कोरोना की दूसरी लहर ने युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इसकी वजह से युवावास्था में ही कई युवाओं की जान तक चली गई और कई घरों की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा। अभी तक कोरोना का अपना कोई इलाज नहीं है। इसके लक्षणों का ही इलाज किया जा रहा है। ऐसे में कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीन एक प्रभावी हथियार है। वैक्सीन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारें प्रयास कर रही हैं। इसी कड़ी में युवाओं को भी वैक्सीन लेने के प्रति प्रोत्साहित (Post Vaccine side effects) किया जा रहा है। वैक्सीनेशन सेंटर्स की तरफ नजर डालें तो युवाओं का वैक्सीन की ओर झुकाव देखा जा सकता है। आज के इस लेख में हम युवाओं से जानेंगे कि उनका वैक्सीन का पहला डोज लगवाने का अनुभव (Covid vaccine experience) कैसा रहा? साथ ही जानेंगे डॉक्टर की राय कि कौन सी वैक्सीन ज्यादा प्रभावी है और वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है।
पीरियड्स में लगवाई वैक्सीन : जागृति उपाध्याय
बनारस की रहने वाली जागृति उपाध्याय का कहना है कि वैक्सीन के लिए स्लॉट लेने में पहले बहुत मशक्कत करनी पड़ी। स्लॉट खाली नहीं मिल रहा था। बड़ी मुश्किल से 18 मई को स्लॉट खाली मिला और वैक्सीन लगवाई। 23 साल की जागृति बताती हैं कि जब मैंने वैक्सीन लगवाई थी तब मेरे पीरियड्स का तीसरा दिन था। मेरी बहन जो 18 साल की है उसको वैक्सीन लगने के अगले दिन पीरियड्स शुरू हुए। हम दोनों के पीरियड्स जैसे हमेशा आते थे वैसे ही आए। वैक्सीन की वजह से पीरियड्स में कोई दिक्कत नहीं हुई। जागृति का कहना है कि वैक्सीन के लेने के बाद बस हाथ में हल्का दर्द, बदन दर्द और बुखार आया। ये सब एक दिन रहा। पैरासिटामोल खाने से ये सब ठीक हो गया। जागृति कहती हैं कि वैक्सीन लेना पूरी तरह से सुरक्षित है।
टीका लगवाना मेरी जिम्मेदारी थी : अमन आकाश
पीएचडी शोधकर्ता (पत्रकारिता) अमन आकाश ने हाल ही में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई। वैक्सीन की पहली डोज लेने का अनुभव साझा करते हुए अमन बताते हैं कि वे टीका लगाने को लेकर उत्साहित थे। उनके लिए कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने का हिस्सा बनना सकारात्मक अनुभूति देता है। 26 साल के अमन बताते हैं कि वे टीके के साइड इफैक्ट्स को लेकर थोड़े डरे हुए थे लेकिन जब उन्हें टीका लग गया तो उन्हें हल्का बुखार, बदन दर्द और थकान हुई, यह सभी लक्षण एक दिन में ठीक हो गए। बिहार के रहने वाले अमन ने अपनी जिम्मेदारी का अहसास करते हुए यह टीका लगवाया। उन्होंने कहा कि हम सबको टीके के दोनों डोज ज़रूर लगवाना चाहिए।’
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कोई साइड इफैक्ट नहीं हुआ : हर्षित
पेशे से पत्रकार हर्षित कुमार हर्ष दिल्ली में रहते हैं। वे वैक्सीन लगवाने के अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि जब वे वैक्सीन लगवाने गए तो सेंटर में भीड़ थी। उन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए 3 घंटे इंतजार करना पड़ा। इससे यह मालूम होता है कि लोग वैक्सीन लगवाने के लिए उत्साहित हैं। वे कहते हैं कि वैक्सीन लगवाने के बाद उन्हें कोई साइड इफैक्ट महसूस नहीं हुआ। वे कहते हैं कि वैक्सीन के साइड इफैक्ट सभी को नहीं हो रहे हैं।
पहले से चल रही हैं दवाएं, पर फिर भी लगवाई वैक्सीन : नेहा
दिल्ली की रहने वाली नेहा बताती हैं कि उन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई। क्योंकि यहां इसके अलावा कोई और वैक्सीन अवेलवल नहीं है। वे कहती हैं कि वैक्सीन लगवाने से पहले उनके मन में इसके साइड इफैक्ट को लेकर बहुत सवाल थे, क्योंकि नेहा की पहले ही थायरॉयड की दवा चल रही है। तो वहीं, ने बताती हैं कि उनके शरीर मे विटामिन डी3 की कमी है जिसका इलाज चल रहा है। वे कहती हैं कि इस वजह से मैंने मेरे डॉक्टर से पहले सलाह ली और वैक्सीन लगवा ली।
