निमोनिया (Pneumonia) फेफड़ो से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जिसमें कि इंफेक्शन के कारण हमारे फेफड़ों में सूजन हो जाती है। निमोनिया कई कारणों से हो सकता है और उन्हीं में से एक है वायु प्रदूषण (Air Pollution)। दरअसल, बढ़ता वायु प्रदूषण निमोनिया के लक्षणों को बढ़ाता है और हमारे फेफड़ों को और संवेदनशील बना देता है। इसी बारे में हमने डॉ मनोज गोयल (Dr Manoj Goel), निदेशक, पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम से बात की है। डॉ मनोज गोयल बताते हैं कि दूषित हवा में बैक्टीरिया, फंगस और वायरस सहित विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीव रहते हैं। ये फेफड़ों की कोशिका अस्तर को नुकसान पहुंचा सकते हैं और फेफड़ों के ऊतकों पर आक्रमण कर निमोनिया का कारण बन सकते हैं। इसलिए बुजुर्ग, धूम्रपान करने वालों और अस्थमा और सीओपीडी जैसे पहले से मौजूद फेफड़ों की बीमारियों वाले लोगों को वायु प्रदूषण के संपर्क में आने पर निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है।
वायु प्रदूषण के कारण निमोनिया होने को लेकर डॉ. मनोज गोयल ये भी बताते हैं कि NO2 और PM2.5 के स्तर और निमोनिया के बीच एक साफ संबंध देखा जा सकता है। इसके कारण हॉस्पिटल में भर्तियां बढ़ती जा रही हैं। साथ ही डॉ. मनोज से भी बताते हैं इसका प्रभाव सबसे ज्यादा यातायात से निकलने वाले प्रदूषकों के साथ देखा गया। तो, आइए विस्तार से जानते हैं कैसे वायु प्रदूषण निमोनिया को प्रभावित करता है और इस स्थिति में हमें बचाव के लिए किन चीजों की मदद लेने चाहिए।
फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है वायु प्रदूषण-How air pollution affects our lungs
वायु प्रदूषण वैसे तो पूरे शरीर को प्रभावित करता है पर जब हम बात फेफड़ों की करते हैं, तो ये वायु प्रदूषण का पहला शिकार बनता है। वायु प्रदूषण के प्रभाव को समझने के लिए सबसे पहले हमें इसे समझना होगा। जैसे दो सामान्य प्रकार के वायु प्रदूषक जो अस्वस्थ स्तर तक पहुंच सकते हैं और फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं:
ग्राउंड लेवल ओजोन स्मॉग जिसे आमतौर पर स्मॉग के रूप में जाना जाता है, सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (volatile organic compounds) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) के बीच एक रासायनिक प्रतिक्रिया से बनता है। वीओसी (VOCs) कार्बनिक यौगिक होते हैं जो आसानी से भाप या गैस बन जाते हैं, जैसे इंजन से निकलने वाला धुआं। नाइट्रोजन ऑक्साइड गैसें नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के बीच रिएक्शन से बनती है और सबसे ज्यादा गाड़ियों से निकलती है।जब मौसम गर्म होता है और हवा कम होती है तो ग्राउंड लेवल ओजोन स्मॉग अस्वास्थ्यकर स्तर तक पहुंच सकती है। इसी में फाइन पार्टिकुलेट मैटर होते हैं जो कि ऑटो और डीजल वाली गाड़ियों, बिजली संयंत्र या लकड़ी के धुएं से निकलते हैं और हवा में छोटे कणों के रूप में घुमते हैं। जब इनका स्तर बढ़ जाता है तो हवा धुंधली दिखाई देती है।
फिर जब आप इन वायु प्रदूषकों में सांस लेते हैं तो इसके कारण आपके वायुमार्ग में जलन हो सकती है और सांस की तकलीफ, खांसी, घरघराहट, अस्थमा के और सीने में दर्द हो सकता है। साथ ही वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से आपको फेफड़ों के कैंसर, दिल के दौरे, स्ट्रोक और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ये कुछ लोगों में गंभीर स्थितियां पैदा कर सकती हैं। यही प्रदूषक जब आपके फेफेड़ों में चले जाते हैं और इंफेक्शन और सूजन पैदा करते हैं तो ये निमोनिया बन जाता है। इस दौरान आप निमोनिया के कई लक्षण महसूस कर सकते हैं।
