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International Childhood Cancer Day: बच्चों में कैंसर का कारण बन सकते हैं जेनेटिक फैक्टर, डॉक्टर से जानें कैसे

बच्चों में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 15 फरवरी को इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे (International Childhood Cancer Day) मनाया जाता है।
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International Childhood Cancer Day: बच्चों में कैंसर का कारण बन सकते हैं जेनेटिक फैक्टर, डॉक्टर से जानें कैसे


बच्चों में बढ़ते कैंसर के मामलों के प्रति जागरूकता के लिए हर साल 15 फरवरी को इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे (International Childhood Cancer Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बचपन में होने वाले कैंसर के कारणों, लक्षणों, रोकथाम और इलाज के बारे में लोगों को जागरूक करना होता है। कुछ कैंसर बच्चे को माता-पिता से अनुवांशिक रूप से मिल सकते हैं, जबकि कुछ जन्म के दौरान ही होने वाले स्पॉन्टेनियस म्यूटेशन (de novo mutations) के कारण विकसित होते हैं। इस लेख में धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी, गुरुग्राम की सलाहकार- बाल चिकित्सा हेमेटो ऑन्कोलॉजी और बीएमटी, डॉ. मेघा सरोहा (Dr. Megha Saroha, Consultant- Paediatric Haemato Oncology and BMT, Narayana Hospital Gurugram) से जानिए, बच्चों में कैंसर और जेनेटिक्स के बीच संबंध क्या है।

बच्चों में कैंसर और जेनेटिक्स के बीच संबंध - The Role of Genetics in Childhood Cancer

डॉक्टर मेघा सरोहा बताती हैं कि बचपन में कैंसर (Childhood Cancer) के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे अहम भूमिका जेनेटिक्स की होती है। अधिकांश मामलों में बचपन का कैंसर अनुवांशिक (hereditary) नहीं होता, लेकिन कुछ विशेष जेनेटिक म्यूटेशन (genetic mutations) से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। ये म्यूटेशन दो तरह के हो सकते हैं। माता-पिता के लिए यह समझना जरूरी है कि जेनेटिक्स किस तरह कैंसर को प्रभावित करता है और किन उपायों से इस बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है।

1. विरासत में मिले म्यूटेशन - Inherited Mutations – ये म्यूटेशन माता-पिता से बच्चे को मिलते हैं और कुछ विशेष सिंड्रोम या आनुवांशिक बीमारियों के कारण कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

2. स्पॉन्टेनियस म्यूटेशन - De Novo Mutations– ये म्यूटेशन भ्रूण (fetus) के विकास के दौरान ही उत्पन्न हो जाते हैं और वंशानुगत (hereditary) नहीं होते।

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कुछ विशेष अनुवांशिक बीमारियां या सिंड्रोम बच्चों में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं-

  • फैंकोनी एनीमिया - Fanconi Anemia
  • हेरिडिटरी रेटिनोब्लास्टोमा - Hereditary Retinoblastoma
  • न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस - Neurofibromatosis
  • ली-फ्राउमेनी सिंड्रोम - Li-Fraumeni Syndrome

किन बच्चों को जेनेटिक टेस्टिंग करवाने की जरूरत हो सकती है?

हर बच्चे को जेनेटिक टेस्टिंग की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टर इसकी सलाह दे सकते हैं। 

  1. परिवार में किसी को जल्दी उम्र में कैंसर हो गया हो।
  2. बच्चे को किसी दुर्लभ या असामान्य प्रकार का कैंसर हुआ हो।
  3. बच्चे को एक से अधिक प्रकार के कैंसर हो चुके हों।
  4. किसी जन्मजात समस्या या सिंड्रोम के कारण कैंसर होने की संभावना हो।
  5. जेनेटिक टेस्टिंग कराने से यह स्पष्ट हो सकता है कि बच्चे में कैंसर विकसित होने का कितना जोखिम है और भविष्य में बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

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Genetics in Childhood Cancer

जेनेटिक्स से जुड़ी जानकारी इलाज और रोकथाम में कैसे मदद कर सकती है?

अगर किसी बच्चे में आनुवंशिक कारणों से कैंसर का खतरा ज्यादा है, तो यह जानकारी इलाज और रोकथाम में मदद कर सकती है।

1. टारगेटेड थेरेपी - Targeted Therapy

कुछ जेनेटिक म्यूटेशन कैंसर कोशिकाओं को खास प्रकार की दवाओं के प्रति संवेदनशील बनाते हैं। इससे नए और प्रभावी इलाज विकसित किए जा सकते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को ज्यादा सटीकता से निशाना बनाते हैं।

2. निगरानी और प्रारंभिक पहचान - Surveillance & Early Detection

यदि किसी बच्चे में आनुवंशिक रूप से कैंसर का खतरा है, तो डॉक्टर नियमित रूप से उसकी स्क्रीनिंग और चेकअप कर सकते हैं। इससे कैंसर को शुरुआती चरण में ही पकड़ने और इलाज को प्रभावी बनाने में मदद मिल सकती है।

3. परिवार नियोजन - Family Planning

अगर माता-पिता को पता है कि उनके परिवार में कैंसर से जुड़े जेनेटिक म्यूटेशन हैं, तो वे भविष्य में बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में बेहतर निर्णय ले सकते हैं। जेनेटिक काउंसलिंग (Genetic Counseling) से यह समझने में मदद मिलती है कि आगे आने वाली पीढ़ियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।

चिकित्सा क्षेत्र में जेनेटिक्स और कैंसर पर लगातार रिसर्च हो रही है, जिससे बचपन के कैंसर को बेहतर तरीके से समझने और इलाज करने में मदद मिल रही है।

प्रेसिजन मेडिसिन - Precision Medicine - यह इलाज का एक नया तरीका है, जिसमें कैंसर कोशिकाओं के जेनेटिक प्रोफाइल के आधार पर उपचार तय किया जाता है।
कम टॉक्सिक थेरेपी - Less Toxic Therapy - नई दवाएं और ट्रीटमेंट्स विकसित किए जा रहे हैं, जो कैंसर का इलाज अधिक प्रभावी और कम दुष्प्रभावों वाला बना सकते हैं।

निष्कर्ष

बचपन में कैंसर का एक बड़ा कारण आनुवंशिकी हो सकता है। माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे जेनेटिक्स के रोल को समझें और यदि परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो जेनेटिक टेस्टिंग और नियमित चेकअप करवाने पर ध्यान दें। हालांकि, आनुवंशिक कैंसर को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन समय पर पहचान और सही इलाज से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। अगर किसी माता-पिता को संदेह है कि उनके बच्चे में आनुवंशिक कारणों से कैंसर होने की संभावना हो सकती है, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

All Images Credit- Freepik

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