पोलियो से बचने के लिए जरूरी है सही समय पर टीकाकरण

शिशु को पोलियो जैसी खतरनाक बीमारी से बचाने के लिए सही समय पर टीकाकरण बहुत जरूरी है। आप कब और कौन सा टीका बच्‍चे को लगवाए, इस बारे में विस्‍तार से जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
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पोलियो से बचने के लिए जरूरी है सही समय पर टीकाकरण

पोलिया एक संक्रामक रोग है। पोलिया वायरस ज्‍यादातर छोटे बच्‍चों को अपनी गिरफ्त में लेता है। यह बीमारी किसी भी अंग को जिंदगी भर के लिए कमजोर कर देती है।

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वैसे तो यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, लेकिन बच्‍चों के पैर में इसका असर ज्‍यादा देखा जाता है। इसे शिशुओं का लकवा या बाल पक्षाघात भी कहते हैं। पोलियो का टीकाकरण ही इस बीमारी से बचाव है। इसलिए बच्‍चों का समय पर टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है। इससे बच्‍चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और कई बीमारियों से भी बचाव होता है। इस लेख के जरिए हम आपको बताते हैं पोलिया टीकाकरण के बारे में कुछ अहम जानकारी।


पोलिया टीकाकरण से जुड़ी जानकारी

  • जन्म के बाद बच्‍चे को बीसीजी और पोलियो की पहली खुराक दी जाती है। यह टीका बच्चे को टीबी और पोलियो दोनों से बचाव करता है।
  • बच्चे के छह सप्‍ताह यानी डेढ़ माह का होने पर डी टी पी डब्ल्यू, हेपेटाइटिस बी और पोलियो की दूसरी खुराक के साथ ही हिब वैक्सीन दी जाती है। यह वैक्सीन बच्चे को डिप्थीरिया, टिटनस, पर्टयूसिस (काली खांसी), हेपेटाइटिस बी और मेनेन्जाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) से बचाती है।
  • जब शिशु 10 सप्‍ताह यानी करीब ढाई महीने का हो जाए तो डी टी पी डब्ल्यू, हेपेटाइटिस बी, हिब वैक्सीन और पोलियो ड्रॉप की तीसरी खुराक दी जानी चाहिए।
  • बच्‍चे के 14 सप्‍ताह का होने पर डी टी पी डब्ल्यू , हेपेटाइटिस बी और हिब वैक्सीन, पोलियो ड्रॉप की चौथी खुराक दी जाती है।
  • शिशु के 9 माह पूरे होने पर मीजिल्स का टीका लगाया जाता है। इसके बाद एक साल की उम्र में चिकेन पॉक्स और हेपेटाइटिस ए की पहली खुराक दी जाती है।
  • बच्‍चे के सवा साल यानी 15 माह का होने पर एम एम आर वैक्सीन दी जाती है। इससे बच्‍चा मीजिल्स, मम्प्स और रूबैला जैसी बीमारियों से बचा रहता है।
  • आपके लाडले के डेढ़ साल का होने पर डी टी पी का पहला बूस्टर डोज, ओरल पोलियो वैक्सीन की पांचवीं खुराक और हिब वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जाती है।
  • डेढ़ साल का होने पर ही बच्‍चे को हेपेटाइटिस ए की दूसरी खुराक दी जाती है। दो साल की उम्र में टाइफॉयड का टीका लगाया जाता है।
  • जब बच्‍चा पांच साल का हो जाता है तो दूसरी टाइफॉयड वैक्सीन के साथ ही डी टी पी का दूसरा बूस्टर डोज और पोलियो की छठी खुराक दी जाती है।
  • बच्चे की उम्र के 10 वर्ष पूरे होने पर टेटनस टॉक्साइड की पहली बूस्‍टर डोज और 16 साल की उम्र में दूसरी बूस्टर डोज दी जाती है।

 

ये भी हैं महत्‍वपूर्ण

  • यदि मां को हेपेटाइटिस बी का इंफेक्‍शन हो तो शिशु के जन्‍म के 12 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगवाना चाहिए। इससे बच्‍चे को इंफेक्‍शन होने का खतरा कम रहता है।
  • जन्म के समय हेपेटाइटिस बी का टीका देने के बाद बाकी टीके 6, 10 और 14 सप्‍ताह में देने चाहिए। आप दसवें सप्‍ताह को छोड़कर छठे या चौदहवें सप्‍ताह में भी वैक्‍सीन दे सकते हैं।
  • शिशु को डी टी पी डब्ल्यू/हेपेटाइटिस बी/हिब वैक्सीन के मिश्रित टीके छठे, दसवें और चौदहवें सप्‍ताह में दिए जाने चाहिए।
  • जन्म के बाद यदि किसी कारण से बी सी जी, ओरल पोलियो ड्रॉप और हेपेटाइटिस बी के टीके न दिए जा सकें तो इन्हें जन्म के छठे सप्‍ताह के बाद शुरू किया जा सकता है।
  • टायफॉयड का टीकाकरण भी प्रारंभिक अवस्था में ही होना चाहिए। टाइफिम-वी आई एंटीजेंट दो वर्ष की आयु में और टाइफॉयड का बूस्टर डोज हर तीन वर्ष के अंतराल पर दिया जाना चाहिए।
  • बच्चों को पल्स पोलियो की नियमित खुराक के अलावा पल्स पोलियो अभियान के तहत दी जाने वाली खुराक भी देनी चाहिए। इस खुराक को पिलवाने में लापरवाही न बरतें।

 

 

 

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