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प्रेसबायोपिया की वजह से जा सकती है आंखों की रोशनी, जानें इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज

Presbyopia in Hindi: पास की चीजों को देखने में मुश्‍क‍िल होने की बीमारी को प्रेसबायोपिया के नाम से कहा जाता है। दुन‍ियाभर में यह एक आम बीमारी है।
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प्रेसबायोपिया की वजह से जा सकती है आंखों की रोशनी, जानें इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज


Presbyopia in Hindi: प्रेसबायोपिया आंखों की एक बीमारी है जो उम्र बढ़ने के साथ होती है। इस स्थिति में, व्यक्ति को पास की चीजों को देखने में मुश्‍क‍िल होने लगती है। यह समस्या आमतौर पर 40 वर्ष की उम्र के बाद शुरू होती है और समय के साथ बढ़ती जाती है। प्रेसबायोपिया के कारण आंख के लेंस की लचीलापन (Flexibility) कम हो जाती है, जिससे लेंस पास की चीजों पर फोकस नहीं कर पाता है। इसका इलाज आमतौर पर चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से किया जाता है, जिसमें बाइफोकल या प्रोग्रेसिव लेंस शामिल होते हैं। कुछ मामलों में सर्जरी भी की जा सकती है। भारत में लगभग 1.09 अरब से ज्‍यादा लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। दुनियाभर में भी यह एक आम समस्या बन चुकी है। इस लेख में जानेंगे प्रेसबायोपिया के लक्षण, कारण और इलाज। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने दुर्गा सहाय नर्स‍िंग होम, यूपी बि‍जनौर के नेत्र रोग व‍िशेषज्ञ डॉ व‍िनीत माथुर से बात की।

प्रेसबायोपिया के लक्षण- Presbyopia Symptoms

presbyopia in hindi

प्रेसबायोपिया के 7 प्रमुख लक्षण हो सकते हैं-

  • नजदीक की चीजें ठीक से दिखाई नहीं देतीं।
  • छोटे अक्षरों को पढ़ने में परेशानी होती है, जैसे किताब, मोबाइल, या कंप्यूटर स्क्रीन।
  • पढ़ते समय या नजदीक का काम करते समय आंखों में तनाव या थकान महसूस होती है।
  • पढ़ने या नजदीक का काम करने के लिए ज्‍यादा रौशनी की जरूरत महसूस होती है।
  • साफ दृष्टि पाने के लिए आंखों को बार-बार झपकाना पड़ता है।
  • पढ़ते समय या पास का काम करते समय सिरदर्द हो सकता है।
  • पढ़ने के लिए आंखों को दूर रखने की कोशिश करना।

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प्रेसबायोपिया के कारण- Presbyopia Causes 

प्रेसबायोपिया के पीछे कई कारण हो सकते हैं- आंखों के लेंस के लचीलापन और आकार बदलने की क्षमता का धीरे-धीरे कम होने के कारण प्रेसबायोपिया हो सकता है। कम उम्र में आंखों के लेंस में पर्याप्त लचीलापन होता है, जिससे यह आसानी से नजदीक और दूर की चीजों पर फोकस कर सकता है। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ, यह लेंस हार्ड हो जाता है और उसकी लचीली मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसका सीधा असर यह होता है कि आंखें नजदीक की चीजों पर ठीक से ध्यान केंद्रित नहीं कर पातीं, जिससे पढ़ने, मोबाइल देखने या अन्य निकट दृष्टि के कार्यों में मुश्किल होने लगती है। प्रेसबायोपिया आनुवंशिक हो सकता है, जिसका मतलब है कि आपके परिवार के सदस्यों को यह समस्या है, तो आपके भी इस बीमारी के विकसित होने की संभावना बढ़ सकती है। इसके अलावा, उम्र बढ़ने के साथ शरीर में होने वाले हार्मोनल और बायोलॉजिकल बदलाव भी इस बीमारी का कारण बन सकते हैं। 

प्रेसबायोपिया का इलाज- Presbyopia Treatment

प्रेसबायोपिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को प्रभावी ढंग से कंट्रोल किया जा सकता है। यहां कुछ आसान तरीके बताए गए हैं- 

  • प्रेसबायोपिया के ल‍िए इलाज का तरीका आसान है। दूर और पास का देखने के ल‍िए चश्‍मे का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।
  • प्रेसबायोपिया में कमजोर दृष्टि के ल‍िए कॉन्‍टैक्‍ट लेंस का इस्‍तेमाल भी क‍िया जाता है।
  • रिफ्रैक्टिव सर्जरी की मदद से लेजर का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है, ताक‍ि आंखों की लेंस की शक्‍त‍ि को बदला जा सके।
  • लेंस इम्प्लांट्स की मदद से आंखों में कृत्रिम लेंस डाले जाते हैं जो नजदीक और दूर दोनों की दृष्टि में सुधार कर सकते हैं।
  • हाल ही में नए आई ड्रॉप्‍स को मंजूरी म‍िली है, ज‍िसकी मदद से आंखों पर चश्‍मा लगाने की जरूरत नहीं होगी।

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image credit: advancedfamilyeyecare

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