
कई लोगों को बिल्ली पालने का शौक होता है। किसी के घर में एक तो किसी के घर में एक से ज्यादा बिल्लियां होती हैं। ऐसे में पेट लवर्स के लिए एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है जिसमें कहा गया है कि बिल्ली पालने या उसे छूने से मानसिक डिसआर्डर सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) का खतरा बढ़ सकता है। Dr. Naveen Kumar Dhagudu, Senior Consultant Psychiatrist At Yashoda Hospitals, Hyderabad ने बताया कि इस स्टडी के नतीजों को सही तरह से समझना जरूरी है। यह स्टडी कारण और परिणाम (Cause-Effect) नहीं बताती, बल्कि सिर्फ एक संबंध दिखाती है। इस लेख में जानेंगे स्टडी में सामने आई बातें और उस पर एक्सपर्ट की राय जिससे पता चल सके कि क्या वाकई बिल्ली पालने से मानसिक डिसआर्डर सिजोफ्रेनिया हो सकता है?
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बिल्ली पालने से सिजोफ्रेनिया हो सकता है: स्टडी
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि बिल्ली पालने से मानसिक समस्या सिजोफ्रेनिया का खतरा बढ़ जाता है। इस स्टडी में पाया गया कि बिल्लियों के संपर्क में आने वाले लोगों में सिजोफ्रेनिया विकसित होने की संभावना लगभग दोगुनी होती है। इस रिसर्च के लिए पिछले 44 साल में हुई 17 अन्य स्टडीज का विश्लेषण किया गया। इसमें कुल 11 देशों का डेटा शामिल किया गया और पाया गया कि जिन लोगों के पास बिल्ली होती है, उनमें सिजोफ्रेनिया का जोखिम दोगुना हो जाता है।
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बिल्ली पालने से मानसिक बीमारी होने का कनेक्शन नहीं है: Dr. Naveen, Psychiatrist

यह शोध पहले से मौजूद उन स्टडीज को आगे बढ़ाता है, जिसमें मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया और टोक्सोप्लाज्मा गोंडी (Toxoplasma Gondii) नाम के छोटे से परजीवी के बीच संबंध देखा गया था। यह परजीवी बिल्ली के मल में पाया जाता है। Dr. Naveen Kumar Dhagudu ने बताया कि टोक्सोप्लाज्मोसिस पर कई सालों से रिसर्च हो रही है, क्योंकि यह दिमाग पर हल्का असर डाल सकता है जैसे न्यूरोट्रांसमीटर (डोपामिन) और इन्फ्लेमेशन पर, लेकिन ज्यादातर लोग जो इस परजीवी के संपर्क में आते हैं, उन्हें कोई लक्षण या मानसिक समस्या नहीं होती। कभी-कभी यह बीमारी, इंफेक्शन या इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया से जोखिम बढ़ सकता है, लेकिन यह कुल कारणों का बहुत छोटा हिस्सा है। बिल्ली पालना या कभी-कभी उसे दुलारना चिंता की बात नहीं होनी चाहिए।
सिजोफ्रेनिया के पीछे कई कारण हो सकते हैं- Causes Of Schizophrenia
सिजोफ्रेनिया एक मल्टीफैक्टोरियल बीमारी है यानी यह कई वजहों से मिलकर होती है। इसमें बचपन की कठिन परिस्थितियां, तनाव (Stress), जेनेटिक कारण और दिमाग में केमिकल्स का असंतुलन, सब मिलकर असर डालते हैं। न्यूरॉन्स के बीच कनेक्शन कम होना और दिमाग की सर्किट में गड़बड़ी आने से व्यक्ति की सोच, समझ, अनुभव और व्यवहार प्रभावित होता है।
बिल्ली पाल रहे हैं तो रखें इन बातों का ख्याल- Health Precautions If You Own A Cat
- बिल्ली का लिटर बॉक्स साफ करने के बाद हाथ अच्छे से धोएं।
- किसी भी पालतू जानवर के हाइजीन का ख्याल रखेंगे, तो आप खुद भी बीमारियों से बच सकेंगे और पालतू जानवर भी हेल्दी रहेगा।
- साधारण साफ-सफाई के उपाय ही काफी हैं। जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है और गर्भवती महिलाएं थोड़ा ज्यादा ध्यान रखें।
- बिल्लियां, हम इंसानों को भावनात्मक सहारा देती हैं, अकेलापन, तनाव और चिंता कम करती हैं। ऐसे में बिल्ली पालने के फायदे, मानसिक स्वास्थ्य के लिए जोखिमों से कहीं ज्यादा हैं।
निष्कर्ष:
डॉक्टर के मुताबिक बिल्ली को पालने से सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी नहीं होती, बिल्लियां मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती हैं क्योंकि पालतू जानवरों से हमें भावनात्मक सहारा मिलता है।
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FAQ
सिजोफ्रेनिया क्या है?
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति की सोच, भावनाएं और व्यवहार प्रभावित होते हैं। इसमें वास्तविकता और कल्पना के बीच फर्क करना मुश्किल हो जाता है।सिजोफ्रेनिया के लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षणों में आवाजें सुनाई देना, गलत मान्यताएं, उलझे विचार, असामान्य व्यवहार, सामाजिक दूरी, भावनात्मक कमी और एकाग्रता में कमी शामिल है।सिजोफ्रेनिया रोग कैसे ठीक होता है?
सिजोफ्रेनिया का इलाज दवाओं, नियमित मनोवैज्ञानिक थेरेपी, परिवार की मदद और जीवनशैली में सुधार करने से होता है। एंटीसाइकोटिक दवाओं से लक्षणों को कंट्रोल किया जाता है।
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Nov 18, 2025 15:18 IST
Published By : Yashaswi Mathur