छुट्टियों के दिन हो और आपका ध्यान खाने की ओर न जाएं, ये तो नहीं हो सकता। लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि वे लोग, जो सीमित मात्रा में डाइट लेते हैं वे उन लोगों की तुलना में अधिक महसूस करते हैं, जो दूसरे के साथ अपना खाना शेयर नहीं करते हैं। अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सात अध्ययनों और कुछ प्रयोगों में पाया कि सीमित मात्रा में खाना खाने से एलर्जी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या फिर धार्मिक या सांस्कृतिक मानदंडों को लेकर बच्चों और वयस्कों में अकेलेपन की समस्या हो सकती है।
सीमित मात्रा में भोजन बढ़ा देता है अकेलापन
अध्ययन के मुताबिक, अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर केटलीन वूली का कहना है कि शारीरिक रूप से दूसरों के साथ मौजूद होने के बावजूद, सीमित मात्रा में भोजन करने से लोग खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं क्योंकि क्योंकि वे भोजन को लेकर दूसरों का हिस्सा बन पाने में सक्षम नहीं होते हैं।
क्या कहता है अध्ययन
जर्नल ऑफ पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में सीमित मात्रा में भोजन करने से अकेलापन बढ़ने को लेकर पहला सबूत पेश किया गया। उदाहरण के लिए एक प्रयोग में कुछ लोगों की भोजन की मात्रा सीमित कर दी गई, जिसके कारण उनमें अकेलेपन की भावना में वृद्धि हुई जबकि वह पहले खुलकर खाया करते थे।
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भोजन भावनाओं को करता है प्रभावित
उन्होंने कहा, ''हम अकेलेपन की भावना को दूर कर सकते हैं और दिखा सकते हैं कि किसी की भोजन की मात्रा को सीमित करने से उसकी भावनाएं प्रभावित होती हैं। इतना ही नहीं समूह में भोजन करने से उनकी अकेलेपन की भावनाएं पहले से बेहतर होती हैं।''
दूसरों के साथ बैठना बहुत जरूरी
वूली ने कहा कि भोजन पर दूसरों के साथ बैठने से संबंध स्वाभाविक सामाजिक अनुभव में तब्दील हो जाते हैं। पिछले कुछ शोध में, शोधकर्ताओं ने पाया कि जब वे एक ही भोजन साझा करते हैं, तो अजनबियों में भी एक-दूसरे से अधिक जुड़ाव और विश्वास पैदा होता है, और एक ही थाली में भोजन करने से अजनबियों के बीच सहयोग भी बढ़ता है।
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दूसरों के बारे में सोचने लगते हैं लोग
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा, '' हालांकि, जब उन्हें भोजन साझा करने से रोका जाता है, तो लोगों को "भोजन की चिंता" होती है।'' उन्होंने कहा कि वे लोग ये सोचते हैं कि वे क्या खा सकते हैं और कैसे दूसरे लोग उनके बारे में सोचेंगे कि हमारे बीच ये कैसे फिट होगा।
कौन लोग होते हैं प्रभावित
शोध में पाया गया कि वे लोग, जो अंग्रेजी नहीं बोलते हैं या फिर कम आय वाले लोग हैं उनमें अकेलेपन की भावना आना बहुत प्रबल होती है। इसके अलावा, जो लोग अकेले बैठकर खाना खाते हैं उनमें अकेलेपन की भावना 19 फीसदी ज्यादा होती है। अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों ने अकेलापन महसूस किया, उनकी डाइट को सीमित या तो उन्होंने ही किया या फिर किसी कारण उन्होंने अकेले खाना शुरू कर दिया।
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