What is COPD In Hindi: दिल्ली में दिन-प्रतिदिन हवा में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण जहरीले तत्व हमारे फेफड़ों व सांस प्रणाली को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लोगों में क्रोनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्नमरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease-COPD) के मामलों में इजाफा हो रहा है। ऑन्क्रेस्ट लेबोरेटरीज लिमिटेड के एमडी (पैथोलॉजी), सीओओ डॉ रवि गौड़, बताते हैं कि विभिन्न अध्ययन से पता चलता है कि जो हवा हम सांस के रूप में लेते हैं, वह खराब है। वास्तव में यह अनुमान लगाया गया है वैश्विक स्तर पर 2020 तक यह मौत का तीसरा सबसे बड़ा और विकलांगता का पांचवा सबसे बड़ा कारण होगा।
सीओपीडी होने पर मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। यह समस्या अचानक परेशान नहीं करती, बल्कि शरीर में धीरे-धीरे पनपती रहती है। ऐसे में मरीज को यह बीमारी कब हुई, इसका पता लगा पाना कठिन है। इसके लक्षण को समझने में भी काफी समय लग जाता है। आमतौर पर इसके लक्षण समय के साथ गंभीर होते चले जाते हैं और मरीज के दैनिक कार्यो को प्रभावित करने लगते हैं।
सीओपीडी रोग का सबसे बड़ा कारण धूमपान व प्रदूषण है। वहीं जिन गांव-घरों में आज भी चूल्हे पर खाना पकता है, वहां की अधिकांश महिलाएं सीओपीडी की शिकार हैं। सीओपीडी के लक्षण 35 साल की उम्र के बाद ही नजर आते हैं। इसकी इलाज प्रक्रिया लंबी है, ऐसे में मरीज चिकित्सक की सलाह के बिना दवा बंद न करें। सीओपीडी के मरीजों को धूमपान से बचना चाहिए।
सीओपीडी के प्रमुख लक्षण:
खांसी, जुकाम व फ्लू, सांस की कमी, सीने में जकड़न, पैरों में सूजन, वजन घटना, तेजी से दिल धड़कना मरीजों को हो सकती हैं ये दिक्कत, चलने में कठिनाई, स्मरण शक्ति की क्षति, तनाव, सांस प्रणाली में संक्रमण, हृदय की समस्याएं, फेफड़ों का कैंसर।
आपकी देखभाल
- पल्मोनरी कार्य परीक्षण, यह देखने के लिए कि आपके फेफड़े कितना ठीक काम कर रहे हैं
- छाती का एक्सरे
- सीटी स्कैन
- रक्त परीक्षण
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यह रोग कुछ सालों में विकसित होता है। उपचार से यह लक्षण कम हो सकते हैं और रोग को बदतर होने से रोका जा सकता है। सीओपीडी से आपके फेफड़ों को हुए नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता और इसका कोई इलाज नहीं है। अपने स्वास्थ्यचर्या टीम की मदद से, आप रोग की प्रगति को धीमा करने के लिए प्रबंधन कर सकते हैं। अपने सीओपीडी का प्रबंधन करने के लिएः
- सक्रिय रहें
- धूम्रपान छोड़ दें
- वजन को स्वस्थ सीमा पर बनाए रखें
- संतुलित आहार लें
- ढेर सारे तरल पदार्थ पिएं
- तनाव पर नियंत्रण रखें
- डॉक्टर के निर्देषानुसार अपनी औषधियां जैसे इनहेलर, स्टेरॉइड्स तथा एंटीबायोटिक लें
- यदि डॉक्टर ने निर्देष दिया हो, तो घर पर ऑक्सीजन थिरेपी लें
- सीओपीडी के बारे में जानने के लिए फेफड़ों के पुनर्वास कार्यक्रम में भाग लें और अपना स्वास्थ्य सुधारने के लिए व्यायाम करें
- हर साल फ्लू का टीका लगवाएँ और निमोनिया का टीका लगवाने के लिए चिकित्सक से बात करें
- यदि आपकी नाक या फेफड़ों में सर्दी या अन्य संक्रमण हो जाए, तो तुरंत उपचार लें
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