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लंबे समय से हो रही थकान रोजमर्रा की जिंदगी पर कैसा असर डाल सकती है? आइए जानें डॉक्टर की राय

How Chronic Fatigue Syndrome Impacts Everyday Life: क्रोनिक थकान सिंड्रोम रोजमर्रा की जिंदगी पर कैसा असर डालता है? आइए इस सवाल का जवाब डॉक्टर से जान लेते हैं। 
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लंबे समय से हो रही थकान रोजमर्रा की जिंदगी पर कैसा असर डाल सकती है? आइए जानें डॉक्टर की राय

How Chronic Fatigue Syndrome Impacts Everyday Life: थकान की समस्या बहुत आम होती है। अगर कोई व्यक्ति दिनभर काम करता है, तो उसे थकान महसूस होती ही है। कई लोग फिजिकली मेहनत करते हैं, तो उन्हें शारीरिक थकान महसूस होती है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति दिमागी मेहनत करता है, तो वह अपने आपको मेंटली थका हुआ महसूस करता है। हालांकि, इन दोनों ही तरह की थकान में व्यक्ति कई अलग-अलग चीजें महसूस कर सकता है। यही वजह है कि आज के इस आर्टिकल में हम डॉ. अक्षय चुघ, कंसल्टेंट - इंटरनल मेडिसिन, मेट्रो हॉस्पिटल, नोएडा (Dr. Akshay Chugh, Consultant - Internal Medicine, Metro Hospital, Noida) से जानेंगे कि लंबे समय से चली आ रही थकान या यूं कहें कि क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का सामना कर रहे व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी पर इस बीमारी का कैसा असर होता है? आइए इस सवाल का जवाब विस्तार से जान लेते हैं।  

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम क्या है?- What is Chronic Fatigue Syndrome

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क्रोनिक फटीग सिंड्रोम (CFS) या मायलजिक एन्सेफालो मायलाइटिस (ME/CFS) एक जटिल और अक्सर गलत समझा जाने वाला रोग है, जो बहुत ज्यादा और लगातार होने वाली थकान का कारण बन सकता है। बता दें कि यह थकान आराम करने से भी ठीक नहीं होती और व्यक्ति की रोजमर्रा की गतिविधियों पर गहरा असर हो सकता है। आइए जानते हैं कि इस रोग का असर डेली एक्टिविटी पर कैसा होता है?

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का जिंदगी पर कैसा होता है असर?- How Does Chronic Fatigue Syndrome Affect Life

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम की समस्या के कारण व्यक्ति को रोजमर्रा की जिंदगी में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए इस बारे में जानते हैं:

शारीरिक असर (Physical Effects)

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का सबसे प्रमुख लक्षण लगातार थकान रहना है। यह थकान 6 महीने या उससे अधिक समय तक बनी रहती है और किसी खास बीमारी से जुड़ी नहीं होती है। ऐसे में मरीज सामान्य काम जैसे नहाना, कपड़े पहनना या थोड़ी दूर पैदल चलना भी नहीं कर पाता है। इसके अलावा, पोस्ट-एक्सर्शनल मेलाइज (PEM) यानी किसी शारीरिक या मानसिक मेहनत के बाद लक्षणों का अचानक बढ़ने का खतरा बना रहता है। इस स्थिति में मरीज किसी काम के बाद कई दिनों तक बिस्तर पर रह सकते हैं। इसके साथ ही, नींद संबंधी समस्याएं जैसे कि पूरी नींद के बाद भी थकान महसूस होना, अनिद्रा या ज्यादा नींद आना आम बातें हैं।

मानसिक और संज्ञानात्मक चुनौतियां (Mental and Cognitive Challenges)

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम में "ब्रेन फॉग" यानी एक तरह की मानसिक धुंध भी देखी जाती है। इससे एकाग्रता, याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है।  इस स्थिति में कई मरीज पढ़ाई या नौकरी छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। यह मानसिक रूप से लोगों को कमजोर कर देता है और आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।

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भावनात्मक और सामाजिक प्रभाव (Emotional and Social Effects)

लंबे समय से चली आ रही थकान की समस्या का सामना कर रहे मरीजों को सामाजिक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। थकान के कारण वे दोस्तों और परिवार से दूर हो जाते हैं। उन्हें बार-बार "तुम तो ठीक दिख रहे हो" जैसी बातें सुननी पड़ती है। इससे उन पर मानसिक दबाव बढ़ जाता है। ऐसे में व्यक्ति को डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी स्थितियां भी महसूस हो सकती हैं। ऐसे में रिश्तों में तनाव आ सकता है।

इलाज और प्रबंधन का तरीका?- Treatment And Management Method

बता दें कि क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का कोई निश्चित इलाज नहीं है, इसलिए लक्षण-आधारित प्रबंधन ही इसका मुख्य ट्रीटमेंट है। इससे बचाव के लिए मरीजों को दवाइयां, पोषण सलाह, CBT (Cognitive Behavioral Therapy), धीरे-धीरे गतिविधियों में वृद्धि (Graded Exercise) और मानसिक सहयोग जैसी चीजों की मदद लेनी चाहिए।

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कुल मिलाकर, क्रोनिक फटीग सिंड्रोम केवल थकान नहीं है। यह एक गंभीर, दुर्बलता लाने वाली स्थिति है, जो जीवन की क्वालिटी पर बुरा असर डालती है। इसका समय पर निदान, उचित देखभाल और सहानुभूतिपूर्ण समझ जरूरी है। आपको इस तरह के लोगों पर दबाव नहीं बनाना चाहिए। उन्हें अच्छा ट्रीटमेंट और सहारा मिलना जरूरी है। 

FAQ

  • क्रोनिक थकान सिंड्रोम दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करता है?

    क्रोनिक थकान सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को नियमित वर्क शेड्यूल बनाए रखने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में काम को जारी रखने के लिए वे सामाजिक और पारिवारिक गतिविधियों को सीमित कर सकते हैं। वहीं गंभीर मामलों में लोग व्हीलचेयर पर निर्भर हो सकते हैं और महीनों तक घर या बिस्तर पर ही रह सकते हैं। 
  • क्या पुरानी थकान के साथ जीवन जी सकते हैं?

    क्रोनिक थकान सिंड्रोम के साथ जीना मुश्किल हो सकता है। बहुत ज्यादा थकान और अन्य शारीरिक लक्षण डेली की गतिविधियों को पूरा करना मुश्किल बना सकते हैं।
  • पुरानी थकान के साथ नौकरी कैसे करें?

    लचीले काम के घंटे या घर से काम कर सकते हैं। काम के बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहें। आपको अपने ऊपर ज्यादा दबाव नहीं लेना चाहिए। धीरे-धीरे अपने कार्यों को पूरा करने की कोशिश करें।

 

 

 

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