सोशल मीडिया से हर वक्त चिपके रहने वाले लोगों को आजकल कहीं भी बड़े आराम से देखा जा सकता है। हममे से भी कई लोग ऐसा करते हैं, लेकिन कहीं आपकी इस आदत ने लत का रूप तो नहीं ले लिया है? मुंबई के मनोवैज्ञानिक डॉ. दयाल मीरचंदानी के अनुसार, "यदि आपको वाईफाई न मिलने पर चिढ़ और गुस्सा आता है, तो यह आपके सोशल मीडिया की लत का शिकार होने का लक्षण है और ये संकेत है कि अब आपको इससे जल्दी निजात पा लेनी चाहिए।" ग्लोबल वेब इंडेक्स के अनुसार दुनियाभर में 2.307 अरब आबादी सोशल मीडिया पर सक्रिय है। चलिये विस्तार से जानें खबर -
डॉ. मीरचंदानी के अनुसार, ", सामान्य एडिकशन की तरह होता है, और इसमें जिस चीज़ का एडिकशन है, उसकी कमी खलती है।" इस लत के चलते टोके जाने पर आक्रामक हो जाना या फिर लोगों को नजरअंदाज करना आदि लक्षण स्वभाव में आ जाते हैं। डॉ. मीरचंदानी के मुताबिक कई बार उनके पास ऐसे मरीज़ आते हैं, जिनके अंगूठे टाइपिंग करने से बुरी तरह सूज जाते हैं।" वहीं बहुत सारे मरीज़ों की हालत 'रिपिटिव स्ट्रेन इंजरी' से गंभीर हो जाती है।
सोशल मीडिया के इस एडिकशन के संबंध में अन्य विशेषज्ञ कहते हैं कि, गुमनाम रहने और 'फेसलेस' रहने की आजादी के चलते लोग सोशल मीडिया की तरफ आकर्षित होते हैं। ऐसे में अब कई लोग न सिर्फ सोशल मीडिया के आदी बन रहे हैं बल्कि इसके जरिए अपराध के मामलों में भी बढ़त हुई है। मुंबई पुलिस के अनुसार साइबर क्राइम्स की गिनती एक साल में 37 से बढ़कर 286 तक पहुंच गई है। वहीं हाल ही में मुंबई पुलिस ने एक ऐसे आईटी प्रोफेशनल को पकड़ा है, जो पूरा दिन फेसबुक पर नकली प्रोफाइल बनाकर अंजान लड़कियों को फ्रेंड रिक्वेस्ट्स और फिर अश्लील मैसेजस भेजता था।
डॉ. मीरचंदानी सोशल मीडिया के इस्तेमाल की समय सीमा के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि, पूरे दिन में 4 से 5 घंटों के अंतराल पर एक बार सोशल मीडिया पर नज़र डालने में कोई समस्या नहीं है। सोशल मीडिया एडिक्डिशन से अनिद्रा जैसी समस्या भी आती हैं। इसलिए अपनी स्क्रीन पर ब्लू फिल्टर अवश्य लगवाएं। इसके अलावा रात में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलती नीली रोशनी हमारी आंखों के लिए बेहद हानिकारक होती है। डॉ. मीरचंदानी के अनुसार रात में फोन का इस्तेमाल ना के बराबर ही करना चाहिये, यहां तक कि अलार्म के लिए भी अलार्म क्लॉक का इस्तेमाल करना चाहिये।
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