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निमोनिया के लक्षण (Pneumonia Symptoms in hindi) हल्के से लेकर गंभीर तक भिन्न होते हैं, जो संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणु के प्रकार और आपकी उम्र और समग्र स्वास्थ्य जैसे कारकों पर निर्भर करता है। इसके लक्षण अक्सर सर्दी या फ्लू के समान होते हैं, लेकिन वे लंबे समय तक चलते हैं। निमोनिया के कुछ आम लक्षणों में शामिल है
टॉप स्टोरीज़
- -कफ वाली खांसी
- -सांस लेने में तकलीफ
- -सीने में दर्द
- -थकान
- -बुखार और कंपकंपी
नवजात और शिशु में निमोनिया के लक्षण दिख भी सकते हैं और नहीं भी दिख सकते हैं। हालांकि, उन्हें उल्टी हो सकती है, सांस लेने में परेशानी हो सकती है जिसकी वजह से वो सो नहीं पाते हैं। साथ ही बच्चा बहुत रो सकता है और उसे बुखार हो सकता है।
फेफड़ों को प्रदूषण से बचाने के उपाय-How to Prevent Pneumonia due to Air Pollution
1. इनडोर एयर पॉल्यूशन से बचें
हम घर के बाहर तो पॉल्यूशन पर तो ध्यान देते हैं पर इनडोर एयर पॉल्यूशन पर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसी स्थिति में हमें इनडोर प्रदूषकों के संपर्क में आने से बचना चाहिए और जानना चाहिए कि हमें किस चीज से इंफेक्शन है और किस चीज से नहीं है। दरअसल, आपके घर में जलाई जाने वाली धूप, अगरबत्ती और अन्य प्रकार के धुएं सेकेंडहैंड स्मोक हैं जो कि इनडोर एयर पॉल्यूशन को बढ़ाते हैं। ये फेफड़ों की बीमारी जैसे कि निमोनिया का कारण बन सकते हैं या फिर इसे बढ़ा सकते हैं।
2. ज्यादा बाहर जाने से बचें
आपके शहर का प्रदूषण स्तर कितना है और हाल ही में ये किस स्तर पर है इसके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। खास कर कि आपको निमोनिया हो या फेफड़ों की कोई बीमारी हो। अगर प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो तो आपको घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।
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3. इनहेलर अपने पास रखें
अगर आप निमोनिया के मरीज हैं या फिर आपको फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं रहती हैं तो आपको अपने पास इनहेलर रखना चाहिए। ताकि जहां जरूरत पड़े आप इसका इस्तेमाल कर लें। साथ ही इंफेक्शन से बचने के लिए बार-बार हांथ धोते रहें।
4. इंफेक्शन से बचें
सर्दी या अन्य श्वसन संक्रमण कभी-कभी बहुत गंभीर हो सकता है। अपनी सुरक्षा के लिए आप कई चीज़ें कर सकते हैं: जैसे कि
- -बाहर निकलते समय मास्क पहन कर जाएं।
- -अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं।
- -सर्दी और फ्लू के मौसम में भीड़ से बचें।
- -सर्दी-जुकाम होने पर या कोई भी दिक्कत महसूस होने पर अपने घर में रहें।
5. रनिंग और बाहरी एक्सरसाइज से बचें
डॉ. मनोज बताते हैं कि आपको बाहरी गतिविधियों को कम करना करना चाहिए और हवा की गुणवत्ता खराब होने पर दौड़ने जैसे व्यायाम से बचना चाहिए। साथ ही आपको उन एक्सरसाइज से भी बचना चाहिए जिसके लिए आपको घर से बाहर जाना पड़ता हो।
इन सबके अलावा वायु प्रदूषण से फेफड़ों को बचाने के लिए स्मोकिंग से बचें। अगर आपको पहले से कोई बीमारी है, तो अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और ज्यादा जोखिम वाले लोगों को निमोनिया का टीका लेना चाहिए। साथ ही आपके घर में कोई बीमार हो या आपके आस-पास कोई बीमार हो तो उनसे दूरी बनाए रखने की कोशिश करें।
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