बॉलीवुड एक्ट्रेस और पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन पिछले कई सालों से बड़े पर्दे पर नहीं दिखी हैं। हाल में दिए एक इंटरव्यू में सुष्मिता ने बताया कि 2014 के आस-पास उनकी सेहत काफी बिगड़ गई थी, जिसके कारण डॉक्टरों ने उन्हें एक्टिंग छोड़ने की सलाह दी थी। इस दौरान सुष्मिता को बहुत सारी परेशानियों से गुजरना पड़ा। सुष्मिता अपनी जिस बीमारी का जिक्र कर रही हैं, उसका इलाज आसान नहीं है। मगर फिर भी सुष्मिता ने हार नहीं मानी। इस दौरान वो इंस्टाग्राम और ट्विटर पर लगातार अपने फैंस से जुड़ी हुई थीं।
'हार्मोन की कमी' से जूझ रही थीं सुष्मिता सेन
'वीमेन वी लव' शो में राजीव मसंद को दिए अपने इंटरव्यू में सुष्मिता ने पहली बार अपनी बीमारी के बारे में खुल कर बात की है। उन्होंने बताया कि 2014 में जब वो बंगाली फिल्म 'निरबाक' की शूटिंग खत्म कर रही थीं, उस दौरान वो गंभीर रूप से बीमार हुईं। सुष्मिता के अनुसार वो बीमारी के कारण बेहोश होकर गिर गई थीं। इसके बाद उन्हें डॉक्टर के पास पहुंचाया गया और जांच के बाद पता चला कि उनके शरीर में एक खास हार्मोन की कमी है, जिसे 'कार्टिसोल' कहते हैं। कार्टिसोल हार्मोन एड्रिनल ग्लैंड बनाता है। सुष्मिता ने बताया कि उनके एड्रिनल ग्लैंड ने कार्टिसोल हार्मोन बनाना लगभग बंद कर दिया था।
जीने के लिए हर 8 घंटे में लेती थीं स्टेरॉइड
कार्टिसोल हार्मोन का उत्पादन पूरी तरह रुक जाने पर शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। सुष्मिता ने बताया कि वो बिल्कुल बाउंड्री लाइन तक पहुंच गई थीं, मगर फिर उन्होंने हार नहीं मानी। डॉक्टरों ने बताया अगर उन्हें जिंदा रहना है, तो हर 8 घंटे में एक खास स्टेरॉइड लेना पड़ेगा, जिसे 'हाइड्रोकॉर्टिजोन' कहते हैं। सुष्मिता ने डॉक्टरों के बताए ट्रीटमेंट को शुरू किया, मगर इसके बाद के 2 साल उनके लिए बहुत तनाव और परेशानियों भरे रहे।
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चेहरे पर सूजन और झड़ते बालों से परेशान थीं सुष्मिता
सुष्मिता ने बताया कि इलाज के दौरान उन्हें बहुत तनाव रहने लगा था। उन्होंने अपने आप पर तंज़ करते हुए कहा, "मैं लोगों की नजर में रहती हूं, क्योंकि मैं पूर्व मिस यूनिवर्स रही हूं। मेरे बाल झड़ने लगे थे और चेहरे पर सूजन आ गई थी।" उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें जिस स्टेरॉइड को लेने की सलाह दी थी, उसके कई साइड इफेक्ट्स थे। उनका वजन बढ़ने लगा था और हड्डियां कमजोर होने लगी थीं। ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता था। सुष्मिता कहती हैं, "मैं बहुत-बहुत ज्यादा बीमार थी। मैं 2 बच्चों की सिंगल मॉम हूं और मेरे बच्चों को मेरी जरूरत थी। इसलिए मेरे साथ जो कुछ घट रहा था, वो मुझे बहुत डरा रहा था।"+
लंदन और जर्मनी में हो रहा था इलाज
