Right Way to Feed a Baby Sitting or When Lying Down: जब बच्चे का जन्म होता है, तो उसे सबसे पहले मां का दूध दिया जाता है। मां का दूध शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत फायदेमंद होता है। घर की बुजुर्ग महिलाएं अक्सर नई मां को शिशु को कम से कम 6 महीने तक लगातार स्तनपान करवाने की सलाह देती हैं। नई मां अपनी सहूलियत के हिसाब से अपने को दूध पिलाती है। कई बार मां बैठकर शिशु को गोद में लेकर स्तनपान करवाती है। जबकि कई बार जब शिशु सो रहा है होता है तो नई मां लेटकर उसे स्तनपान करवाती है। जिस तरह से शिशु के लिए स्तनपान जरूरी होता है। ठीक वैसे ही स्तनपान की सही पोजीशन भी जरूरी होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गलत तरीके से स्तनपान कराने से शिशु को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। अक्सर हम देखते हैं कि कुछ महिलाएं बच्चे को लेटकर या साइड में लिटाकर करवट लेकर दूध पिलाती हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह स्तनपान करवाने का सबसे गलत तरीका है। इसलिए महिलाओं को हमेशा बैठकर ही स्तनपान करवाना चाहिए। बैठकर या लेटकर शिशु को स्तनपान करवाने का सही तरीका क्या है इस विषय पर ज्यादा जानकारी दे रही हैं डॉ. माधवी भारद्वाज।
क्या बच्चों को लेटकर दूध पिलाना सही है?
डॉ. माधवी भारद्वाज का कहना है, "बच्चे को लेटकर दूध पिलाने के कई नुकसान देखने को मिल सकते हैं। जब एक मां अपने बच्चे को लेटकर दूध पिलाती है, तो इस तरह दूध पिलाने से दूध उसकी सांस की नली में जा सकता है। इससे उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। स्थिति गंभीर होने पर शिशु की त्वचा नीली पड़ सकती है, इसकी वजह से बच्चे को चोकिंग भी हो सकती है। पर्याप्त सांस न मिलने पर कई बार बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। यह एक बच्चे के लिए लाइफ थ्रेटनिंग भी हो सकता है।"
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बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका क्या है- Right Way To Breastfeed Newborn Baby In Hindi
डॉ. माधवी भारद्वाज के अनुसार, "हमेशा यह सलाह दी जाती है कि आप बच्चों को हमेशा सही पोजीशन में दूध पिलाएं। आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप बच्चे को हमेशा बैठकर दूध पिलाएं। आप पालती मारकर बैठ सकते हैं, पैरों पर तकिया लगाकर बैठ सकते हैं। इससे बच्चे को स्तनों के स्तर तक लाने में मदद मिलती है। बच्चे को आराम से स्तनों तक ले जाएं और उसे उसी पोजीशन में दूध पिलाएं।
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इसके अलावा, हमेशा ध्यान रखें कि आपको बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसे डकार जरूर दिलानी चाहिए, जिससे कि उसके पेट में गैस न बें और उसे बार-बार हिचकियां न आएं।"