आज के समय में खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से लाखों लोग तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण, स्मोकिंग और कई अन्य कारणों से लोगों को फेफड़ों से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं हो रही हैं। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)का ही एक प्रमुख कारण फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याएं मानी जाती हैं। सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां और खराब हवा में सांस लेने जैसे कारणों की वजह से लोगों में लंग अटैक (फेफड़ों का अटैक) होने का खतरा भी बढ़ रहा है। हमारे देश में फेफड़ों से जुडी प्रमुख बीमारियां सीओपीडी, अस्थमा, तपेदिक, निमोनिया और फेफड़ों के कैंसर को माना जाता है। पहले ये बीमारियां दुर्लभ मानी जाती थीं लेकिन अब ये समस्याएं तेजी से लोगों में फैल रही हैं। इनकी वजह से ऐसे लोगों में लंग अटैक का खतरा बढ़ रहा है। लंग अटैक की समस्या के बारे में जागरूकता की कमी से लोग इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं और इसकी वजह से समस्याएं और गंभीर हो जाती हैं। आइये विस्तार से जानते हैं इस समस्या के बारे में।
क्या है लंग अटैक की समस्या? (What Is Lung Attack?)
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लंग अटैक की समस्या फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों के कारण होती है। इस बीमारी में फेफड़ों से हवा का प्रवाह बाधित होता है जिसकी वजह से फेफड़ों को नुकसान होता है और मरीज को सांस लेने में गंभीर कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से वायुमार्ग संकीर्ण हो जाता है। दिल्ली के मशहूर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ आर के चावला के मुताबिक इस समस्या में मरीजों के फेफड़ों के कुछ हिस्से में काफी नुकसान होता है जिसकी वजह से वायुमार्ग में रुकावट पैदा होती है। वायुमार्ग में रुकावट पैदा होने की वजह से इसमें सूजन की समस्या भी होती है। पहले ज्यादातर यह समस्या अधिक उम्र के लोगों में होती थी लेकिन अब यह समस्या कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल रही है। लंग अटैक से जुडी कुछ जरूरी जानकारियों से अवगत होने पर आप इस गंभीर समस्या से अपना बचाव कर सकते हैं।
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लंग अटैक के लक्षण (Lung Attack Symptoms)
सांस से जुडी गंभीर बीमारियों के मरीजों को CPOD या लंग अटैक की समस्या हो सकती है। इस समस्या को काफी गंभीर माना जाता है और चिकित्सक इसके लक्षणों को नजरअंदाज करने की सलाह नहीं देते हैं। लंग अटैक की समस्या में फेफड़ों के वायुमार्ग यानी सांस की नली में ब्लॉकेज हो जाता है जिसकी वजह से सूजन के साथ-साथ सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। लंग अटैक की समस्या होने पर मरीजों में ये लक्षण प्रमुखता से देखे जाते हैं।
- अत्यधिक खांसी विशेषकर बलगम के साथ।
- सांस लेने में कठिनाई।
- हल्के व्यायाम या शारीरिक गतिविधि करते समय सांस की दिक्कत।
- घरघराहट।
- चलने में समस्या।
- हर समय अधिक थका हुआ महसूस करना।
- बलगम में खून का आना।
- आपके टखनों, पैरों में सूजन।
- अचानक से वजन घटना या बढ़ना।
- बेचैनी, भ्रम, विस्मृति, बोलने में गड़बड़ी और चिड़चिड़ापन।
- बार-बार सिरदर्द और चक्कर आना।
- बुखार, विशेष रूप से सर्दी या फ्लू के लक्षणों के साथ।

लंग अटैक के कारण (What Causes Lung Attack?)
लंग अटैक की समस्या सबसे ज्यादा सांस से जुडी गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों में होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक यह समस्या 20 से 30 प्रतिशत पुराने धूम्रपान करने वालों में भी होती है। दरअसल, लंबे समय तक धूम्रपान करना इसके जोखिम को और बढ़ा देता है। एक आंकड़े के मुताबिक लंग अटैक की समस्या 90 प्रतिशत ऐसे लोगों में हो सकती है जो अत्यधिक सिगरेट पीते हैं। लंग अटैक के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।
- अल्फा -1 एंटीट्रिप्सिन (एएटी) की कमी।
- आनुवांशिक कारणों से।
- सिगरेट पीने की वजह से।
- वायु प्रदूषण।
- धूल और धुएं के संपर्क में आने की वजह से।
- धूम्रपान
- सांस से जुडी गंभीर बीमारियां।
लंग अटैक से किन लोगों को है ज्यादा खतरा? (Who At More Risk Of Lung Attack?)
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित लोगों में लंग अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ऐसे मरीजों के लक्षण अचानक बिगड़ने पर उन्हें लंग अटैक की समस्या हो सकती है। खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द और कभी-कभी बुखार जैसे लक्षण दिखने पर इस समस्या को गंभीर स्थिति में माना जाता है। बढ़ते प्रदूषण, धूम्रपान और लाइफस्टाइल से जुड़ी गलतियों की वजह से यह समस्या काफी लोगों में देखी जाती है।
लंग अटैक का इलाज और बचाव (Lung Attack Treatment And Prevention)
मरीजों में लंग अटैक की समस्या का इलाज बीमारी की गंभीरता और जटिलता के आधार पर किया जाता है। इस समस्या के इलाज के लिए मुख्य रूप से Dilators का इस्तेमाल कर सांस की प्रक्रिया को ठीक किया जाता है। इसके अलावा चिकित्सक मरीज की गंभीरता और स्थिति के हिसाब से इलाज करते हैं। इस समस्या से बचाव के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- धूम्रपान करना बंद कर दें।
- खाना पकाने के लिए धुएं पैदा करने वाली चीजों का इस्तेमाल ना करें।
- खाना पकाने का काम हवादार रसोई में करें।
- किसी तरह के वायु प्रदूषण से बचें।
- दवा नियमित रूप से लें जो मुख्य रूप से इनहेलर के रूप में होती हैं।
- फेफड़ों के संक्रमण से बचें और इसके लिए फ्लू के टीके और न्यूमोकोकल टीके, सीओपीडी वाले लोगों के लिए विशेष रूप से लगवा लेना चाहिए।
- कुछ लोगों के खून में ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर उन्हें पोर्टेबल ऑक्सीजन टैंक का उपयोग करने की जरूरत हो सकती है।
- खूब सारे तरल पदार्थ पिएं जिससे बलगम का बाहर निकलना आसान हो जाए।
- कैफीनयुक्त पेय पदार्थों को सीमित करें।
- नमक का सेवन कम करें क्योंकि इससे शरीर में पानी जमा हो जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
- वजन संतुलित रखें।
ऊपर बताई गयी बातों का ध्यान रखने से आप लंग अटैक की समस्या से बाख सकते हैं। इसके लक्षणों के बारे में जानकारी होने से आप आसानी से इसका बचाव कर सकते हैं। लंग अटैक के लक्षण दिखने पर या इसके इलाज के लिए आपको एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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