संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पिछले आठ वर्षों में 29 लाख भारतीय बच्चों को खसरे के टीकाकरण की पहली खुराक नहीं मिल पाई है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की रिपोर्ट बताती है कि पिछले आठ वर्षों में दुनिया भर के दो करोड़ से अधिक बच्चे खसरे के टीके की अत्याधिक महत्वपूर्ण पहली खुराक से वंचित रहे, जिससे बीमारी के प्रकोप का जोखिम बढ़ा है। कुल मिलाकर, दस वर्ष से कम की उम्र के लगभग 17 करोड़ बच्चों को टीका नहीं लगा।
विश्व टीकाकरण सप्ताह से इतर जारी हुई रिपोर्ट
यह रिपोर्ट विश्व टीकाकरण सप्ताह के दौरान ही जारी की गई। विश्व टीकाकरण सप्ताह हर साल अप्रैल के अंतिम सप्ताह में मनाया जाता है, ताकि टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। खसरा पूर्ण रूप से वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारी है। हालांकि हाल के वर्षों में इसके मामलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस साल की शुरुआत में खुलासा किया था कि अन्य वर्षों की तुलना में 2019 की पहली तिमाही में विश्व के सभी कोनों में खसरे के मामलों में इजाफा हुआ है। दुनिया भर में, खसरे के मामले चार गुना तक बढ़े हैं। भारत में नौ अप्रैल 2019 तक खसरे के 7,246 मामलों की पुष्टि हुई जबकि 2017 में देश के भीतर खसरे के 68,841 मामलें सामने आए थे।
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नाइजीरिया के बाद भारत दूसरे स्थान पर
भारत विश्व भर में नाइजीरिया के बाद दूसरे स्थान पर, जहां बच्चों को खसरे के टीके नहीं लगे हैं। यह दोनों देशों के लिए पिछले अनुमानों की तुलना में अपनी रैंकिंग में सुधार करने में विफलता का प्रतीक है।
इतने सारे बच्चे को खसरे का टीका नहीं लगना 2020 तक भारत से खसरे को खत्म करने के सरकार के लक्ष्य के लिए खतरे का एक संकेत दिखाई दे रहा है। 2015-16 की अवधि में खसरा युक्त पहली खुराक (MCV1)के टीकाकरण का दायरा 81.1 प्रतिशत था, जो कि डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित संक्रामक रोगों के खिलाफ प्रतिरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यक 95 प्रतिशत की सीमा से काफी नीचे है।
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अभियान के बावजूद पूरे नहीं हुए आंकड़ें
सरकार के यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP)में खसरा-रूबेला (MR)वैक्सीन को शामिल करने के बावजूद यह आंकड़े सामने आए हैं। सरकार का UIP अभियान दुनिया में अपनी तरह की एक सबसे बड़ी पहल है। UIP, अभियान के माध्यम से टीके से वंचित लाखों भारतीय बच्चों और गर्भवती महिलाओं तक सफलतापूर्वक पहुंच गया है।
खसरे से संबंधित हालिया निष्कर्ष बताते हैं कि अगर टीकाकरण कवरेज में वृद्धि होती है तो भारत में आगामी वर्षों में खसरे को खत्म करने की उम्मीद जाग सकती है। देश में खसरे को खत्म करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। खसरा के खिलाफ टीकाकरण ने अकेले वर्ष 2010 और 2013 के बीच हजारों भारतीय बच्चों की जान बचाई थी।अगर और अधिक जानों को बचाना है तो इस रोग के खिलाफ टीकाकरण के प्रयासों को फिर से सुनिश्चित किया जाना चाहिए और फिर से अभियान को तेज किया जाना चाहिए।
प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण करने की आवश्यकता
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ''वैश्विक खसरा के प्रकोप के लिए जो लड़ाई हम जमीन पर देख रहे हैं उसकी नींव कई वर्षों पहले रखी गई थी । खसरा वायरस हमेशा अस्वस्थ बच्चों में मिलेगा। अगर हमें इस खतरनाक लेकिन रोकथाम योग्य बीमारी के प्रसार को रोकना है तो हमें अमीर और गरीब दोनों प्रकार के देशों में समान रूप से प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण करने की आवश्यकता है।''
उन्होंने कहा, ''खसरा बहुत संक्रामक है। टीकाकरण का केवल दायरा बढ़ाना ही जरूरी नहीं है बल्कि टीकाकरण की दर को बनाए रखना भी बहुत जरूरी है।"
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