प्रेग्नेंसी के बाद जब महिलाएं बच्चे की डिलीवरी करती हैं तो उन्हें कई नई तरह की जिम्मेदारियों को उठाना पड़ता है। इस काम में घर के सभी लोग उनकी मदद कर सकते हैं। दरअसल, शिशु हमेशा से ही घर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। घर में शिशु की मौजूदगी में समय कितनी तेजी से बितता है किसी को कुछ पता ही नहीं चल पाता है। दरअसल, 6 माह से छोटे बच्चे के ग्रोथ के लिए कुछ आवश्यक एक्टिविटी करानी चाहिए। इसके लिए शिशु को अभिभावकों के सपोर्ट की आवश्यकता होती है। इस तरह की एक्टिविटी से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है। बच्चों की डॉक्टर पीडियाट्रिशियन कव्या चंद्राशेखर ने इंस्टा अकांउट में लोगों को 4 से 6 माह के शिशु के लिए आवश्यक अभ्यासों को शेयर किया है। इस अभ्यास में अभिभावकों को शिशु को सपोर्ट करना चाहिए। आगे जानते हैं इन अभ्यासों के बारे में विस्तार से
4 से 6 माह के शिशु की ग्रोथ के लिए आवश्यक अभ्यास - 4 T0 6 Month Old Baby Activities For Development In Hindi
टम्मी टाइम - Tummy Time
इस समय बच्चे की ग्रोथ के लिए उसे टम्मी टाइम देना चाहिए। इस दौरान बच्चा पेट के बल आगे बढ़ने की कोशिश करता है। यह उसकी ग्रोथ के पहले चरण के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। अभिभावक इसमें बच्चे की मदद कर सकते हैं।
साइड लाइनिंग स्ट्रेच - Side lying Stretch
इस आप शिशु को बेड पर लेटाएं। इसके बाद शिशु को दाईं करवट लेटाते हुए उसके बाएं पैर को स्ट्रेच करें। ठीक ऐसे ही बाएं करवट लेटाते हुए दाएं पैर को स्ट्रेच करें। इससे शिशु की मांसपेशियां तेजी से बढ़ती हैं।
पैरो को ऊपर उठाएं - Toes To Nose With Hip Support
शिशु को पीठ के बल पर लेटाक उसके पैरों को हल्के हाथों से सपोर्ट करते हुए ऊपर की ओर ले जाएं। इससे शिशु की पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह एक्सरसाइज आपने दादी या नानी को घर के अन्य बच्चों को कराते हुए देखा होगा।
रोलिंग - Rolling
शिशु लेटने के दौरान रोल करते हुए दाएं या बाएं ओर मुड़ने लगता है। ऐसा करते समय उसको पहले परेशानी होती है। रोलिंग के बेहतरीन एक्सरसाइज है इससे शिशु शरीर पर खुद का कंट्रोल प्राप्त करता है। साथ ही, शरीर को अपने अनुसार एक पीछे करता है। इस कार्य के लिए अभिभावक शिशु की मदद कर सकते हैं।
गोद में पेट के बल लेटाएं - Tummy Time Over Lap
ऐसे में अभिभावकों को बच्चों को गोद में पेट के बल लेटाना चाहिए। इस दौरान बच्चा किसी खिलौने आदि से खेल सकता है। ऐसा करने से भी शिशु की ग्रोथ बेहतर तरीके से होती है। इसी तरह अभिभावक एक पैर पर शिशु को लेटाकर उसे पर्याप्त टम्मी टाइम दे सकते हैं।
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शिशु की ग्रोथ के विभिन्न माइलस्टोन (पड़ाव) होते हैं। प्रथम माइलस्टोन को पूरा करने में शिशु को अभिभावकों के सपोर्ट की जरूरत पड़ती है। इससे बच्चा धीरे-धीरे शरीर के साथ तालमेल बैठाने में सफल होता है। इसके बाद बच्चा चलना और शरीर को अपने अनुसार आगे बढ़ाने की कोशिश करता है। लेकिन, इन सभी में अभिभावकों का अहम रोल होता है। इस वजह से बच्चे के प्रति पूरे घर की कुछ न कुछ जिम्मेदारियां अवश्य रहती है।