प्रेंग्नेसी की खबर मिलते हैं कि पूरे घर में खुशियों का माहौल शुरु हो जाता है। मां बनाना हर महिला के लिए एक खास अनुभव होता है। लेकिन, आज के दौर में खानपान की अनियमित आदतों के चलते महिला हो या पुरुष ज्यादातर लोगों को डायबिटीज और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शरीर में ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव होने पर आपको कई तरह की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। डायबिटीज की समस्या से पीड़ित महिलाओं को डॉक्टर कंसीव करने के दौरान कई तरह की सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं, क्योंकि डायबिटीज के दौरान प्रेग्नेंसी का चुनौती भरा हो सकता है। इस लेख में साईंं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि डायबिटीज से पीड़ित महिला को कंसीव करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
डायबिटीज और प्रेग्नेंसी का क्या कनेक्शन हो सकता है? - Connection between Diabetes And Pregnancy In Hindi
टाइप 1 और टाइप 2 दोनों ही प्रकार की डायबिटीज में शरीर का इंसुलिन प्रभावित होता है। जिससे ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है या असंतुलित हो जाता है। जब डायबिटीज वाली महिला कंसीव करती है तो इस दौरान डायबिटीज का स्तर भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है। इससे जेस्टेशनल डायबिटीज की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
कंसीव करने के बाद डायबिटिक महिलाओं के लिए जरूरी सावधानियां - Precautions That Women Should Take Women While Conceiving With Diabetes In Hindi
ब्लड शुगर कंट्रोल रखें
प्रेग्नेंसी में महिला को ब्लड शुगर लेवल कंंट्रोल में रखना चाहिए। क्योंकि अनियंत्रित ब्लड शुगर गर्भ में पलने वाले बच्चे के अंगों की ग्रोथ को प्रभावित कर सकते हैं। इसका प्रभाव 8 से 12 सप्ताह के बच्चे को होने का खतरा अधिक होता है।
फोलिक एसिड और विटामिन सप्लीमेंट
डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं को कंसीव करते ही फोलिक एसिड, आयरन और कैल्शियम जैसे सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देना चाहिए। इससे भ्रूण में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (NTD) जैसी समस्याएं रोकी जा सकती हैं।
मीठी चीजों से परहेज करना
डायबिटीज और गर्भावस्था दोनों ही स्थितियों में संतुलित आहार की भूमिका अहम होती है। ऐसे में महिलाओं को फाइबर युक्त आहार देने जैसे कि दलिया, चना, हरी सब्जियां का सेवन करने की सलाह देते हैं। साथ ही, प्रोटीन के सोर्स को बढ़ाने के लिए पनीर, अंडा आदि का सेवन कर सकते हैं। लो फैट मिल्क को डाइट में शामिल करें। साथ ही, बाहर का प्रोसेस्ड फूड, तला भूना और जंक फूड खाने से बचें।
व्यायाम और शारीरिक गतिविधि
डॉक्टर की सलाह के अनुसार हल्का व्यायाम जैसे वॉकिंग, योग, या प्रेगनेंसी पिलाटे करें। इससे शुगर स्तर नियंत्रित रहता है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।
डिलीवरी की योजना पहले से बनाएं
डायबिटिक महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी या सिजेरियन का खतरा अधिक होता है। इसलिए डिलीवरी की योजना पहले से बनाना जरूरी होता है।
डायबिटीज के साथ गर्भावस्था के संभावित खतरे - Potential Risks of Pregnancy With Diabetes in Hindi
- बच्चे का वजन अधिक होना (Macrosomia)। इस स्थिति में सामान्य डिलीवरी कठिन हो सकती है।
- मिसकैरेज या जन्मजात विकृति का जोखिम होना। अनियंत्रित शुगर से भ्रूण की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
- हाई ब्लड प्रेशर और प्री-एक्लेम्पसिया, ये दोनों मां के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
- नवजात में लो ब्लड शुगर होना। जन्म के बाद शिशु को भी शुगर की जांच की आवश्यकता होती है।
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डायबिटीज से पीड़ित महिला के लिए गर्भधारण एक चुनौतीपूर्ण लेकिन संभव यात्रा हो सकती है। यदि समय रहते उचित देखभाल, रेगूलर चेकअप, संतुलित आहार और जीवनशैली का पालन किया जाए, तो एक स्वस्थ मां और शिशु का सपना सच हो सकता है।
FAQ
क्या डायबिटीज की स्थिति में महिला सामान्य रूप से गर्भधारण कर सकती है?
हां, अगर ब्लड शुगर स्तर नियंत्रण में हो और नियमित चिकित्सकीय देखभाल हो तो डायबिटीज से पीड़ित महिलाएं भी स्वस्थ गर्भधारण कर सकती हैं।क्या गर्भधारण के दौरान इंसुलिन की डोज़ बदलनी पड़ती है?
हां, गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण इंसुलिन की आवश्यकता बढ़ सकती है। डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार डोज एडजस्ट करते हैं।डायबिटीज से ग्रसित महिला को डिलीवरी के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
डिलीवरी की योजना पहले से बनाएं, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें, और सिजेरियन या समयपूर्व डिलीवरी की संभावना को लेकर डॉक्टर से स्पष्ट चर्चा करें।