वर्तमान में लोगों की लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव आ रहे हैं, इसके साथ ही रहन-सहन और खाने-पीने की आदतें भी बदल रही हैं। 90 के दशक में जहां ज्यादातर लोगों को कम शोर वाले गाने पसंद आते थे तो वहीं आजकल की जेनेरेशन रैप सॉन्ग और तेज आवाज में गाने सुनना ज्यादा पसंद करती हैं। वक्त के साथ-साथ लोगों की आदतें बदल रही हैं लेकिन कई बार पेरेंट्स की आदतों का बुरा असर शिशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ जाता है, जो कि उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। आजकल लोगों को तेज आवाज में गाने सुनना, डीजे पर डांस करना और पार्टी करना पसंद है, लेकिन इसका बुरा असर शिशुओं के कानों पर पड़ता है। कई बार पेरेंट्स अपने 2 से 6 महीने तक के बच्चों को शादी और पार्टियों में लेकर जाते हैं, जहां डीजे पर तेज आवाज में गाने बज रहे होते हैं, ऐसे में पेरेंट्स को इस बात का पता नहीं होता है कि इतनी तेज आवाज से बच्चा बहरेपन का शिकार हो सकता है। हाल ही में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और पीडियाट्रिशन डॉ. माधवी भारद्वाज (Dr Madhavi Bharadwaj) ने एक वीडियो पर शिशुओं के लिए तेज आवाज में गाने सुनने के नुकसान बताए हैं।
तेज म्यूजिक का शिशु के कानों पर असर - Effects Of Loud Music On Babies Ears In Hindi
डॉ. माधवी भारद्वाज ने अपने एक पेशेंट की कहानी बताते हुए कहा कि उनके पास एक पेरेंट्स आए जिनका बच्चा 6 महीने तक के सभी माइलस्टोन जैसे कि हंसना, आवाज पर रिएक्ट करना, गर्दन को संभालना आदि को समय से पूरा कर रहा था लेकिन अचानक अब बच्चा आवाज पर रिस्पॉन्ड नहीं कर रहा है। डॉक्टर ने बताया कि ये पेरेंट्स किसी शादी में गए थे जहां डीजे नाइट थी और तेज आवाज में गाने बज रहे थे, इस पार्टी के करीब 1 हफ्ते बाद से शिशु की मां ने नोटिस किया कि उनके बच्चे ने आवाज पर रिस्पॉन्ड करना बंद कर दिया है। ऐसे में जब डॉक्टर को दिखाने के बाद टेस्ट करवाया तो पता चला कि शिशु के नसों में चोट के कारण सुन नहीं पा रहा है। डॉक्टर ने बताया कि शिशु को तेज आवाज के कारण नर्व में चोट आई है, जिसके कारण उसकी सुनने की क्षमता कम हुई है, ऐसे में हो सकता है कि बच्चा कभी भी न सुन पाए।
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1. डॉक्टर ने बताया कि शिशु को अचानक अगर तेज आवाज सुनाई देगी तो इससे उनकी नर्वस कमजोर हो सकती हैं और बच्चा बहरेपन का शिकार हो सकता है।
2. तेज आवाज में कार में गाने सुनने के कारण बच्चे को उल्टी की शिकायत हो सकती है।
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ध्यान रखें ये बातें - Keep These Things In Mind
डॉक्टर ने कहा कि पुराने जमाने से अब की लाइफस्टाइल में बहुत बदलाव आ चुके हैं। आज के समय में लोगों का पार्टी करने का तरीका बदल चुका है लेकिन पेरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की फिजियोलॉजी में इम्च्योर नर्वस सिस्टम (child's physiology has an immature nervous system) होता है। ऐसे में पेरेंट्स को तेज आवाज में गाने सुनते वक्त इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. तीन महीने से छोटे बच्चों के लिए 60 डेसीबल से नीचे का साउंड होना चाहिए।
2. बच्चों के लिए 85 डेसीबल से ज्यादा का साउंड लंबे समय तक के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
3. 100 डेसीबल से ज्यादा का साउंड अचानक अगर बच्चों को सुनाई देता है तो इससे बच्चा बहरापन का शिकार हो सकता है।
4. डॉक्टर ने बताया कि कार में या थिएटर में और डीजे पर साउंड 100 डेसीबल से ज्यादा हो जाता है। ऐसे में 2 साल से छोटे बच्चों को इनसे दूर रखना चाहिए।
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