हर कोई हेल्दी और फिट रहना चाहता है लेकिन लोग अपनी बिजी लाइफस्टाइल में बेहतर जिंदगी और अच्छी नींद के लिए योग और ध्यान नहीं कर पाते है, जिसके कारण लोगों में मोटापा और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं देखने को मिलती है। सुप्त बद्ध कोणासन योग के अभ्यास से आपका दिमाग और शरीर दोनों स्वस्थ रहता है। कमर और हिप्स वाले हिस्से की मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे छात्रों को भी एकाग्र और फोकस्ड रहने में मदद मिलती है। सुप्त बद्ध कोणासन काफी सरल योगासन है। इसे आप 30 से 60 सेकेंड तक कर सकते है। ये आसन घुटने, जांघों और कमर वाले हिस्से को स्ट्रेच करता है। साथ ही इससे पाचन तंत्र और रीढ़ के दर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। आइए इस योगासन के फायदे और करने के तरीके के बारे में विस्तार से जानते है।
सुप्त बद्ध कोणासन के फायदे
1. जांघों और पैरों की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने में मदद मिलती है। साथ ही घुटनों के दर्द में भी आराम मिलता है।
2. इससे वजन कम करने और पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायता मिलती है और एब्स टोन होते है।
3. इस योगासन की मदद से लोअर बैक, घुटनों और पूरे शरीर में लचीलापन आता है। इससे अनिद्रा की समस्या भी दूर हो सकती है।
4. इससे हार्निया के रोकथाम में मदद मिलती है।
5. वेरिकोस वेन और साइटिका जैसी समस्याओं के लक्षण कम करने में सहायता मिलती है।
6. बवासीर और पेट फूलने की समस्या में आराम मिलता है।
7. किडनी स्टोन को टोन कर ब्लैडर पर नियंत्रण को बेहतर बनाता है।
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सुप्त बद्ध कोणासन योग करने का तरीका
1. योग मैट पर शवासन की मुद्रा में लेट जाएं और धीरे-धीरे घुटनों को भीतर की तरफ मोड़ें।
2. इस दौरान दोनों पैरों को एक साथ ही अंदर की ओर लेकर आएं।
3. पैरों के बाहर वाला हिस्सा फर्श से संपर्क में रहेगा।
4. अपनी एड़ियों को ग्रोइन के पास सटाकर रखें और दोनों हथेलियों को हिप्स के पास रखकर नीचे की तरफ दबाएं।
5. अब सांस छोड़ते हुए, पेट की निचली मांसपेशियों को भीतर की तरफ खींचें।
6. पीठ के निचले हिस्से में बढ़ाव महसूस करें।
7. पेल्विस को स्थिर रखते हुए रीढ़ की हड्डी को झुकाने की कोशिश करें।
8. सांस को भीतर लेकर फिर बाहर छोड़ दें।
8. इस आसन में एक मिनट तक बने रहें।
9. अब सांस गहरी और धीमी गति से लें।
10. सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में वापस आ जाएं।
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सावधानियां
1. गर्दन में दर्द होने पर सुप्त बद्ध कोणासन का अभ्यास न करें।
2. कंधे में दर्द की समस्या होने पर हाथ ऊपर न उठाएं।
3. घुटने में दर्द या आर्थराइटिस की समस्या होने पर आप दीवार का सहारा ले सकते है।
4. हाई ब्लड प्रेशर के मरीज इस योगासन को न करें।
5. स्लिप डिस्क के मरीज इस आसन का अभ्यास न करें।
6. रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए।
7. इस योगासन को ट्रेनर की देखरेख में करने का प्रयास करें।
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