प्रदूषण के मामले में दिल्ली कई देशों के राज्यों में उच्च स्थान पर है। एक स्टडी के मुताबिक दिल्ली में इतना प्रदूषण है कि इससे प्रत्येक व्यक्ति कि उम्र 12 साल तक कम हो सकती है। यही नहीं दिल्ली के प्रदूषण के साथ ही प्रदेश की सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं। हाल ही में दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (Delhi Technological University) के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक दिल्ली की गाड़ियों में पाए जाने वाले नैनो पार्टिकल्स सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
क्या कहती है स्टडी?
दरअसल, दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी और अहमदाबाद फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री के शोधकर्ता इस स्टडी को दो साल तक करते रहे, जिसके बाद यह साबित हुआ कि दिल्ली की सड़कों पर जो गाड़ियां चल रही हैं, उनमें नैनोपार्टिकल पाए जा रहे हैं। इस स्टडी को दो फेज में किया गया। एक अप्रैल 2021 से 30 जून 2021 तक इसके बाद 3 अक्टूबर से 30 नवंबर 2021 तक किया गया। शोधकर्ताओं ने इस दौरान पता लगाया कि कोरोना काल और लॉकडाउन में नैनो पार्टिकल की संख्या कम हुई थी, लेकिन दिवाली आने के बाद यह पार्टिकल्स हवा में फिर से 35 प्रतिशत तक बढ़ गए।
कैसे पहुंचाते हैं नुकसान?
दरअसल, नैनो पार्टिकल एक प्रकार के सूक्ष्म कण होते हैं, यह इतने छोटे होते हैं कि सामान्य आंखों से इन्हें देखना भी मुश्किल होता है। स्टडी के मुताबिक गाड़ियों से निकलने वाले यह पार्टिकल 20 nm से 22 nm के थे, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह नैनो पार्टिकल हवा के जरिए जाकर मनुष्य की शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे फेफड़ों में समस्या हो सकती है, जिसके चलते कई बार सांस लेने में भी कठिनाई हो सकती है। यही नहीं ये पार्टिकल न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का भी कारण बनते हैं।
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गाड़ियों से निकल रहे हैं नैनो पार्टिकल
दिल्ली में प्रदूषण के साथ ही गाड़ियों में पाए जाने वाले नैनोपार्टिकल इंसान को और भी ज्यादा गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं। दरअसल, यह पार्टिकल्स गाड़ियों में लगे इंजन के गरम या फिर एग्जॉस्ट होने पर निकलते हैं। जो इंसान की शरीर तक पहुंच सकते हैं।