थायरॉइड एक छोटी-सी तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो हमारे गले के सामने स्थित होती है। यह ग्रंथि थायरॉइड हार्मोन (T3 और T4) बनाती है जो शरीर के मेटाबोलिज़्म, ऊर्जा, तापमान, और विकास को नियंत्रित करता है। लेकिन जब यह ग्रंथि सही से काम नहीं करती, तो इससे शरीर में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें हम थायरॉइड विकार के रूप में जानते हैं। इन दिनों अनियमित खानपान और असंतुलित जीवनशैली के कारण लोगों को थायरॉइड की समस्या हो रही है। थायरॉइड के रोगियों में एक बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल है।
लेकिन आपको थायरॉइड की स्टेज की जानकारी है? नहीं, तो हम आपको बताने जा रहे हैं थायरॉइड की स्टेज के बारे में। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने दिल्ली के जनरल फिजिशियन और एमबीबीएस डॉ. सुरिंदर कुमार से बात की।
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थायरॉइड की मुख्य अवस्थाएं (Stages of Thyroid Disease)
थायरॉइड विकार को सामान्यतः दो भागों में बांटा जाता है:
हाइपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism) – जब थायरॉइड ग्रंथि कम हार्मोन बनाती है
हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism) – जब थायरॉइड ग्रंथि अधिक हार्मोन बनाती है
इन दो मुख्य अवस्थाओं को भी अलग-अलग चरणों (Stages) में बांटा जाता है, जो इस पर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी गंभीर हो चुकी है और उसके क्या लक्षण हैं।
थायरॉइड के चरण (Stages) की सूची
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1. सबक्लिनिकल स्टेज (Subclinical Stage)
इस चरण में लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। ब्लड टेस्ट में TSH बढ़ा हुआ हो सकता है लेकिन T3 और T4 सामान्य रहते हैं (हाइपोथायरॉइडिज्म में)। हाइपरथायरॉइडिज्म में TSH कम होता है लेकिन T3, T4 सामान्य रहते हैं।
लक्षण:
कभी-कभी थकावट
हल्की सुस्ती
बाल झड़ना (आरंभिक)
वजन बढ़ना या घटना
2. माइल्ड थायरॉइड स्टेज (Mild Thyroid Stage)
इस अवस्था में हार्मोन का असंतुलन शरीर में महसूस होने लगता है। TSH का स्तर अधिक (हाइपोथायरॉइडिज्म) या कम (हाइपरथायरॉइडिज्म) हो जाता है, और T3 या T4 भी प्रभावित होते हैं।
लक्षण (हाइपोथायरॉइडिज्म में):
लगातार थकावट
भूख कम लगना
वजन बढ़ना
कब्ज
ठंड सहन न होना
लक्षण (हाइपरथायरॉइडिज्म में):
अत्यधिक पसीना
घबराहट
वजन घटना
भूख बढ़ना
नींद में बाधा
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3. मॉडरेट थायरॉइड स्टेज (Moderate Stage)
इस स्तर पर लक्षण स्पष्ट और गंभीर हो जाते हैं। हॉर्मोन असंतुलन से शरीर की दैनिक गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं।
हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण:
चेहरे पर सूजन
आवाज भारी होना
डिप्रेशन
मासिक धर्म में अनियमितता
हाइपरथायरॉइडिज्म के लक्षण:
हृदय गति बढ़ जाना
हाथ कांपना
मांसपेशियों में कमजोरी
आंखों की सूजन
4. सीवियर थायरॉइड स्टेज (Severe Stage)
यह स्टेज सबसे गंभीर होती है और जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है अगर समय रहते इलाज न हो।
हाइपोथायरॉइडिज्म में:
Myxedema Coma – यह एक जानलेवा स्थिति है जिसमें शरीर के अंग धीमा पड़ जाते हैं।
लक्षण:
अत्यधिक ठंड लगना
हृदय गति धीमी होना
साँस लेने में तकलीफ
होश खो देना
हाइपरथायरॉइडिज्म में:
Thyroid Storm – थायरॉइड हार्मोन की अत्यधिक सक्रियता की वजह से शरीर 'ओवरहीट' हो जाता है।
लक्षण:
तेज बुखार
अत्यधिक घबराहट
रक्तचाप में गिरावट
भ्रम की स्थिति
थायरॉइड स्टेज की पहचान कैसे करें?
किसी व्यक्ति को थायरॉइड है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर विभिन्न प्रकार के मेडिकल टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इसमें शामिल हैः
1. रक्त जांच (Blood Tests)
2. लक्षणों का निरीक्षण
3. फिजिकल एग्जाम और अल्ट्रासाउंड
4. गर्दन में सूजन
थायरॉइड का इलाज क्यों जरूरी है?
थायरॉइड की अनदेखी करने से हार्ट प्रॉब्लम, बांझपन, अवसाद, और गर्भावस्था में जटिलताएं पैदा कर सकती है। अगर किसी बच्चे को थायरॉइड की परेशानी है, तो ये उनके मानसिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
थायरॉइड एक गंभीर लेकिन नियंत्रण योग्य विकार है। इसके चार मुख्य चरण होते हैं: सबक्लिनिकल, माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। प्रत्येक चरण के अपने लक्षण होते हैं और समय पर पहचान और इलाज से जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। नियमित जाँच, संतुलित आहार, व्यायाम और डॉक्टर की सलाह से थायरॉइड को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आपको थकान, वजन में बदलाव, मूड स्विंग या मासिक धर्म संबंधी समस्याएं लगातार महसूस हो रही हैं, तो तुरंत थायरॉइड की जांच कराएं। क्योंकि थायरॉइड का निदान जितना जल्दी होगा, इलाज उतना ही प्रभावी होगा।
FAQ
गर्भवती महिला को थायरॉइड होने से क्या होता है?
थायरॉइड की समस्या गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास को प्रभावित कर सकती है। इससे गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी या जन्मजात दोषों का खतरा बढ़ जाता है। मां को भी थकान, डिप्रेशन और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।प्रेगनेंसी में थायरॉइड की समस्या होने का खतरा क्या है?
प्रेगनेंसी में थायरॉइड असंतुलन से भ्रूण का विकास रुक सकता है, जन्म के समय कम वजन, मानसिक विकार, या मृत शिशु का खतरा बढ़ सकता है। मां में हाई ब्लड प्रेशर, एनीमिया और प्री-एक्लेम्पसिया जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। समय पर जांच और इलाज जरूरी है।प्रेगनेंसी में थायरॉइड लेवल कितना होना चाहिए?
प्रेगनेंसी के दौरान TSH (Thyroid Stimulating Hormone) स्तर तिमाही के अनुसार होना चाहिए:दूसरी तिमाही: 0.2 से 3.0 mIU/Lपहली तिमाही: 0.1 से 2.5 mIU/Lतीसरी तिमाही: 0.3 से 3.0 mIU/Lसटीक स्तर डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।