Situational Depression Causes And Symptoms: तनाव और स्ट्रेस होने पर आपको डिप्रेशन हो सकता है। यह एक मानसिक समस्या होती है। इसमें व्यक्ति को कई तरह के विचार आते हैं। साथ ही, वह अकेला रहना ज्यादा पसंद करता है। डिप्रेशन के कई प्रकार होते हैं और इनके पीछे कई अलग-अलग कारण जिम्मेदार होते हैं। सिचुएशनल डिप्रेशन भी इनमें से ही एक है। जब व्यक्ति जीवन में किसी तरह की अप्रिय घटना से गुजरता है, तो उसको यह डिप्रेशन होता है। सिचुएशनल डिप्रेशन (Situational Depression) में व्यक्ति खुद को दुखी महसूस करता है। यदि, समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो व्यक्ति धीरे-धीरे रोजाना के कामों को करे में भी रुचि नहीं लेता है। यह समस्या व्यक्ति के जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है। इस लेख में नारायणा अस्पताल के साइकैटरिस्ट एंड साइकोथैरेपिस्ट कंसल्टेंट डॉक्टर राहुल कक्कड़ से जानते हैं कि सिचुएशन डिप्रेशन क्या होता है और इसके लक्षण और कारण क्या होते हैं?
सिचुएशनल डिप्रेशन के क्या कारण होते हैं? - Causes Of Situational Depression In Hindi
डॉक्टरों के अनुसार व्यक्ति के जीवन में घटित कोई अप्रिय घटना इस तरह के डिप्रेशन की मुख्य वजह मानी जाती हैं। इन घटानाओं के बारे में आगे बताया गया है।
- स्कूल या ऑफिस में किसी वजह से खुद को एडजस्ट न कर पाना
- शादी के बाद लड़ाई व तलाक जैसी समस्या
- किसी समय पर फाइनेंशियल प्रॉब्लम होना, जैसे नौकरी छूटना, आदि
- किसी नजदीकी प्रियजन की मृत्यु होना
- किसी तरह की बीमारी होना
- बचपन में स्ट्रेस से गुजरना
शारीरिक समस्याएं भी सिचुएशनल डिप्रेशन की वजह हो सकती हैं।
- ब्रेन में बदलाव होना
- हार्मोनल अनियंत्रण
- आनुवांशिक रूप से बदलाव
- जिन लोगों के परिवार में किसी व्यक्ति ने इसे पहले अनुभव किया हो, तो अन्य लोगों को भी सिचुएशन डिप्रेशन होने की संभावना अधिक होती है।
सिचुएशनल डिप्रेशन के लक्षण - Symptoms Of Situational Depression In Hindi
सिचुएशनल डिप्रेशन में हर व्यक्ति को अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। यह डिप्रेशन को बढ़ा सकते हैं। साथ ही, यह डिप्रेशन रोजाना की लाइफस्टाइल को भी प्रभावित करता है। आगे जानते हैं इस समय महसूस होने वाले लक्षणों के बारे में।
- किसी भी काम में फोकस न कर पाना
- हर समय चिंता और बैचेनी रहना
- उदासी बनी रहना
- मन में निराशा की भावना
- बात-बात पर रोना आना
- भोजन की इच्छा न करना
- सोने में परेशानी होना
- रोजाना के काम करने में परेशानी
- लोगों से बातचीत न करना
- खुद को समाज से अलग करना आदि।
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यह एक मानसिक समस्या है, इसके कम लक्षण होने पर व्यक्ति समय के साथ खुद ठीक हो जाता है। जबकि, कुछ मामलों में व्यक्ति के लक्षण गंभीर रूप धारण कर सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति को डॉक्टर के इलाज कराने की आवश्यकता होती है। डॉक्टर व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर थेरेपी व दवाएं दे सकते हैं। इसके साथ ही लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव की सलाह देते हैं।
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