शराब ज्यादा पीने से होने वाली परेशानी का उपचार ऐसे करें

शराब सेहत के लिए नुकसानदायक होती है और इस बात की जानकारी होते हुए भी ज्यादातर लोग शराब की लत से बच नहीं पाते है। शराब से होने वाली समस्याओं से बचने के लिए कई तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध होते है। इसके बारे में विस्तार से जानें
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शराब ज्यादा पीने से होने वाली परेशानी का उपचार ऐसे करें


सभी जानते है कि शराब का सेवन सेहत के लिए कितना हानिकारक होता है। शराब के सेवन से सिर्प लीवर ही नहीं शरीर के बाकी अंग भी धीरे धीरे प्रभावित होता है। अगर आप भी शराब के सेवन के कारण होने वाली बीमारियों से ग्रसित है तो अपना मेडिकल ट्रीटमेंट करा सकते है। इन ट्रीटमेंट के बारे में विस्तार से पढ़े। सात हजार पुरुषों और महिलाओं पर दस साल तक किए गए इस सर्वे में पाया गया जो लोग नियमित रूप से शराब पीते हैं उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई। कुछ लोगो को तो यह पता भी नहीं चल पाता कि वह कब शराब के आदी कब हो गए। व्यक्ति को इस आदत से छुटकारा दिलाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा अनेक प्रकार की विधियाँ अपनाई जाती हैं, जिसमें कॉउंसलिंग और मेडिकल उपचार दिए जाते हैं।

शराब पीयें, दिमाग चलायें

शराब से होने वाली समस्यायें

  • जब कोई लगातार पीता जाता है तो तीसरी और सबसे घातक स्टेज शुरू हो जाती है, जिसे ऐल्कॉहॉलिक सिरोसिस कहते हैं। इस स्टेज में आने के बाद लिवर कभी नॉर्मल नहीं हो सकता। इस स्टेज में पीलिया होने के साथ पैरों में सूजन आनी शुरू हो जाएगी। पेट फूल सकता है और पानी भर सकता है, खून की उलटी आ सकती हैं और कभी भी मरीज बेहोश हो सकता है।
  • ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार अलकोहल के अपने ख़तरे हैं जो शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुक़सान पहुंचाते हैं जिनसे कैंसर भी हो सकता है।शराब के सेवन से पेट में अल्सर हो जाता है और अल्सर हो जाने के कारण गले तथा पेट को जोड़ने वाली नली में सूजन आ जाती है जिससे बाद कैंसर हो सकता है।

शराब के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट

  • ज्यादा शराब पीने के कारण कई बार सांस लेने में दिक्कत आने लगती है। ऐसी स्थिति में इंटूबेशन(किसी मरीज की श्वांस नली में साँस के लिए लगाई जाने वाली एक ट्यूब) साँस दिलाने में मददगार साबित होता है। यह रेस्पिरेटर से एयर को लीक होने से बचाता है, ताकि हवा फेफड़े तक जा सके।
  • शराब पीने के कारण अगर बार बार पेशाब जाने की समस्या हो तो रोगी को इस स्थिति में नसों में तरल दवाइयाँ एवं विटामिन बी दिया जाता है। लम्बे समय से शराब का उपयोग करने वाले व्यक्ति को विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी  हो जाती है।
  • अगर ऐल्कॉहॉल की वजह से लिवर खराब हुआ है तो यह देखा जाता है कि क्या उस शख्स को शराब छोड़े हुए 90 दिन बीत चुके हैं। तभी उसका लिवर बदला जाता है। इसे मेडिकल शब्दावली में रीसेडिविज्म (Redicism ) कहते हैं। लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांटेशन (एलडीएलटी) में बीमार शख्स को उसके माता-पिता, भाई-बहन या रिश्तेदार अपने लिवर का 30-40 फीसदी डोनेट कर सकते हैं।

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शराब छोड़ने का प्रक्रिया में किसी के नियंत्रण एवं निगरानी में शुरू की जाती है जिसमें छोड़ने के बाद उत्पन्न होने वाले लक्षणों में राहत देने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है। नशामुक्ति में आम तौर पर चार के लिए सात दिन लग जाते हैं। इस दौरान अन्य मेडिकल प्रॉब्लम्स के लिए परीक्षण होना जरूरी है।

 

Image Source-Getty

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