आज के समय में हर कोई सेहतमंद रहने की कोशिश करता है। जीवन को सक्रिय रूप से चलाने के लिए योग-ध्यान का काफी महत्व माना जाता है। कई लोग मन को शांत और शरीर को फिट रखने के लिए सुबह-शाम योग करना पसंद करते है। इसके अलावा समय के अभाव में आप सुबह या केवल शाम में भी योग कर सकते हैं। योग से न केवल आपका शरीर फिट रहता है बल्कि मानसिक विकार और गलत भावनाएं भी दूर रहती है। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इससे दिनभर के कामों में भी आपका मन लगा रहता है और आपको थकान का भी अनुभव नहीं होता है। ऐसा ही एक योग है पर्वतासन। पर्वतासन की मदद से शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। साथ ही इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। आइए इस योगासन के फायदे और करने के तरीके के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पर्वतासन योग के फायदे
1. पर्वतासन की मदद से आपका ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है और पूरे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है और सभी अंगों में रक्त संचार का सुधार होता है।
2. इसके अभ्यास से आपके पोश्चर में सुधार रहता है। अगर आप वर्क फ्रॉम होम या ज्यादा देर तक बैठकर काम करते है, तो यह योगासन आपके लिए काफी फायदेमंद है। इससे शरीर को स्ट्रेच करने और रीढ़ की हड्डियों को लचीला बनाने में भी मदद करता है।
3. इससे शरीर को संतुलन बनाने में भी मदद मिलती है। पर्वतासन से हाथ, कंधे और हैमस्ट्रिंग को मजबूत करने में मदद मिलती है।
4. इससे पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलती है और पाचन के लिए जरूरी सभी रसों का स्त्राव होता है। जिससे अपच और कब्ज की समस्या नहीं रहती है।
5. इस योगासन की मदद से दिमाग को शांत और ध्यान केंद्रित रखने में मदद मिलती है। इससे स्ट्रेस, एंग्जाइटी और माइल्ड डिप्रेशन को दूर करने में सहायता मिलती है।
6. इससे अभ्यास से शरीर के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन का सही ढंग से प्रवाह होता है, जिसके कारण आप स्वस्थ और शांति का अनुभव करते हैं।
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पर्वतासन योग करने का तरीका
1. योग मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
2. पैरों को सामने फैलाकर हाथों को शरीर के बगल में रखें। फिर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
3. दाहिना पैर बाईं जांघ पर और बायां पैर दाईं जांघ पर रखें।
4. अब 5 सेकेंड धीमी और गहरी सांस लें।
5. नमस्कार मुद्रा में हथेलियों को मिलाएं।
6. हाथों को सिर के ऊपर की ओर खींचे।
7. हिप्स को जमीन पर रखें और हाथों को ऊपर की ओर खींचे। इस दौरान शरीर में आप खिंचाव का अनुभव करते हैं।
8. 30-40 सेकेंड के लिए इस मुद्रा को करें।
9. सामान्य रूप से सांसों को छोड़ते हुए हाथों को नीचे कर लें।
10 अब धीरे-धीरे प्ररांभिक मुद्रा में वापस आ जाएं।
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सावधानियां
1. रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर इस आसन को न करें।
2. डायरिया और अस्थमा की समस्या होने पर ये योगासन न करें।
3. गर्दन में दर्द या अकड़न होने पर पर्वतासन न करें।
4. कंधे या हाथ में दर्द होने पर हाथों को ऊपर न उठाएं।
5. घुटने में दर्द या आर्थराइटिस होने पर दीवार के सहारे ही अभ्यास करें।
6. इस आसन को ट्रेनर की देखरेख में ही करने की कोशिश करें।
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