गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब महिला का शरीर कई शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तनों से गुजरता है। गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) इन्हीं परिवर्तनों में से एक हो सकता है। यह एक प्रकार का डायबिटीज होता है जो पहली बार गर्भावस्था के दौरान डायग्नोज होता है। इसमें शरीर इंसुलिन का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाता, जिससे ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। अगर, आपका शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता है तो इससे गर्भ में पलने वालेे बच्चे को भी शुगर की समस्या होने का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं महिलाओं को शुगर के बढ़ने पर खानपान की आदतों में कई तरह के बदलाव किये जाते हैं। ऐसे में महिलाओं के मन में प्रश्न उठता है कि क्या जेस्टेशनल डायबिटीज में दूध पी सकते हैं।
क्या महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज में दूध पी सकती हैं? - Can You Drink Milk With Gestational Diabetes in Hindi
इस लेख में एसेंट्रिक्स डाइट क्लीनिक की डाइटिशियन शिवाली गुप्ता से जानते हैं कि दूध पीना गर्भकालीन डायबिटीज में कितना फायदेमंद या हानिकारक हो सकता है?
दूध को एक संपूर्ण आहार माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन D, विटामिन B12, और फॉस्फोरस जैसे आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। गर्भावस्था में ये पोषक तत्व मां और शिशु दोनों के विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं। विशेष रूप से कैल्शियम, हड्डियों की ग्रोथ और मांसपेशियों की मजबूती के लिए आवश्यक है।
गर्भकालीन डायबिटीज में खानपान का बहुत महत्व होता है, क्योंकि जो भी आप खाती हैं, उसका सीधा असर ब्लड शुगर लेवल पर पड़ता है। दूध में मौजूद लैक्टोज शरीर में जाकर ब्लड में ग्लूकोज को बढ़ा सकता है। अगर दूध का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए या गलत समय पर किया जाए (जैसे खाली पेट या भोजन के तुरंत बाद), तो यह ब्लड शुगर को अचानक बढ़ा सकता है।
गर्भकालीन डायबिटीज में दूध पीने के फायदे - Benefits Of Drinking Milk In Gestational Diabetes in Hindi
कैल्शियम की पूर्ति
गर्भावस्था में शरीर को अधिक कैल्शियम की जरूरत होती है, ताकि शिशु की हड्डियां और दांत अच्छे से विकसित हो सकें। दूध इसका बेहतरीन स्रोत है।
प्रोटीन सप्लाई
दूध में उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन होता है जो भ्रूण के विकास और मां की मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने में सहायक होता है।
विटामिन D और B12
ये विटामिन्स हड्डियों की मजबूती और तंत्रिका तंत्र के लिए जरूरी होते हैं, जो दूध से आसानी से मिलते हैं।
गर्भकालीन मधुमेह में दूध पीने में सावधानियां - Precaution Tips While You Drinking Milk In Gestational Diabetes In Hindi
- फुल क्रीम दूध में फैट की मात्रा अधिक होती है, जिससे इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ सकता है। इसलिए लो-फैट दूध बेहतर विकल्प है।
- दूध को मुख्य भोजन से अलग समय पर लें, जैसे कि नाश्ते के साथ या दिन के किसी स्नैक टाइम में। इससे ब्लड शुगर का स्पाइक कम होता है।
- गर्भकालीन डायबिटीज में दिन भर में 1 से 2 कप (200–400 मिली) दूध पर्याप्त होता है। इससे अधिक मात्रा ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है।
- दूध पीने के बाद अगर ब्लड शुगर तेजी से बढ़ रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर मात्रा कम करें या वैकल्पिक स्रोतों पर विचार करें।
क्या दूध के अन्य विकल्प हो सकते हैं? - Milk Other Option In Gestational Diabetes In Hindi
अगर दूध से ब्लड शुगर प्रभावित हो रहा है, तो कुछ वैकल्पिक स्रोत अपनाए जा सकते हैं। आगे इनको बताया गया है।
- बादाम दूध (Almond Milk) में शुगर की मात्रा बहुत कम होती है और यह कैल्शियम से भरपूर होता है (लेकिन बिना मीठा वाला लें)।
- दही में लैक्टोज की मात्रा कम होती है और पाचन के लिए बेहतर होता है।
- सोया मिल्क में प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, लेकिन इसे भी अनस्वीटेंड रूप में ही लें।
जेनस्टेशनल डायबिटीज से बचने के क्या उपाय हो सकते हैं? - How To Avoid Gestational Diabetes?
गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) को मैनेज करने में केवल दूध की ही नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवनशैली और आहार की भूमिका होती है। ऐसे में आपको आगे बताए उपायों को अपनाना चाहिए।
- दिन में 5–6 छोटी मिल लेना शुरु करें।
- कार्बोहाइड्रेट की मात्रा नियंत्रित रखें।
- नियमित व्यायाम (जैसे वॉक या योग) करें।
- समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच करते रहें।
- मीठे और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।
इसे भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए अपनाएं ये 5 तरीके, ब्लड शुगर लेवल रहेगा कंट्रोल
गर्भकालीन मधुमेह में दूध पीना पूरी तरह मना नहीं है, लेकिन इसका सेवन सोच-समझकर और संतुलित मात्रा में किया जाना चाहिए। दूध मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है, लेकिन यदि ब्लड शुगर का स्तर अधिक हो रहा हो, तो डॉक्टर या डायटीशियन से सलाह जरूर लें।
FAQ
डायबिटीज से बचने का क्या उपाय है?
डायबिटीज की रोकथाम के लिए जीवनशैली में बदलाव करना जरूरी होता। इसके लिए नियमित रूप से चलना, तैराकी, योग आदि के माध्यम से शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की सलाह दी जाती है।डायबिटीज से बचने के लिए क्या नहीं खाना चाहिए?
ज्यादा सोडियम युक्त आहार से ब्लड शुगर में बढ़ोतरी हो सकती है। इस दौरान प्रोसेस्ड फूड, डिब्बा बंद सूप, अधिक तैलीय आहार और ज्यादा मीठे जूस का सेवन करने से बचना चाहिए।कौन सी जड़ी बूटी ब्लड शुगर को जल्दी कम करती है?
इंसुलिन रेजिस्टेंस होने पर व्यक्ति दालचीनी का सेवन कर सकते हैं। इससे ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। साथ ही, दालचीनी, फैट को बर्न करने में भी मदद करती है।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version