एक नए अध्ययन में पहली बार ये सामने आया है कि हमारे शरीर के अन्य हिस्सों पेट, जांघ, हिप्स, हाथ की तरह हमारे फेफड़ों के वायुमार्ग की वॉल में भी फैट जमा हो सकता है। अध्ययन के लेखकों के मुताबिक, फेफड़ों में जमा होने वाले फैट की मात्रा सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में उन लोगों में ज्यादा है, जो लोग मोटे हैं या फिर जिनका वजन जरूरत से ज्यादा है। यूरोपियन रेसपिरेटरी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इसके अलावा निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि कहीं न कहीं अस्थमा के लिए मोटापा भी एक जोखिम भरा कारक है।
क्या कहता है अध्ययन
अध्ययन के मुताबिक, मोटापे और अस्थमा के बीच संबंध वर्षों से ज्ञात है लेकिन इस संबंध का कारण पूर्ण रूप से अज्ञात था। कुछ शोधकर्ताओं ने बताया कि जरूरत से ज्यादा वजन हमारे फेफड़ों पर सीधा दबाव डालता है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। जबकि कुछ का कहना था कि मोटापा पूरे शरीर में सूजन को बढ़ा देता है, जिसके कारण अस्थमा की शिकायत होती है।
शोधकर्ताओं ने बताई वजह
पर्थ की यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक पीटर नोबल का कहना है कि नया अध्ययन इसमें अन्य कारक की भी भूमिका के बारे में बताता है। लेखक ने कहा कि शरीर पर जमा फैट लोगों के वायुमार्ग के आकार में बदलाव ला देता है, जिसके कारण अस्थमा का जोखिम बढ़ जाता है। उन्होंने कहा हालांकि अभी इस बात पर और शोध की जरूरत है ताकि पुष्टि की जा सके कि वाकई में फैटी टिश्यू वायुमार्ग में बाधा पैदा कर अस्थमा का कारण बन सकते हैं या फिर वजन घटाकर अस्थमा के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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बीएमआई का प्रभाव
अध्ययन के मुताबिक, वायुमार्ग की वॉल में फैट की मात्रा प्रत्येक व्यक्ति के बॉडी मास इंडेक्स से जुड़ी हुई है। इसका मतलब है कि जिन लोगों का बीएमआई अधिक होगा उनके फेफड़ों में फैट जमा होने का खतरा कम बीएमआई वाले लोगों की तुलना में अधिक होगा।
फैट जमा होने का खतरा
शोधकर्ताओं ने कहा कि ज्यादा फैट जमा होने के कारण वायुमार्ग संकुचित हो जाता है, जिसके कारण वायु का प्रवाह सीमित हो जाता है। नोबल ने कहा कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में ये कारण अस्थमा के लक्षणों को बढ़ाने में जरूर मदद करता है।
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वजन और सांस संबंधी समस्याएं
यूरोपियन रेसपिरेटरी सोसायटी के अध्यक्ष थियेरी ट्रूस्टर का कहना है कि शरीर के वजन और सांस संबंधी बीमारियों के बीच रिश्ते पर यह निष्कर्ष बहुत जरूरी है क्योंकि यह बताता है कि मोटापा और अधिक वजन अस्थमा के मरीजों के लिए इसके लक्षणों को और अधिक गंभीर बना सकता है। उन्होंने कहा कि अध्ययन से जो चीज सामने निकलकर आई है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों को गतिविधियों के साथ ज्यादा सांस लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हालांकि निष्कर्षों की पुष्टि अभी किया जाना बाकी है लेकिन डॉक्टरों को अस्थमा के मरीजों को एक हेल्दी वेट बनाए रखने की सलाह देनी चाहिए।
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