व्यस्तता, भागदौड़ और कामकाज के दबाव के चलते सेहत का ध्यान रखना बहुत ही मुश्किल भरा हो जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य के प्रति सर्तकता बरतना बेहद जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के मुताबिक, काम के दबाव और ऑफिस में लगातार घंटों बैठकर काम करने भारी पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, ऑफिस में काम के दबाव के कारण होने वाले तनाव और थकान को बीमारी मान लिया गया है। जिसके लगातार लोग शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी को बर्नआउट नाम दिया गया है। इस बीमारी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज की सूची में शामिल कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के अनुसार बर्न आउट ऑफिस में होने वाले काम के बोझ, तनाव और थकान की वजह से पैदा होता है। बर्नआउट सिंड्रोम वर्किंग लोगों से जुड़ा है।
क्या है बर्नआउट सिंड्रोम
काम के अधिक बोझ के कारण होने वाले तनाव और चिड़चिड़ेपन को बर्नआउट कहते हैं। यह एक तरह का सिंड्रोम है, जो नौकरी-पेशे वाले लोगों से जुड़ी बीमारी है। इस बीमारी का अभी तक कोई सफल इलाज नही मिला है। विशेषज्ञों नें इसे एक बीमारी के रूप में वर्गीकृत कर दिया है। यदि आपका किसी काम को करने में मन नहीं लगता, शारीरिक और मानसिक रूप से थकान महसूस होती हो और ऐसा लगता हो कि आप में काम करने की ऊर्जा नहीं है, तो आप सर्तक हो जाएं। इन सब बातों का बर्नआउट सिंड्रोम की तरफ इशारा हो सकता है।
WHO के अनुसार बर्नआउट के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बर्नआउट सिंड्रोम के मुख्यत: तीन लक्षण हैं। जिन लक्षणों से आप पता लगा सकते हैं कि कहीं आप भी तो इस बीमारी का शिकार नहीं हो रहे हैं। क्योंकि काम के दबाव के कारण यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। बर्नआउट धीरे-धीरे होता है। आपको कई बार इसे समझने में वक्त लगता है कि आप सच में बर्नआउट के शिकार हो रहे हैं या नहीं। इसलिए यदि आपको यह लक्षण दिखें, तो तुरंत सर्तक हो जाएं।
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थकान व ऊर्जा की कमी
यदि आपको शारीरिक व मानसिक रूप से थकान महसूस हो, आपका काम करने में मन ना लगे या फिर इन सब कारणों की वजह से आपकी कार्यक्षमता पर असर होने लगे। यह सभी कारण बर्नआउट सिंड्रोम के प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा आपके अंदर प्रेरणा की कमी महसूस होने लगे, कोई भी चीज आपको काम करने के लिए प्रेरित न कर सके यह भी बर्नआउट का संकेत हो सकते हैं। इसमें आपकी सुबह ही थकान भरी शुरू होती है और आप कहीं न कहीं जबरन कुछ काम करते हैं।
नकारात्मक भावनाएं
ऐसे में आप अपने काम पर फोकस नहीं कर पाते और काम करते हुए आपके मन में अलग-अलग विचार आते हैं। आपका काम में ध्यान नहीं लगता और निराशवादी होने लगते हैं। इसके अलावा स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है और घर, दोस्तों और ऑफिस में भी किसी ज्यादा बात न करना बर्नआउट के लक्षण हैं। इसमें आपको नशीले पदार्थों या एल्कोहल लेने की इच्छा होती है और आपको भूख भी कम लगती है। आप काम पर प्राथमिकता तय नहीं कर पाते।
तनाव
बर्नआउट में काम के दबाव के कारण व्यक्ति तनाव का शिकार होने लगता है। जिसके चलते वयक्ति पूरी नींद नहीं ले पाता और घर-परिवार और ऑफिस में भी बात करना बिलकुल बंद कर देता है। वह शारीरिक रूप से तो सबके बीच मौजूद होता है लेकिन उसका मन वहां नहीं होता।
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बचाव के तरीके
- यदि आपको तनाव महसूस हो रहा हो, तो आप तनाव को दूर करने के लिए योग को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करें।
- भूख कम लगने पर भी आप जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर फल, सब्जी व अनाज को अपनी डाइट में शामिल करें।
- ऑफिस के काम को घर पर न करें, और परिवार व दोस्तों के साथ वक्त बिताएं।
- मनोरोग विशेषज्ञ की सलाह लें। क्योंकि बर्नआउट के चलते आप हृदय रोग और डायबिटीज टाइप-2 के शिकार भी हो सकते हैं।
- ऐसे काम करें जिनसे आपको खुशी मिलती हो, इससे आपका तनाव दूर होगा और बर्नआउट से बचाव होगा।
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