हताशा को पहचानने के 3 आसान तरीके, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना और बिना शर्म महसूस किए मदद मांगना वक्त की जरूरत है। इसमें कुछ गलत नहीं है। मानसिक स्वास्थ्य भी आपके संपूर्ण स्वास्थ्य का आखिरकार एक हिस्सा है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
हताशा को पहचानने के 3 आसान तरीके, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना और बिना शर्म महसूस किए मदद मांगना वक्त की जरूरत है। इसमें कुछ गलत नहीं है। मानसिक स्वास्थ्य भी आपके संपूर्ण स्वास्थ्य का आखिरकार एक हिस्सा है। लेकिन इन विषय के साथ जुड़ी दुविधा के कारण लोग इस मुद्दे पर बात नहीं करते, जिससे समस्या और बढ़ जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक केवल एक तिहाई हताश पुरुषों का उपचार हो पाता है।  निराशा हमारी जिदंगी को कई तरीकों से प्रभावित करती है। जिस तरह से हम बोलते हैं, जिस तरह से हम सामाजिक हालात में बर्ताव करते हैं इसके पास हमारे द्वारा की जाने वाली सभ चीजों को बदलने की शक्ति है। हम आपको निराशा की पहचान करने के तीन संकेत सुझा रहे, जिसके जरिए आप खुद पता लगा सकते हैं कि आप या आप के सगे-संबंधी कुछ अलग महसूस कर रहे हैं।

भूख और वजन में बदलाव

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के मुताबिक, अधिकतर लोग जब हताश या निराश होते हैं  तब वह अचानक अपने वजनऔर भूख में बदलाव महसूस करते हैं। यह दोनों प्रकार से हो सकता है आपका अत्याधिक वजन बढ़ सकता है या तेजी से घट सकता है चाहे आप वजन घटाने या बढ़ाने के लिए कुछ अलग सा भी नहीं कर रहे हैं। यह सिर्फ मानसिक हालात के अनुरूप हमारी बॉडी प्रतिक्रिया करती है। अगर आपके किसी दोस्त या परिवार के सदस्य में इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे नजरअंदाज मत करिए। उससे मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाने को कहिए या फिर मदद मांगने को।

इसे भी पढ़ेंः 38 फीसदी बढ़ा भारतीय वयस्कों द्वारा शराब का सेवन, अध्ययन में हुआ खुलासा

भाषा में बदलाव

क्लीनिकल साइकलॉजिक्ल साइंज में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, वे लोग जो निराशा या हताशा से जूझ रहे होते हैं उनमें खुद को व्यक्त करने और बातचीत के लहजे में एक अलग तरह का बदलाव आ जाता है। जी हां, निराशा आपके बात करने के तरीके को भी बदल देती है। देखिए, भाषा कंटेंट और शैली दो तत्वों से मिलकर बनती है।  कंटेंट विषय होता है, जिसे आप व्यक्त करना चाहते हैं। अध्ययन में पाया गया कि हताश लोग दुख और अकेलेपन जैसे नकरात्मक शब्दों का प्रयोग करते हैं। एक अन्य मजेदार बात जो अध्ययन से सामने आई कि हताश लोग अधिकतर मैं, मेरे, मैं खुद जैसे शब्दों का अधिक रूप से इस्तेमाल करते हैं। यह दिखाता है कि वे अपने आप पर केंद्रित होते हैं और अपने आस-पास के लोगों से कटे हुए होते हैं। कंटेंट के अलावा उनकी शैली में भी बदलाव आता है। शैली से मतलब है कि वह खद को कैसे व्यक्त करते हैं। हताश लोग तानाशाह जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह दुनिया क एक अलग नजरिए से देखने लगते हैं।

इसे भी पढ़ेंः भविष्य में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को पहले ही बता देगा ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

संबंध बनाने से ऊबना 

लाइव साइंस के मुताबिक, वे लोग, जो हताशा से जूझ रहे होते हैं उनके संबंध बनाने की प्रक्रिया में कमी आती है। यह उन लक्षणों में से एक हैं, जिसका लोग अनुभव करते हैं। जब लोग हताश होते हैं तो उनकी संबंध बनाने में रूचि और अन्य गतिविधियों को करने की मंशा में कमी आती है। अगर आपके साथी या आपके दोस्त अपने बारे में कुछ इस तरह की ही बात बताते हैं तो कृपया उन्हें हल्के में न लें या उन्हें मजाक न समझें। इसके बजाए आप उनसे पेशेवर मदद लेने को कहें।

Read More Articles On Health News in Hindi

Read Next

पिछले 8 वर्षों में 29 लाख बच्चों को नहीं मिली खसरे की पहली खुराक

Disclaimer