शिशुओं के खड़े होने, बैठने, करवट लेने जैसी गतिविधियां माता-पिता के लिए बहुत कीमती पलों में से एक होता है। कोई भी माता-पिता अपने बच्चों के इन पलों को देखने से खोना नहीं चाहते हैं। वैसे तो शिशुओं के खड़े होने, बोलने, बैठने आदि का समय अक्सर आस-पास होता है। लेकिन कुछ बच्चे जल्दी चलना या बोलना शुरू करत हैं, जबकि कुछ बच्चे देर से बोलना या चलना शुरू करते हैं। लेकिन माता-पिता अपने बच्चों को जल्दी चलाने के लिए उनकी मसाज करने के बाद उन्हें पैरों पर जबरन खड़ा करने की कोशिश करते हैं। किरण मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन और न्यूबोर्न स्पेशलिस्ट डॉ. पवन मंडाविया के अनुसार 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को पैरों पर खड़ा करने से उनके पैरों में समस्या आ सकती है। आइए जानते हैं कैसे?
6 महीने से कम शिशुओं को खड़ा करने के नुकसान
1. जोड़ों और हड्डियों पर दबाव
शिशुओं की हड्डियां काफी कमजोर है, जो अभी विकसित कर रही होती है, ऐसे में समय से पहले उनके पैरों पर वजन डालने से तनाव बढ़ सकता है और उनके पैरों का एलाइनमेंट बिगड़ सकता है, जिससे जोड़ों की समस्याएं बढ़ सकती है।
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2. रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं
6 महीने से कम उम्र के बच्चों की रीढ़ की हड्डी इतनी मजबूत नहीं होती कि वह खड़े होने के दबाव को बर्दास्त कर सके। इसलिए, बच्चों को जल्दी खड़े होने के लिए मजबूर करने से रीढ़ की हड्डी के गलत एलाइनमेंट या विकास से जुड़ी समस्याओं का जोखिम हो सकता है।
3. मोटर कौशल विकास में बाधा
बहुत जल्दी खड़े होने के लिए शिशुओं पर दबाव डालने से उनमें मोटर कौशल विकास धीमा होता है, जिससे उनके विकास में बाधा आ सकती है, जो संभावित रूप से बच्चों के रेंगने और बैठने की स्थितियों को प्रभावित कर सकता है।
4. मांसपेशियों में खिंचाव
शिशुओं की पैर की मांसपेशियां वजन उठाने के लिए पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं। इसलिए, 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को खड़ा करने से उनकी मांसपेशियों में थकान या खिंचाव हो सकता है, जिससे उनके आराम और मोटर कौशल पर असर पड़ता है।
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5. विकास संबंधी समस्याएं
शुरुआत में शिशुओं को खड़ा करने का दबाव डालने से उनमें विकास से जुड़े असंतुलन जोखिम बढ़ सकते हैं, जो मांसपेशियों या बच्चों के मानसिक विकास पर दाबव डाल सकते हैं।
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निष्कर्ष
कितने महीने के बच्चे को खड़ा करना चाहिए, बच्चा कब सीधा खड़ा हो सकता है? पेरेंट्स अक्सर शिशुओं को लेकर इस तरह के सवालों से घिरे रहते हैं. हालांकि, शिशुओं के लिए अपनी गति से अपने मोटर कौशल का विकास करना जरूरी है। इसलिए, आप समय से पहले अपने शिशु को बैठाने या पैरों पर खड़ा करने से बचें, क्योंकि ये न सिर्फ शारीरिक तौर पर शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक होता है। इसलिए आपको बच्चे को कब से बैठाना शुरू करना या या खड़ा करना है इस बारे में हमेशा अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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