
गले में अंदर की तरफ दोनों ओर बादाम के आकार की मांस की गांठ होती है जिसे हम टॉन्सिल कहते हैं। टॉन्सिल सभी तरह के हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया को शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं। मगर कई बार टॉन्सिल स्वयं इंफेक्शन से नहीं बच पाते हैं। टॉन्सिल में होने वाले इंफेक्शन को टॉन्सिलाइटिस कहते हैं लेकिन आमतौर पर लोग इसे भी टॉन्सिल के नाम से जानते हैं। इंफेक्शन होने पर टॉन्सिल्स में सूजन आ जाती है और वे लाल हो जाते हैं। इस वजह से व्यक्ति को दर्द होता है, बुखार आ जाता है और खाने-पीने में परेशानी होने लगती है।

क्यों होत है टॉन्सिलाइटिस
टॉन्सिलाइटिस वैसे तो कभी भी हो सकता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा खतरा मौसम बदलने होता है। टॉन्सिलाइटिस की समस्या अक्सर तब होती है जब टॉन्सिल्स कमजोर हो जाते हैं। इसके अलावा इम्युनिटी कमजोर होने पर, बहुत गरम, बहुत ठंडा या तीखा खाना खाने पर टॉन्सिलाइटिस हो जाता है। कई बार पेट खराब होने पर, कब्ज होने पर या प्रदूषण, धूल आदि के कारण भी टॉन्सिलाइटिस हो जाता है।
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टॉन्सिलाइटिस के लक्षण
गले में खराश होना
सांसों में बदबू होना
गले में दर्द होना
खाना खाने या पानी पीने में दर्द होना
गले में खराश आना
गले में दर्द के साथ बुखार आना
जबड़ों के निचले हिस्से में सूजन आना
खाने का स्वाद न मिलना या स्वाद बदला-बदला लगना
टॉन्सिलाइटिस में परहेज
टॉन्सिलाइटिस होने पर ठंडी चीजों जैसे दही, आइसक्रीम, ठंडा पानी आदि का सेवन करना बंद कर देना चाहिए। तली-भुनी और मसालेदार चीजों से भी टॉन्सिलाइटिस बढ़ता जाता है। इसके अलावा फास्टफूड, जंकफूड, चॉकलेट, टॉफी आदि को भी नहीं खाना चाहिए। टॉन्सिलाइटिस होने की स्थिति में शराब, गुटखा और धूम्रपान से तकलीफ बढ़ जाती है इसलिए किसी भी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
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टॉन्सिलाइटिस का उपचार
टॉन्सिलाइटिस में अगर गले में दर्द हो तो गरम पानी में नमक मिलाकर गरारा करने से दर्द में राहत मिलती है। अगर मरीज को दर्द के साथ-साथ बुखार भी है, तो इसके लिए बुखार की दवा चिकित्सक की सलाह से दी जा सकती है। परहेज और गरारा करने से टॉन्सिलाइटिस आम तौर पर एक हफ्ते में ठीक हो जाता है। लेकिन अगर ये एक हफ्ते से ज्यादा समय ले या दर्द लगातार बढ़ता जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि ये किसी और गंभीर रोग का भी लक्षण हो सकता है।
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