आज की तेज रफ्तार जिंदगी और असंतुलित खानपान की आदतों के चलते कई लोग पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। खासकर फास्ट फूड, मसालेदार भोजन, असमय खाना खाने की आदत और तनावपूर्ण लाइफस्टाइल के कारण दस्त (अतिसार) जैसी परेशानियां आम होती जा रही हैं। यह समस्या न केवल शरीर को डिहाइड्रेट कर देती है, बल्कि थकावट, कमजोरी और पोषक तत्वों की कमी जैसी समस्याएं भी उत्पन्न कर सकती है। ऐसे में आयुर्वेदिक उपायों से लाभ मिल सकता है। पलाश की गोंद एक नेचुरल और प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जो दस्त, प्रवाहिका (डिसेंट्री) और पेट की गर्मी जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी मानी जाती है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, दस्त की समस्या में पलाश की गोंद का उपयोग और फायदे क्या हैं?
दस्त में फायदेमंद है पलाश की गोंद - Palash Gond For Diarrhoea
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि पलाश वृक्ष से प्राप्त यह गोंद कई फायदों के लिए जानी जाती है। डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, पलाश की गोंद विशेष रूप से अतिसार (डायरिया), प्रवाहिका (डिसेंट्री) तथा GERD (गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज) जैसी पाचन संबंधी समस्याओं में अत्यंत लाभकारी मानी गई है।
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अतिसार, जिसे आम भाषा में दस्त कहा जाता है, एक सामान्य लेकिन कभी-कभी गंभीर पाचन विकार है। यह शरीर से अत्यधिक जल और इलेक्ट्रोलाइट्स की हानि का कारण बनता है। प्रवाहिका एक प्रकार का संक्रमण है जिसमें पतले दस्त के साथ रक्त और श्लेष्मा (mucus) निकलता है। डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि पलाश की गोंद इन दोनों स्थितियों में अत्यंत प्रभावी औषधि के रूप में कार्य करती है।
पलाश की गोंद में आंतों की गंदगी को सोखने और मल को सामान्य करने में मदद करती है। यह गोंद आंतरिक सूजन को कम करती है और म्यूकोसल लाइनिंग (आंत की परत) को प्रोटेक्ट करती है। नियमित रूप से सीमित मात्रा में इसका सेवन करने से बार-बार शौच जाने की समस्या कंट्रोल होती है और आंतरिक संतुलन बना रहता है।
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GERD और अम्लपित्त में राहत
GERD यानी गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज, एक ऐसी स्थिति है जिसमें भोजन करने के बाद पेट का अम्ल गले की ओर वापस आ जाता है, जिससे गले में जलन, खट्टा पानी आना और सीने में जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। डॉ. शर्मा के अनुसार, पलाश की गोंद इस स्थिति में भी लाभकारी होती है।
पलाश की गोंद के शीतल और शांतिदायक गुण पेट की अम्लता को कम करते हैं और आहारनली (esophagus) की परत को सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह गोंद आंतरिक सूजन को शांत करती है और एसिड रिफ्लक्स की तीव्रता को घटाती है। जो लोग भोजन के बाद खट्टा पानी आने या पेट में भारीपन महसूस करते हैं, वे नियमित रूप से पलाश की गोंद का सेवन करने पर राहत अनुभव कर सकते हैं।
पलाश की गोंद का उपयोग
पलाश की गोंद का उपयोग आयुर्वेदिक पद्धति में सामान्य तौर पर पाउडर या छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में किया जाता है। इसे गुनगुने पानी में भिगोकर सेवन किया जाता है। कुछ लोग इसे मिश्री या शहद के साथ भी मिलाकर लेते हैं ताकि इसका स्वाद संतुलित हो जाए और यह शरीर को एनर्जी भी प्रदान करे। डॉ. शर्मा सलाह देते हैं कि यदि आप पलाश की गोंद का प्रयोग पहली बार कर रहे हैं, तो इसे किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि हर व्यक्ति की पाचन शक्ति और प्रकृति भिन्न होती है।
निष्कर्ष
पलाश की गोंद, अतिसार, प्रवाहिका और GERD जैसी समस्याओं में एक सरल लेकिन प्रभावी उपचार प्रदान करती है। यदि आप बार-बार पेट की खराबी, खट्टा डकार या दस्त जैसी समस्याओं से परेशान हैं, तो पलाश की गोंद आपके लिए एक प्राकृतिक समाधान बन सकती है बस जरूरत है सही जानकारी और संतुलित सेवन की।
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FAQ
दस्त क्यों लगते हैं?
दस्त लगने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम कारण है संक्रमित भोजन या पानी का सेवन। इसके अलावा ज्यादा ऑयली, मसालेदार या असंतुलित भोजन करना, तनाव, ऐंटिबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन, पेट में वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण और पाचन तंत्र की गड़बड़ियाँ भी दस्त का कारण बन सकती हैं।दस्त बंद होने के लिए क्या करना चाहिए?
दस्त बंद करने के लिए सबसे पहले शरीर में पानी की कमी को पूरा करना जरूरी होता है, इसलिए ORS घोल, नारियल पानी या सादा पानी बार-बार पीते रहें। हल्का और सुपाच्य भोजन करें जैसे खिचड़ी, दही-चावल या केला।पलाश के गोंद के क्या फायदे हैं?
पलाश की गोंद आयुर्वेद में एक प्रभावशाली औषधि मानी जाती है, जो विशेष रूप से पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक होती है। यह दस्त (अतिसार), प्रवाहिका (डिसेंट्री) और पेट की जलन जैसी समस्याओं में लाभकारी होती है।