40-42 डिग्री तापमान के कारण बढ़ा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों का खतरा, एक्सपर्ट से जानें लक्षण और बचाव के टिप्स

गर्मी के मौसम में पेट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। तापमान 40 डिग्री से ज्यादा होने के कारण बैक्टीरिया और इससे पनपने वाले रोग बढ़ रहे हैं। डॉ. राम आशीष बता रहे हैं क्या हैं गर्मी में पेट के रोगों के लक्षण और कैसे आप कर सकते हैं इन रोगों

Anurag Anubhav
Written by: Anurag AnubhavUpdated at: May 29, 2019 13:44 IST
40-42 डिग्री तापमान के कारण बढ़ा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों का खतरा, एक्सपर्ट से जानें लक्षण और बचाव के टिप्स

3rd Edition of HealthCare Heroes Awards 2023

गर्मी बढ़ने के कारण आजकल दोपहर का तापमान 40-42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। इसी के साथ अस्पतालों में पेट के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। गर्मी बढ़ने पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों का खतरा बढ़ जाता है। चिकित्सकों का मानना है कि गर्मी के मौसम में बैक्टीरिया ज्यादा तेज बढ़ते और फैलते हैं और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों का कारण भी बैक्टीरिया होते हैं। पाचन तंत्र, आंतों और आहार नली से जुड़े रोगों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग कहते हैं। इन रोगों में ब्लोटिंग, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, हार्ट बर्न, रिफलक्स, कब्ज और जी मिचलाना, क्रोंस डिजीज आदि शामिल हैं।

सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश के चिकित्साधिकारी डॉ. राम आशीष यादव बताते हैं कि "इन दिनों ओेपीडी में पेट के मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई है। बढ़े हुए तापमान में शरीर का इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) कमजोर हो जाता है। इसके अलावा इस मौसम में बैक्टीरिया और वायरस तेजी से बढ़ते हैं। ऐसे में पकाए हुए भोजन में 4-5 घंटे में ही बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। लोग इस मौसम में खानपान में सावधानी नहीं बरतते हैं, जिसके कारण पेट के रोगों का शिकार होते हैं।"

डॉ. आशीष के अनुसार, "थोड़े दिनों में बारिश शुरू हो जाएगी और बैक्टीरिया के कारण होने वाले इन रोगों का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन का मुख्य कारण बैक्टीरिया और वायरस होते हैं। ये वायरस खाने, पानी और गंदगी के द्वारा आप तक पहुंच सकते हैं। इसलिए इनसे सावधान रहने की जरूरत है।"

इसे भी पढ़ें:- ज्यादा टूथपेस्ट भी दांतों के लिए है खतरनाक, जानें कितना और कैसे करना चाहिए टूथपेस्ट का प्रयोग

क्या हैं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के लक्षण

डॉ. आशीष बताते हैं कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों की शुरुआत सामान्य पेट दर्द से होती है। इसके अलावा लगतार उल्टियां, जी मिचलाना, भूख न लगना, पेट में भारीपन, वजन घटने लगना आदि भी इन रोगों के लक्षण हो सकते हैं। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों का शिकार किसी भी उम्र के लोग हो सकते हैं, लेकिन छोटे बच्चों, स्कूल जाने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को ये रोग गर्मी में ज्यादा परेशान करते हैं।

कैसे करें गर्मी में पेट के रोगों से बचाव

गर्मी में पेट के रोगों से दूर रहना है, तो आपको कुछ टिप्स का ध्यान रखना चाहिए। डॉ. राम आशीष के अनुसार-

  • 4-5 घंटे से ज्यादा देर का बना हुआ खाना न खाएं।
  • खाने और पीने के पीने के पानी को हमेशा ढक कर रखें।
  • रात में सब्जी और फल काटकर फ्रिज में रखकर सुबह न इस्तेमाल करें। इसके अलावा रात का गुंथा हुआ आटा दिन में न इस्तेमाल करें।
  • आपको रोजाना दिनभर में 3-4 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। ज्यादा मेहनत और धूप में काम करने वालों को 5 लीटर तक पानी पीना चाहिए।
  • धूप में निकलने से पहले सिर को ढककर निकलें। इसके लिए टोपी, छाता, कपड़ा, गमछा आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • बाहर खुले में मिलने वाले गन्ने के जूस, बेल के जूस, आम पना, शर्बत, जूस, शेक, सोडा आदि का सेवन न करें। अगर इन्हें पीना ही है, तो घर पर खुद बनाएं या किसी ऐसी जगह से खरीदें जहां साफ-सफाई अच्छी हो।
  • खाने में ज्यादा से ज्यादा तरल आहार जैसे- दही, छाछ, मट्ठा, ताजे फलों के जूस, नींबू पानी, ग्रीन टी आदि लें।
  • बहुत ज्यादा तेल-मसाले से बना भोजन न करें और न ही गर्म तासीर वाली चीजें खाएं।
  • खाने में ज्यादा से ज्यादा कच्चे सलाद का सेवन करें।
  • मौसमी फल और सब्जियां जैसे- आम, खरबूजा, तरबूज, खीरा, लौकी, तोरई आदि का सेवन करें। इन सभी में पानी की मात्रा ज्यादो होती है।
  • पेट में दर्द होने पर खुद से दवा लेने के बजाय डॉक्टर से संपर्क करें।
  • लगातार 4 घंटे तक उल्टी, दस्त, जी मिचलाना, पेट दर्द आदि लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करें। कई बार स्थिति सामान्य दिखती है, मगर लापरवाही में जानलेवा हो सकती है।

Read More Articles On Other Diseases in Hindi

Disclaimer