बच्‍चों और किशोरों के मस्तिष्‍क विकास पर विपरीत प्रभाव डालते हैं कैफीनयुक्‍त पेय पदार्थ

कैफीनयुक्‍त शीतल पेय बच्‍चों और किशोरों के मानसिक विकास के लिए काफी नुकसानदेह हो सकता है। स्विटजरलैंड के शोधकर्ताओं ने य‍ह निष्‍कर्ष निकाला है कि अधिक कैफीन से मानसिक विकार हो सकते हैं।
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बच्‍चों और किशोरों के मस्तिष्‍क विकास पर विपरीत प्रभाव डालते हैं कैफीनयुक्‍त पेय पदार्थ

caffine effect on childrenकैफीन से भरे शीतल पेय आपके बच्‍चों के मस्तिष्‍क पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि इस प्रकार के शीतल पेय बच्‍चों के दिमाग को सही प्रकार से वि‍कसित होने से रोकते हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि कैफीनयुक्‍त पेय से नींद पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिससे किशोरावस्‍था के दौरान मस्तिष्‍क के विकास पर नकारात्‍मक असर पड़ता है।

ब्रिटिश अखबार ' डेली मेल' के अनुसार किशोरावस्‍था मस्तिष्‍क के विकास के लिए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण समय होता है। इस दौरान मानसिक विकास में होने वाली किसी भी प्रकार की समस्‍या सिजोर्फेनिया, तनाव, नशीली दवाओं का सेवन और व्‍यक्तित्‍व विकार का रूप ले सकती हैं।

शोधकर्ताओं ने चूहों पर शोध करने के बाद यह निष्‍कर्ष निकाला। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह परिणाम बच्‍चों और किशोरों के लिए चिंता का विषय हैं क्‍योंकि कई किशोर कोला और एनर्जी ड्रिंक्‍स के जरिये भारी मात्रा में कैफीन का उपभोग करते हैं।

दिन भर में तीन -चार सौ मिलीग्राम कैफीन, जो आपको एनर्जी ड्रिंक्‍स के चार कैन या तीन से चार कप कॉफी से मिल सकती है, बड़ा अंतर पैदा करती है। एक नामी एनर्जी ड्रिंक के कैन में 80 मिलीग्राम तक कैफीन होती है।

स्विटजरलैंड के शोधकर्ताओं ने किशोरों के मानसिक विकास को केंद्र में रखकर शोध किया। शोध में सामने आया कि जवान होते समय मस्तिष्‍क उन गुणसूत्रीय संयोजनों अथवा उन सेल्‍स का सफाया कर देता है जिनकी उसे आवश्‍यकता नहीं होती।

यह बात तो साफ है कि नींद इस पूरी प्रक्रिया के लिए बेहद जरूरी होती है। ज्‍यूरिख में यूनिवर्सिटी ऑफ चिल्‍ड्रन्‍स हॉस्‍पिटल के प्रोफेसर रेटो हूबर का कहना है, ' हमारा अनुमान है कि शरीर की यह अनुकूल प्रकिया संभवत: नींद के दौरान पूरी होती है। काम के गुणसूत्रीय संयोजनों का विकास होता है और अन्‍य कम होते चले जाते हैं। इससे मा‍नसिक प्रक्रिया अधिक कारगर और शक्तिशाली होती है।'

प्रोफेसर हूबर का कहना है कि जब युवा चूहों को कैफीनयुक्‍त पानी दिया गया, तो वे उन चूहों के मुकाबले कम सोये जिन्‍हें साधारण जल दिया गया था। उनके मस्तिष्‍क में भी अधिक सजगता देखी गयी। इस शोध का परिणाम यह निकला कि मस्तिष्‍क की गैरजरूरी कोशिकाओं को नष्‍ट करने की स्‍वाभाविक प्रक्रिया में खलल पड़ा। यह रिपोर्ट पीएओएस वन जर्नल में प्रकाशित हुयी है।

शोधकर्ताओं के एक प्रवक्‍ता का कहना है कि बीते तीस वर्षों में 'बच्‍चों और युवाओं' में कैफीन का सेवन औसतन सत्तर फीसदी तक बढ़ गया है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है। शीतल पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनियों के कैफीनयुक्‍त उत्‍पादों की बिक्री में भी काफी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।'

प्रवक्‍ता ने आगे कहा कि यौवन में मस्तिष्‍क बहुत ही नाजुक दौर से गुजरता है। इस दौरान कई मानसिक रोग व परेशानियां होने की आशंका हमेशा बनी रहती है। और हालांकि चूहों के मस्तिष्‍क की संरचना मनुष्‍य के मस्तिष्‍क से काफी अलग होती है, लेकिन कई सामानताएं यह प्रश्‍न उत्‍पन्‍न करती हैं कि बच्‍चों और युवाओं पर कैफीन का अधिक सेवन किस हद तक असर डालता है। और क्‍या इतना खतरा होते हुए भी हमें इस प्रकार के पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।'


कनाडा की सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य एजेंसी का कहना है कि एक औसतन व्‍यक्ति दिन में 400 मिलीग्राम कैफीन का सेवन कर सकता है।  इतनी मात्रा में कैफीन का सेवन करने से उसे तनाव और हृदय संबंधी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।

इससे पहले भी एक शोध में यह बात सामने आयी थी कि कैफीन युक्‍त पेय पदार्थों का अधिक सेवन छोटे बच्‍चों को अधिक हिंसक और उग्र बनाता है।

 

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