ब्रेस्ट कैंसर के कारण भारत में हर साल हजारों लोगों की मौतेंहोती है। एक अध्ययन के अनुसार हर 8 में से 1 महिला को अपने जीवन में कभी न कभी ब्रेस्ट कैंसर होता है। ब्रेस्ट कैंसर का पता अगर शुरुआती स्टेज में लगाया जा सके, तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। यूएस के मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने एक ऐसे डिवाइस की खोज की है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को काफी पहले ही पकड़ लेता है।
मैमोग्राफी से ज्यादा सटीक जानकारी देगा ये एआई
इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने डिवाइस को पहले ट्रेन किया और फिर उससे मिलने वाले रिजल्ट्स की प्रमाणिकता की जांच की। इसके लिए लगभग 40,000 महिलाओं के 90,000 से भी ज्यादा फुल रिजॉल्यूशन मैमोग्राम का इस्तेमाल किया गया। मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रमुख शोधकर्ता और लेखक एडम याला ने कहा, "मैमोग्राम स्कैन में ब्रेस्ट कैंसर की 4 कैटेगरीज से कहीं ज्यादा जानकारियां छिपी होती हैं, जिन्हें हम आसानी से देख नहीं सकते हैं। मगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन जानकारियों की मदद से ये पता लगाने में सक्षम है कि किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर का भविष्य में कितना जोखिम है।"
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जांच में देरी के कारण बिगड़ जाते हैं मामले
एमआईटी की प्रोफेसर रेजिना बार्जले स्वयं ब्रेस्ट कैंसर की मरीज रही हैं। उन्होंने कहा, "ऐसे सिस्टम की खोज से चिकित्सकों को काफी मदद मिलेगी। ब्रेस्ट कैंसर की जांच में देरी के कारण कई बार इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।" एमआईटी द्वारा बनाया गया ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल पारंपरिक तरीकों के मुकाबले ज्यादा बेहतर तरीके से ब्रेस्ट कैंसर की जांच कर सकता है। अध्ययन के दौरान पारंपरिक तरीकों से जांच करने पर जहां सिर्फ 18% महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि हुई, वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से 31% मामलों में बिल्कुल सटीक परिणाम देखे गए। टूल ने इन महिलाओं में हाई रिस्क कैंसर की बात बताई थी, जो बिल्कुल सही थी।
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3 तरह के मॉडल से हुई जांच
इस अध्ययन के लिए अध्ययनकर्ताओं ने 3 तरह के मॉडल से रिस्क फैक्टर्स (जोखिम बढ़ाने वाले कारक) की तुलना की। पहला मॉडल ब्रेस्ट कैंसर के पारंपरिक जोखिम कारकों का अध्ययन कर रहा था, दूसरा मॉडल मैमोग्राफी रिपोर्ट का गहराई से अध्ययन कर रहा था और तीसरा मॉडल इन दोनों मॉडल्स से प्राप्त परिणामों का तुलनात्मक अध्ययन कर रहा था।
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