प्रग्नेंसी हर महिला के लिए एक खास पल होता है। इस दौरान वह आने वाले बच्चे की तैयारियों में जुट जाती हैं। प्रेग्नेंसी कंफर्म होने के बाद घर का हर व्यक्ति बच्चे के लिए नई-नई प्लानिंग करने लगता है। डॉक्टर महिला की प्रेग्नेंसी को तीन चरणों में बांटते हैं। पहले तीन महिनों को पहली तिमाही (फर्स्ट ट्राइमेस्टर), चौथे से छठे महीने को दूसरी तिमाही (सेकंड ट्राईमेस्टर) और सातवें से नौवें महीने को तीसरी तिमाही (थर्ड ट्राईमेस्टर) के नाम से जाना जाता है। प्रेग्नेंसी के हर चरण में महिलाओं को अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। इस लेख में साईं पॉलीक्लीनिक की वरिष्ठ स्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विभा बंसल से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में महिलाओं को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
पहली तिमाही में क्या होता है? What Is First Trimester In Hindi
प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों को पहली तिमाही के नाम से जाना जाता है। इस दौरान महिला के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। साथ ही, यही वह समय होता है, जब मां के गर्भ में बच्चा बनाना शुरु होता है। इन तीन महीनों में बच्चे का सिर, हाथ, पैर, नाखून आदि विकसित होते हैं। जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी के सप्ताह और दिन बीतते हैं, वैसे-वैसे महिलाओं के शरीर में कुछ आवश्यक बदलाव होने लगते हैं।
प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में महिलाओ को होने वाली परेशानियां - Common Complications First Trimester During Pregnancy in Hindi
मॉर्निंग सिकनेस (उल्टी आना)
प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में महिला को उल्टी आने की समस्या हो सकती है। इसे मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है। दरअसल, ये समस्या एक माह की प्रेग्नेंसी के बाद दिखाई देती है। इस दौरान भ्रूण का विकास हो रहा होता है, ऐसे में हार्मोनल बदलाव की वजह से महिलाओं को उल्टी हो सकती है। यह समस्या मुख्य रूप से सुबह उठने के बाद महसूस होती है।
ब्रेस्ट में दर्द होना
प्रेग्नेंसी में हार्मोन का उतार-चढ़ाव तेजी से होता है, ऐसे में महिलाओं के स्तनों में दर्द होने लगता है। इस दौरान महिलाओं को ब्रेस्ट में सूजन भी महूसस हो सकती है। पहली तिमाही में ऐसा महसूस होना एक आम बात है।
रक्तस्राव होना
गर्भावस्था के पहली तिमाही के दौरान कुछ महिलाओं को ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। साथ ही, महिलाओं को ब्लड स्पॉट भी महसूस हो सकते हैं। दरअसल, जब बच्चा बनने की प्रक्रिया होती है, तो उस दौरान महिलाओं को ये लक्षण दिखाई दे सकता है। यह एक सामान्य समस्या हो सकती है, लेकिन इसमें आपको डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चााहिए।
बार-बार यूरिन आना
प्रेग्नेंसी के शुरु के तीन महीनों में महिलाओं को गर्भाशय बच्चे के लिए जगह बनाना शुरू कर देता है। ऐसे में ब्लेडर पर दबाव पड़ता है। जिसकी वजह से महिलाओं को बार-बार यूरिन आने लगती है। इस दौरान किडनी का कार्य बढ़ जाता है। जिससे बार-बार यूरिन जानें की इच्छा होती है।
पेट में जलन होना
गर्भावस्था में हार्मोन पेट और आहार (esophagus) के बीच के वाल्व को रिलेक्स कर देते हैं। इससे भोजन आहार नली से वापस मुंह में आने लगता है। इससे महिलाओं को पेट व सीने में जलन की समस्या महसूस होती है। प्रेग्नेंसी में तला-भूना, ज्यादा खाना खाने, जंक फूड खाने या मसालेदार भोजन करने से महिलाओं को पेट में जलन की समस्या हो सकती है।
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इसके अलावा, प्रेगनेंसी के पहली तिमाही में अधिकतर महिलाओं को थकान, कब्ज और किसी विशेष तरह के खाने की अधिक इच्छा होने लगती है। प्रेग्नेंसी के पहली तिमाही में महिलाओं को ऊपर बताए गए लक्षण महसूस होना आम बात है। यदि, समस्या ज्यादा हो, तो आपको बिना देरी किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
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