स्वस्थ शरीर के लिए अच्छी और गहरी नींद की जरूरत होती है। लेकिन कई ऐसे कारण होते हैं, जिसकी वजह से हमें अच्छी और गहरी नींद नहीं आ पाती है। नींद ना आने के कई कारण होते हैं। इन कारणों में से सबसे बड़ा कारण स्लीप एपनिया भी हो सकता है। इस बारे में नोए़डा स्थित सुमित्रा हॉस्पिटल के फिजिशियन डॉक्टर अंकित गुप्ता का कहना है कि स्लीप एपनिया से ग्रसित मरीजों को नींद में सांस लेने में काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण नींद में काफी ज्यादा खलल होती है। स्लीप एपनिया कुछ सेकंड से लेकर मिनटों तक होता सकता है। स्लीप एपनिया के कारण मरीज के श्वास नली के ऊपरी वायु मार्ग में रुकावट पैदा होती है, जिसके कारण ऑक्सीजन का सही से प्रवाह नहीं हो पाता है। स्लीप एपनिया से ग्रसित व्यक्ति को खर्राटे की शिकायत होती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर एक खर्राटे लेने वाले व्यक्ति को स्लीप एपनिया की शिकायत है। स्लीप एपनिया दो तरह के होतो हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और सेंट्रल स्लीप एपनिया। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं स्लीप एपनिया किन कारणों से होता है और इनके लक्षण क्या हैं?
स्लीप एपनिया के लक्षण ( Symptoms of Sleep Apnea)
डॉक्टर बताते हैं कि आप स्लीप एपनिया के लक्षणों को आसानी से पहचान सकते हैं। सांस लेने में बार-बार रुकावट पैदा होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके आलावा निम्न स्लीप एपनिया के प्रमुख लक्षण है-
- तेज-तेज खर्राटे लेना
- दिन में अधिक नींद आना
- काफी ज्यादा थकान महसूस होना।
- सांस लेते समय काफी ज्यादा हाफना।
- थकान महसूस होना
- यौन संबंध के प्रति रुचि ना होना।
- एकाग्रता में कमी होना।
- ध्यान और सतर्कता में कमी होना।
- किसी चीज को पहचान करने में परेशानी
- शब्दों को याद रखने में परेशानी
- सिर दर्द की समस्या
- मुंह सूखने की शिकायत
- सोते समय बार-बार पेशाब लगना।
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स्लीप एपनिया के कारण (Causes of Sleep Apnea)
- मोटापा
- हार्मोन का अत्यधिक उत्पादन(एंडोक्राइन डिसऑडर)
- बड़े आकार के टॉन्सिल
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
- स्ट्रोक की परेशानी होने पर
- रीढ़ की समस्या
- पेन किलर का अधिक सेवन करने से
- हाइपोथायरायडिज्म
- एक्रोमिगेली
- न्यूरोमस्कुलर रोग (तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली बीमारियां होने से)
- किडनी संबंधी समस्या होने पर
- आनुवंशिक सिंड्रोम (क्लेफ्ट लिप्स व डाउन सिंड्रोम इत्यादि होने पर)
- समय से पहले जन्म
- दिमागी संक्रमण
- दर्द निवारक दवाइयां
इन सभी कारणों से व्यक्ति को स्लीप एपनिया की समस्या हो सकती है।
स्लीप एपनिया के जोखिम कारक (Risk Factors of Sleep Apnea)
- बढ़ती उम्र के साथ लोगों को स्लीप एपनिया का खतरा बढ़ सकता है।
- अस्वस्थ जीवनशैली जैसे- धूम्रपान, एक्सरसाइज ना करना, अंसतुलित आहार, शराब का अधिक सेवन इत्यादि स्लीप एपनिया के कारण हो सकते हैं।
- आनुवंशिक (Genetics) कारणों से भी व्यक्ति स्लीप एपनिया का शिकार हो सकता है।
- मोटापा के शिकार व्यक्ति को स्लीप एपनिया हो सकता है।
- एलर्जी राइनाइटिस की परेशानी जैसे- नाक में सूजन होने पर व्यक्ति को स्लीप एपनिया हो सकता है।
- टॉन्सिल के कारण भी कुछ व्यक्तियों को स्लीप एपनिया का खतरा रहता है।
स्लीप एपनिया का निदान (Diagnosis of Sleep Apnea)
- मेडिकल हिस्ट्री
- फिजिकल एग्जाम
- ब्लड टेस्ट
- स्लीप स्टडी
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड
इत्यादि टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर स्लीप एपनिया का निदान करने की कोशिश करते हैं। इसके बाद ही डॉक्टर मरीजों का इलाज शुरू करते हैं।
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स्लीप एपनिया का इलाज (Treatment of Sleep Apnea)
श्वास उपकरण (Breathing devices) - प्रारंभिक स्थिति में डॉक्टर मरीजों का इलाज श्वास उपकरण की मदद से करने की कोशिश करते हैं। इस उपकरण में सीपीएपी (कॉन्टिनियस पॉजिटिव एयर वे प्रेशर) मशीन का इस्तेमाल करते हैं।
मौखिक उपकरण - इस विधि में डॉक्टर टंग रिेनिंग और माउथपीस का इस्तेमाल करते हैं। इस डिवाइस को सोते समय मरीज को पहनाया जाता है। इससे श्वास नली के ऊपरी वायु मार्ग खुलने में मदद मिलती है।
ओरोफेशियल थेरेपी - इस थैरेपी में डॉक्टर्स मरीज के मुंह और जुबान की थैरेपी करवाते हैं। इस थैरेपी के माध्यम से मुंह की मांशपेशियों को मजबूत करने की कोशिश की जाती है।
प्रत्यारोपण (Implants) - प्रत्यारोपण में डॉक्टर मरीज के शरीर में एक उपकरण लगाते हैं, जिस उपकरण की मदद से श्वास नली को खोलने वाली मांसपेशियों तक कंपन्न पहुंचता है। इससे श्वास नली खुलती है और सांस लेने में आसानी होती है।
सर्जरी - गंभीर स्थिति होने पर डॉक्टर सर्जरी का सहारा लेते हैं। सर्जरी तीन तरह से की जाती है। जो निम्न हैं-
- मैक्सिलरी या जॉ एडवांसमेंट (Maxillary or Jaw advancement)
- टॉन्सिल्लेक्टोमी (Tonsillectomy)
- ट्रेकियोस्टोमी (Tracheostomy)
स्लीप-एपनिया होने पर कैसा होना चाहिए आहार (Diet in Sleep Apnea)
क्या खाएं?
- साबुत अनाज (होल ग्रेन)
- फलियां
- ऑलिव ऑयल
- हरी सब्जियां
- दूध से बने उत्पाद
- नट्स
- फल
- सी फूड्स
- मछली
क्या ना खाएं?
- तले हुए खाद्य पदार्थ
- अधिक फैट वाला मीट
- अधिक फैट वाले आहार
- ज्यादा मीठा खाना
- बेकरी उत्पाद जैसे सेवरी पास्ता, टार्ट, केट, पेस्ट्री जैसी चीजों का सेवन ना करें।
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स्लीप एपनिया से बचाव (Prevention Tips for Sleep Apnea)
- संतुलित आहार का सेवन
- धूम्रपान और शराब जैसी चीजों से दूर रहें।
- वजन को कंट्रोल करके रखें।
- समय पर सोएं और जगें।
- नियमिर रूप से एक्सरसाइज करें।
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