वैक्सीन के बाद लें हल्की डाइट : अंजली चौहान
नोएडा की रहने वाली ने 19 मई को कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई। 24 साल की अंजली चौहान बताती हैं कि वैक्सीन लगने के बाद उन्हें हल्का बुखार और जोड़ों में दर्द था लेकिन रात 12 बजे 101 बुखार आया। तब उन्होंने पैरासिटामोल की गोली खा ली। वे कहती हैं कि हमें वैक्सीनेशन सेंटर पर बताया गया था कि वैक्सीन लगने के बाद बुखार आने पर पैरासीटामोल की गोली खा लेना। अंजली बताती हैं कि वैक्सीनेशन सेंटर्स पर मैनेजमेंट बहुत अच्छी की हुई है। वैक्सीन लगवाने से पहले वैक्सीनेशन सेंटर से इंफेक्शन का डर उनके मन से निकल गया जब उन्होंने सेंटर की साफ-सफाई और व्यवस्था देखी। वे बताती हैं कि वैक्सीनेशन सेंटर पर उन्हें बताया गया था कि वैक्सीन लगने के बाद आराम करें और हल्की डाइट लें।
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वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना नियमों का किया पालन : नीरज
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र नीरज बताते हैं कि उन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई। वैक्सीन लगवाने का अनुभव अच्छा रहा। वैक्सीन लगवाने से पहले उनके मन में जो डर था वो लगने के बाद निकल गया। वे बताते हैं कि वैक्सीन लगने के बाद भी वे हाथ धोना, मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, जैसे कोरोना नियमों का पालन कर रहे हैं। वे मानसिक और शारीरीक रूप से स्वस्थ हैं।
वैक्सीनेशन सेंटर में अच्छी व्यवस्था थी : अभय
उत्तर प्रदेश के रहने वाले अभय कुमार बताते हैं कि वैक्सीनेशन सेंटर में उनका अनुभव बहुत अच्छा रहा। वैक्सीन लगवाने के बाद 10 घंटे बाद उन्हें तेज दर्द और बुखार आया। फिर उन्होंने पैरासीटामोल ली। उन्हें दो दिन तक बुखार रहा। लेकिन अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
कौन सी वैक्सीन कितनी प्रभावी?
राजकीय हृदय रोग संस्थान, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में कार्यरत वरिष्ठ प्रोफेसर ऑफ कार्डियोलॉजी डॉ. अवधेश शर्मा ने बताया कि कोई भी वैक्सीन 100% प्रभावी नहीं होती है। हर वैक्सीन के कुछ न कुछ साइड इफैक्ट होते हैं। उन्होंने बताया कि भारत बायोटेक की बनी कोवैक्सीन की प्रभावशीलता 81 फीसदी है। कोविशील्ड की एफिकेसी पहली डोज के बाद 70% और बूस्टर डोज के बाद 90% है। वहीं रूस की स्पूतनिक V की एफिकेसी 91.6% है। वे कहते हैं कि वैक्सीन लगवाने से कोरोना की गंभीरता को कम किया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति कोरोना से बीमार पड़ता है और उसने वैक्सीन लगवा रखी है तो उसे अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आएगी। डॉक्टर बताते हैं कि जिन पेशेंट्स की वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद मृत्यु हो गई वे लोग अन्य गंभीर बीमारियों से भी जूझ रहे थे। डॉक्टर अवधेश शर्मा बताते हैं कि युवाओं में वैक्सीन के प्रति रुझान देखा जा रहा है, यह देश के बेहतर भविष्य के लिए अच्छा है।
युवा बेझिझक लगवाएं वैक्सीन : डॉ. अवधेश शर्मा
डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि युवा देश की अर्थव्यस्था के लिए जरूरी हैं। इसलिए उनकी जान बचाना हम सभी के लिए जरूरी हैं। वे कहते हैं कि युवाओं को बिना झिझक वैक्सीन लगवानी चाहिए।
युवाओं में कोरोना की वैक्सीन लेने को लेकर काफी उत्साह दिख रहा है। यहां कई युवाओं ने वैक्सीन लेने के अपने अनुभव साझा किए हैं। इन युवाओँ से सीख लेकर आप भी वैक्सीन लगवाने जाएं। वैक्सीन से संबंधित अफवाहों पर ध्यान न दें।
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