Endometriosis in Hindi: एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय में होने वाली एक बीमारी है। इस बीमारी में, गर्भाशय की आंतरिक परत बनाने वाले एन्डोमेट्रियल ऊतक में असमान्य बढ़ोतरी होने लगती है। साथ ही ये बीमारी, गर्भाशय के बाहर अन्य अंगो में फैलने लगता है l एंडोमेट्रियोसिस शरीर में कहीं भी हो सकता है पर मुख्य रूप से यह, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, लिम्फ नोड्स, यूट्रस आदि में हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों (Symptoms of Endometriosis in Hindi) की बात करें, तो पीरियड्स में तेज दर्द होना, योनि और यूट्रस में दर्द होना, बांझपन की शिकायत, यूरिन के साथ ब्लड आना, कब्ज होना, शौच के दौरान दर्द होना आदि समस्याएं हो सकती हैं। इन लक्षणों के नजर आने पर डॉक्टर, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, लेप्रोस्कोपी, पेल्विक टेस्ट आदि की मदद से बीमारी की जांच करवाने की सलाह देते हैं। वैसे तो किसी भी महिला को ये बीमारी हो सकती है, लेकिन कुछ ऐसे जोखिम हैं, जिनके कारण कुछ महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा ज्यादा होता है। चलिए जानते हैं, किस स्थिति में हो सकता है ये रोग। साथ ही जानेंगे एंडोमेट्रियोसिस से बचाव के उपाय। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
किन महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस का खतरा ज्यादा होता है?- Risk Of Endometriosis In Women
परिवार में एंडोमेट्रियोसिस का इतिहास तो नहीं?
अगर आपके परिवार में किसी को एंडोमेट्रियोसिस है तो आपको भी ये बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में अगर प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं, तो पहले जरूरी टेस्ट कराएं। जांच के जरिए आपको पता चलेगा कि कहीं गर्भस्थ शिशु को किसी प्रकार की जेनेटिक बीमारी का खतरा तो नहीं है। अगर आपकी उम्र 25 से 40 के बीच है, तो भी इस बीमारी का खतरा ज्यादा होगा।
प्रेग्नेंसी प्लान न करने से हो सकती है बीमारी
अगर आप शिशु को जन्म दे चुकी हैं, तो एंडोमेट्रियोसिस के खतरे से बच सकती हैं। जो महिलाओं प्रेग्नेंसी की प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं, उनमें इस बीमारी का खतरा कम हो जाता है। वहीं जो महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लान नहीं करतीं, उनमें इस बीमारी का जोखिम ज्यादा होता है। हालांकि मां बन चुकी महिलाओं को भी ये बीमारी हो सकती है। जिन महिलाओं के शरीर में खून की एंडोमेट्रिअल कोशिकाएं, शरीर से बाहर निकलने के बजाय पेल्विक कैविटी में चली जाती हैं, उनमें इस बीमारी के होने का जोखिम बढ़ जाता है।
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पीरियड्स से जुड़ी समस्या बढ़ा देती है बीमारी का जोखिम
जिन महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं का ज्यादा खतरा होता है, उन्हें एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है। ऐसे कई जोखिम हैं, जो पीरियड्स से जुड़े हुए हैं। जैसे कम या ज्यादा समय के लिए पीरियड्स होना, पीरियड्स का फ्लो हैवी होना, कम उम्र में पीरियड्स होना आदि। इन समस्याओं से जूझ रही महिलाओं में, एंडोमेट्रियोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस से कैसे बचें?- Endometriosis In Women Prevention Tips
- शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को संतुलन में रखकर, एंडोमेट्रियोसिस से बच सकते हैं।
- एंडोमेट्रियोसिस से बचने के लिए, कैफीन युक्त पेय पदार्थाें का सेवन न करें।
- शराब या अन्य नशीली चीजों का सेवन न करें, इससे शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है।
- रोजाना एक्सरसाइज करेंगी, तो एंडोमेट्रियोसिस के खतरे से बच सकती हैं।
- गर्भनिरोधक गोलियां ज्यादा खाती हैं, तो हार्मोनल असंतुलन के कारण ये बीमारी हो सकती है इसलिए डॉक्टर की सलाह के बगैर दवाओं का सेवन न करें।
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