Pranayama to Balance Dosha: आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर का स्वास्थ्य वात, पित्त और कफ पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है। जब शरीर में इन तीनों का संतुलन होता है, तो व्यक्ति स्वस्थ और बीमारियों से मुक्त रहता है। लेकिन जब इनमें से किसी एक का भी संतुलन बिगड़ता है, तो व्यक्ति कई तरह की बीमारियों की चपेट में आने लगता है। इन तीनों को संतुलन में रखने के लिए आपको अपने आहार-विहार का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। लेकिन आजकल की खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह से अक्सर लोगों के शरीर में किसी-न-किसी दोष का असंतुलन रहता है। अगर आपके शरीर में भी वात, पित्त या कफ का असंतुलन है, तो आप इन्हें संतुलित करने के लिए कुछ प्राणायामों का अभ्यास कर सकते हैं। तो आइए, आज विश्व योग दिवस यानी International Yoga Day 2023 (21 जून को मनाया जाता है) के मौके पर जानते हैं ऐसे प्राणायामों के बारे में-
वात पित्त कफ को संतुलित करने के लिए प्राणायाम
1. कफ दोष को संतुलित करने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम
अगर आपकी कफ प्रकृति है, तो आपको सांस से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। जब कफ बढ़ता है, तो इसकी वजह से खांसी या जुकाम हो सकता है। इससे फेफड़ों में बलगम जमा होने लगता है। ऐसे में आपके लिए भस्त्रिका प्राणायाम करना फायदेमंद हो सकता है। इस प्राणायाम को करने से कफ दोष संतुलित होता है। कफ को संतुलन में लाने के लिए आप रोज सुबह खाली पेट भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। इसे करने के लिए सबसे पहले किसी शांत वातावरण में जमीन पर बैठ जाएं। अब अपने दोनों हाथों को गोद में रखें और आंखें बंद कर लें। इसके बाद गहरी सांस लें और पूरी तरह से छोड़ें। सांस लेने और सांस छोड़ने की प्रक्रिया को बार-बार दोहराते रहें। इससे आपको शुद्ध ऑक्सीजन मिलेगा और फेफड़े मजबूत बनेंगे। भस्त्रिका प्राणायाम करने से फेफड़ों में जमा बलगम भी आसानी से निकल जाता है। इससे इम्यूनिटी बूस्ट होती है, जिससे खांसी और जुकाम में भी आराम मिलता है।
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2. पित्त को संतुलित करने के लिए शीतली प्राणायाम
जब पित्त दोष होता है, तो शरीर में गर्मी बढ़ जाती है। इसकी वजह से चिड़चिड़ापन, गुस्सा और चक्कर आने जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। इतना ही नहीं, पित्त बढ़ने पर त्वचा से जुड़ी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। शरीर को ठंडा करके पित्त को संतुलन में लाया जा सकता है। इसके लिए आप शीतली प्राणाायम का अभ्यास कर सकते हैं। जैसे इसके नाम से ही पता चल रहा है कि इससे शरीर को ठंडक मिलती है। इस प्राणायाम को करने के लिए आप किसी शांत और आरामदायक जगह पर बैठ जाएं। अपने हाथों को घुटने पर रखें। इस दौरान आपकी हथेलियां ऊपर की तरफ होनी चाहिए। अब आंखें बंद करें। इसके बाद अपनी जीभ को मोड़ लें, सांस लें और फिर छोड़ें। आप इसे 1-2 मिनट तक कर सकते हैं। इससे आपका शरीर, मन और मस्तिष्क शांत होंगे। तनाव और गुस्सा शांत होगा। साथ ही, शरीर की गर्मी भी दूर होने लगेगी। दरअसल, शीतली प्राणायाम करने से शरीर में ठंडी हवा प्रवेश करती है, जिससे पित्त दोष संतुलन में आने लगता है।
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3. वात दोष को संतुलित करने के लिए अनुलोम-विलोम
वात को संतुलन में लाने के लिए आप अनुलोम विलोम का अभ्यास कर सकते हैं। इस प्राणायाम को करने से तनाव दूर होता है। साथ ही, शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है। अगर आप बहुत ज्यादा थकान या कमजोरी का अनुभव कर रहे हैं, तो इस स्थिति में इस प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। इसे करने के लिए पहले आरामदायक आसन में बैठ जाएं। अपनी कमर और गर्दन को सीधा रखें। फिर अपनी दोनों आंखें बंद कर लें। इसके बाद अपने दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिक को बंद करें और बाएं नथुने से धीरे-धीरे सांस लें। फिर बाईं नासिक को दाएं हाथ की अनामिका उंगली से बंद करें और सांस छोड़ें। फिर इसी प्रक्रिया को दोहराते रहें। आप इसे 10 मिनट तक कर सकते हैं। इससे वात को संतुलित करने में काफी मदद मिलती है।