
इंटरनेट के बढ़ते प्रसार ने जहां सूचना का हाईवे बनाया। तो वहीं, दूसरी ओर बीमारियों, डिसऑर्डर्स और एडिक्शन्स की श्रृंखला भी। पोर्न एडिक्शन इंटरनेट से पहले भी था और आज भी। किसी को पोर्न देखना पसंद है, यह उसकी निजी पसंद हो सकती है, लेकिन जब यह पसंद किसी एडिक्शन में बदलने लगे तो चिंता का विषय बन जाती है। इंटरनेट ने पोर्न देखना और सुलभ और सस्ता बना दिया है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलोजी इंफोर्मेशन (NCBI) पर 2019 में छपे एक शोध के मुताबिक, पोर्न एडिक्शन की व्यापकता दर 3 से 6 फीसद तक होती है। हालांकि, इसकी व्यापकता को बता पाना भी मुश्किल है, क्योंकि इसकी कोई औपचारिक परिभाषा नहीं है। टीएमएस माइंडफुल जीके 2 में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक से जानते हैं इस पोर्न एडिक्शन के बारे में पूरी जानकारी। आगे पढ़ना जारी रखें...
पोर्न एडिक्शन क्या है?
डॉ. प्रज्ञा का कहना है कि पोर्न एडिक्शन तब कहा जाता है जब पोर्न की वजह से हमारी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होने लगे। इसका मतलब है कि आपकी रिलेशनशिप, आपके काम करने की क्षमता आदि पोर्न की वजह से प्रभावित होने लगे। पोर्न एडिक्शन को हाइपरसेक्शुअल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। जिसके अंतर्गत विभिन्न समस्याग्रस्त व्यवहार जैसे साइबरसेक्स, अत्यधिक हस्तमैथुन, पोर्नोग्राफी का उपयोग, टेलीफोन सेक्स, सहमति वाले वयस्कों के साथ यौन व्यवहार आदि शामिल हैं। जब कोई व्यक्ति भावनात्मक रूप से असंतुष्ट होता है तब वह पोर्न पर निर्भर होने लगता है।
पोर्न एडिक्शन के लक्षण
डॉक्टर प्रज्ञा का कहना है कि पोर्न देखने की लत अगर आपको लगातार 30 दिन तक लगी हुई है तब वह एडिक्शन कहलाएगा। इसके निम्न लक्षण होते हैं-
- पहले से ज्यादा एडिक्शन देखना।
- उसकी जिंदगी के बाकी काम प्रभावित होना।
- दिन का ज्यादा से ज्यादा पोर्न देखने में लगाना।
- अपने वेतन का बहुत बड़ा हिस्सा पोर्न देखने में लगाना।
- एडिक्शन की लत छोड़ने की चाहत होने पर भी न छोड़ पाना।
पोर्न एडिक्शन के कारण
डॉक्टर प्रज्ञा का कहना है कि जो लोग पोर्न देखते हैं वे ज्यादा समय पोर्न पर देने की वजह से एंग्जाइटी, डिप्रेशन आदि में चले जाते हैं। क्योंकि उन्हें ऐसा भी लगने लगता है कि वे बस वीडियो देखने के अलावा और कोई काम नहीं करते। डॉक्टर प्रज्ञा ने पोर्न एडिक्शन के निम्न कारण बताए हैं-
यौन संबंधों में असंतुष्टि
डॉक्टर प्रज्ञा का कहना है कि ऐसी बहुत सारे शोध हुए जिनमें निकलकर आया कि पोर्न की तरफ जाने का बड़ा कारण निजी यौन संबंधों में असंतुष्टि है। जब कोई व्यक्ति अपने पार्टनर से कम संतुष्ट हो पाता तब वह पोर्न एडिक्शन की तरफ जाता है।
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जिम्मेदारियों से किनारा
पोर्न एडिक्शन तब भी होता है जब कोई व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर रहा होता है। यह काम वह जानकर भी कर सकता और अनजाने में भी। ऐसा इसलिए भी होता है कि पोर्न देखने का ड्यूरेशन बढ़ता है और जो समय उसे दूसरे कामों में देना चाहिए वह व्यक्ति पोर्न में देखने में दे चुका होता है। ऐसे में उसे इरिटेशन भी होने लगती है।
मानसिक बीमारियां