सुष्मिता बताती हैं कि 2014 से 2016 के बीच वो अपनी जिंदगी में काफी परेशान थीं। उन्होंने बताया, "मैं इलाज के लिए लंदन गई, जर्मनी गई। इन दोनों ही जगह पर मेरा एक खास टेस्ट हुआ, जिसे 'सायनैक्टेन टेस्ट' कहते हैं। टेस्ट के बाद दोनों ही जगह यही बताया गया कि मुझे जीने के लिए लगातार स्टेरॉइड्स लेना पड़ेगा। मैं ये जानकर बहुत घबरा गई क्योंकि उस स्टेरॉइड का अपने शरीर पर प्रभाव मैं देख रही थी। सूजन के कारण मेरी आंखें नहीं खुल पाती थीं और मेरी नजर भी कमजोर होने लगी थी।"
लोगों से जुड़ने के लिए आईं इंस्टाग्राम पर
सुष्मिता ने बताया कि वो नहीं चाहती थीं कि लोगों को उनके बारे में अखबारों और आर्टिकल्स से आधी-अधरी जानकारी मिले या उनके बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाए। इसलिए वो इंस्टाग्राम पर आईं ताकि वो लोगों से खुद जुड़ सकें और अपने बारे में सही चीजें लोगों के सामने रख सकें।
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डॉक्टरों ने एक्टिंग/मॉडलिंग छोड़ने की दी सलाह
सुष्मिता का शरीर कमजोर हो गया था, जिसकी वजह से वो स्ट्रेस को नहीं संभाल सकती थीं। इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि वो अपना प्रोफेशन बदल दें। क्योंकि लगातार झड़ते बाल, सूजे हुए चेहरे के कारण उन्हें चिंता होगी और स्वास्थ्य बिगड़ता जाएगा। मगर सुष्मिता कहती हैं कि "मैं हार मानने वालों में से नहीं थी। मुझे ये मंजूर नहीं था कि मैं रोगी बनकर घर पर बैठ जाउं।"
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2016 में बहुत ज्यादा बिगड़ी थी तबीयत
सुष्मिता बताती हैं कि डॉक्टरों ने उन्हें 'एंटी ग्रैविटी' एक्सरसाइज और योगासन करने से मना किया था, मगर उनकी जिद के कारण उन्होंने इसे करना जारी रखा। 2016 के आखिरी दिनों में सुष्मिता बहुत ज्यादा बीमार पड़ीं। इलाज के लिए वो आबू धाबी (दुबई) के क्लीवलैंड हॉस्पिटल पहुंचीं। वहां मुझे एडमिट किया गया और इलाज किया गया।
बीमारी से कैसे जीतीं सुष्मिता?
सुष्मिता बताती हैं कि इस गंभीर बीमारी से हार न मानने की उनकी जिद के कारण उन्होंने बीमारी को बखूबी हरा दिया। आबू धाबी के हॉस्पिटल में उन्हें स्टेरॉइड्स दिए गए और दोबारा टेस्ट किए गए। जब वो हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर लौट रही थीं, तब अचानक उनके डॉक्टर का फोन आया और उसने बाताया कि उन्हें स्टेरॉइड्स लेना बंद कर देना चाहिए क्योंकि उनका शरीर दोबारा इसे बनाने लगा है।
अपने बॉडी सिस्टम को हराकर जीतीं सुष्मिता
डॉक्टर ने हैरान होते हुए कहा, "मेरे 35 साल के मेडिकल करियर में ऐसा कभी नहीं हुआ कि एड्रिनल फेल्योर के बाद किसी इंसान का शरीर दोबारा कार्टिसोल हार्मोन बनाने लगा हो। मैंने 3 बार टेस्ट करके इसकी जांच कर ली है और मैं हैरान हूं।" सुष्मिता कहती हैं कि बीमारी से लड़ने में उनकी बहुत सारे लोगों ने मदद की। लगातार एक्सरसाइज और वर्कआउट के साथ-साथ तमाम डॉक्टरों और ट्रेनर्स की देखभाल के कारण सुष्मिता अब पूरी तरह ठीक हैं।
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