर दबाव डाल सकती है, जिससे गर्भाशय संकुचन हो सकता है। इससे भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है और विकास में देती हो सकती है। साथ ही, यौन संबंध बनाने के कारण महिलाओं में योनि संक्रमण फैलने का खतरा रहता है, जिससे आईवीएफ प्रोसेस फेल हो सकता है।