कोई व्यक्ति इसलिए भी पोर्न देख सकता है कि उसे किसी तरह की मानसिक बीमारियां या तनाव। जिसे छुपाने के लिए वह ऐसा करता हो। इसके साथ ही किसी व्यक्ति को बायोलोजिकल प्रोब्लम हो सकती है कि वह इस एडिक्शन की ओर जाता है। पोर्न एडिक्शन वाला इंसान अपनी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा पोर्न देखने पर लग जाता है। सेक्स हमारे दिमाग के लिए हाइली रिवॉर्डिड बिहेवियर होता है। यह सीधे हमारे दिमाग में डोपामाइन रिलीज करता है। जब कोई व्यक्ति बार-बार पोर्न देखता है तब यह डोपामाइन एक्टिवेट होता है। इस वजह से यह एडिक्शन बढ़ने लगता है।
लाइफस्टाइल
अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से लोग पोर्न एडिक्शन की तरफ बढते हैं। इसमें मेंटली अनहेल्दी लाइफस्टाइल शामिल है।
परवरिश
हमारी परवरिश ऐसे माहौल में होती है जहां हमें बताया जाता है कि पोर्न नहीं देखना। और इंसानी दिमाग ऐसे काम करता है कि जिस चीज को देखने को मना किया जाता है हम वही देखते हैं। यह वजह भी है कि लोग पोर्न की तरफ बढ़ते हैं। अनहेल्दी कल्चरल नॉर्म की वजह से भी लोग पोर्न एडिक्शन की तरफ आकर्षित होते हैं। एक बार जाने के बाद वे उसमें ही शामिल हो जाते हैं।
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पोर्न एडिक्शन का इलाज
दवा
अगर आपको पोर्न एडिक्शन के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से मिलें। अगर कोई बायोलोजिकल अंतर आ गया है तो वह दवाओं से संतुलित हो सकता है। समय रहते आप इस एडिक्शन के जोखिमों से भी बच सकते हैं।
साइको थैरेपी
साइको थैरेपी में इंसान समझ पाता है कि उसे पोर्न जरूरत क्यों पड़ रही है। ऐसे पेशेंट्स को ऐसी ट्रेनिंग देनी चाहिए जिसमें अपनी लाइफ के साथ कोप-अप कर पाए। जिसकी वजह से तनाव न हो। साइको थैरेपी साइकोलॉजिकल स्ट्रेस के साथ संतुलन बनाने में भी मदद करती है।
लाइफस्टाइल में बदलाव
कुछ लोग अपनी बोरियत मिटाने के लिए भी पोर्न की तरफ बढ़ते हैं। उनके लाइफस्टाइल में परिवर्तन आते हैं जैसे किसी ऐसी संगत में पहुंच जाना जहां लोग ऐसी गतिविधियों में ज्यादा शामिल हों। या फिर किसी नई जगह शिफ्ट हो जाना। जहां बोरियत मिटाने के लिए पोर्न देखना। ऐसे में देखने की यह लत कब एडिक्शन बन जाती है यह उस व्यक्ति को खुद समझ नहीं आता कि वह उससे कैसे डील करे।
रिलेशनशिप काउंसलिंग
कुछ लोग अपनी काउंसिलंग करवा सकते हैं। एक्सपर्ट्स से मिल सकते हैं। इससे उनके रिश्ते में भी संतुलन आएगा और पोर्न की तरफ नहीं जाएगा।
आप क्या कर सकते हैं?
ऊपर जो उपाय बताए गए हैं वे डॉक्टरी मदद या किसी दूसरे की मदद से करने वाले हैं। लेकिन अगर आप खुद से पोर्न एडिक्शन छोड़ना चाहते हैं। तो आप निम्न तरीके अपना सकते हैं-
- आपने अपने फोन में जो भी सेक्स से संबंधी वीडियोज डाउनलोड किए हैं उन्हें डिलीट कर दें। सीडी वगैरह को भी खत्म कर दें।
- अपना पासवर्ड बदलवा सकते हैं।
- खुद को किसी रोचक गतिविधि में लगा सकते हैं। कोई ऐसा इंटरेस्ट जिसमें आपको उतना ही इंटरेस्ट आए जितना आपको पोर्न देखने पर आता था।
- खुद से समझें कि आप कितना समय पोर्न पर लगा रहे हैं। इससे आपकी रोजमर्रा की जिंदगी कैसे प्रभावित हो रही है।
- ट्रिगर्स को समझें। जिनकी वजह से आप पोर्न देखते हैं।
- खुद के लिए सपोर्ट ढूंढ़ें।
पोर्न की वजह से जब आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होने लगे तब उसे पोर्न एडिक्शन कहा जाता है। इसके लक्षणों को पहचानकर शुरूआती दौर में इससे बचा जा सकता है।
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