जब भी हम किसी से बात करते हैं तो न चाहते हुए भी हमारी नजरें सामने वाले की दांतों पर चली ही जाती है.... ऐसे में किसी के दांतों की चमक हमें आकर्षित करती है तो किसी-किसी के गंदे दांतों को देखकर नज़रें फेर लेने को जी चाहता है। कई बात दांतों की खूबसूरती ही अच्छी स्माइल का कारण बनती है। हमारी पर्सनैलिटी से लेकर हमारे स्वास्थ्य में दांतों का अहम योगदान है, वहीं इसके रंग हमारे सेहत के बारे में काफी कुछ बयां करते हैं। तो आइए इस आर्टिकल में हम दांतों के रंग और उसका हमारे स्वास्थ्य से क्या संबंध है उसपर बात करते हैं। जानने की कोशिश करते हैं कि दांत का कौन सा रंग हेल्दी है और कौन सा रंग नुकसानहेद। सरिता डेंटल क्लीनिक भालूबासा के डेंटल सर्जन और वैल्लोर में बतौर सीनियर डेंटल सर्जन रह चुके डॉ. सिकंदर प्रसाद से जानते हैं कि अनहेल्दी दांत का क्या कारण हैं। जानने के लिए पढ़ें।
स्ट्रॉ येलो है हेल्दी दांत की पहचान
दांतों का रंग यदि ज्यादा पीला हो तब समस्या है और जब यह ज्यादा सफेद हो, जिसे मिल्की व्हाइट कहते हैं, तब भी परेशानी से भरा है। सीएमसी वैलोर के पूर्व डेंटल सर्जन व वर्तमान में जमशेदपुर में रह रहे डॉक्टर सिकंदर प्रसाद बताते हैं कि दांतों का रंग हमारे सेहत के कई राज को बयां करता है। भारतीय लोगों में जिनके दांत का रंग स्ट्रॉ येलो है तो उनके दांत स्वस्थ्य हैं। समस्या तो तब है जब किसी के दांत का रंग ज्यादा पीला या ज्यादा सफेद हो। या फिर किसी-किसी के दांत काले होने के साथ पिंक होते हैं। वैसे लोगों को डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। ऐसी समस्या को सामान्य मानकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
दांत का रंग बदलने की हैं कई वजह
बकौल डॉ. सिकंदर उम्र के साथ, खानपान में बदलाव व नशीले-तंबाकू युक्त पदार्थ का सेवन करने से, सामान्य पीने के पानी से, किसी प्रकार का एक्सीडेंट व अन्य कारणों से दांत का रंग बदलता है। पानी में पाए जाने वाले तत्वों के साथ कई कारण हैं जिनकी वजह से दांत के रंग में बदलाव दिखता है।
जमीन से आने वाला पानी है बड़ा फैक्टर
वैसे लोग जिनके घरों में बोरिंग है या फिर चापाकल से आने वाला पानी पीते हैं, उनके दांतों का रंग ज्यादा पीला होता है। या संभावनाएं अधिक रहती हैं कि उनके दांतों का रंग ज्यादा पीला हो। ऐसा इसलिए क्योंकि पाताल के पानी में मिनरल्स की अधिक मात्रा होती है।
पानी में फ्लोराइड है वजह
डॉ. सिकंदर बताते हैं कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा 2 पीपीएम (Part per million) से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसकी सामान्य मात्रा 1.5 से लेकर 2 पीपीएम है। यदि पीपीएम की मात्रा अधिक हुई तो दांतों का अधिक पीलापन और मात्रा कम हुई तो मिल्की व्हाइट जैसी समस्या हो सकती है। यदि आपके घरों में सप्लाई का पानी आता है तो भारतीय सरकार व पेयजलापूर्ति की सप्लाई करने वाली निजी कंपनियां पानी की गुणवत्ता पर खासतौर पर ध्यान देती हैं और सरकार के तय प्रोटोकॉल का पालन कर पानी में फ्लोराइड डालती हैं।
खराब आदतें भी हैं वजह
दांत का रंग बदलने के पीछे की वजह इंसान की खराब आदतें भी हैं। जैसे कि अच्छे से ब्रश न करना, खाना खाने के बाद कुल्ला न करना, नशीले खाद्य पदार्थों का सेवन व तंबाकू का सेवन करना। इन वजहों से भी दांत का रंग बदलता है।
सही टूथपेस्ट का करें चयन
डॉ. सिकंदर के अनुसार हर व्यक्ति को सही टूथपेस्ट का चयन करना चाहिए। भारत में इंडियन डेंटल एसोसिएशन टूथपेस्ट में फ्लोराइड की मात्रा तय करता है। जिसका टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनियों को पालन करना होता है। यदि वो तय मानकों पर ध्यान न देते हुए टूथपेस्ट बनाए तो उसके कारण भी आपके दांत का रंग बदल सकता है।
जन्मजात हो सकती है समस्या
डॉ. सिकंदर के अनुसार दांत का रंग बदलने की समस्या जन्मजात भी हो सकती है। इसे डेवलप्मेंटल डिफेक्ट कहा जाता है। शिशु जब गर्भ में रहता है, उस वक्त मां खाने में पर्याप्त पोषक तत्व न लें, फ्लोराइड का सेवन न करे तो समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं शिशु की हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं। यह बीमारी मां के खानपान की वजह से शिशु को होने की संभावना रहती हैं।
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जानें दांतों का रंग और उसका आपकी सेहत से संबंध
स्ट्रॉ येलो
इसे हल्का पीला दांत भी कहा जाता है। यह हेल्दी दांतों की श्रेँणी में आता है। जब भी कोई अच्छा पानी पीता है (पानी में फ्लोराइड की उचित मात्रा), अच्छी आदतें हैं, जैसे तंबाकू का सेवन नहीं करना, खाना खाने के बाद मुंह धोना, सही टूथपेस्ट का चयन करना, दिन में दो बार ब्रश करना, ओरल हाइजीन को मेनटेन रखना। जो लोग ऐसी आदत अपनाते हैं उनके दांत हेल्दी होते हैं और स्ट्रॉ येलो रंग के दिखते हैं।
ज्यादा पीला दांत यानि मिनरल्स डिपॉजिट की समस्या
वैसे लोग जिनके दांत ज्यादा पीले हैं उनको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। डॉ. सिकंदर बताते हैं कि दांतों की सतह, जिसे इनेमल कहते हैं उसमें मिनरल्स जमा हो जाता है। ऐसा अक्सर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों में देखा गया है। क्योंकि वहां के लोग पीने के पानी के लिए चापाकल, बोरिंग, कुआं के पानी पर निर्भर हैं। कई बार यह अच्छे से ब्रश न करने की वजह से और दांत की बीमारी की वजह से भी ऐसा हो सकता है।
ज्यादा माउथ वाश का इस्तेमाल करने से नीले दांत
डॉ. सिकंदर बताते हैं कि किसी भी चीज को आवश्यकता से अधिक नहीं करना चाहिए। वैसे लोग जो ज्यादा माउथफ्रेशनर का इस्तेमाल करते हैं। बार-बार माउथ वाश करते हैं, ऐसे में उनके दांत नीले पड़ जाते हैं। उचित यही होगा कि एक बार डेंटिस्ट से सलाह लेकर ही माउथ वाश का इस्तेमाल करें। कई मामलों में इसके इस्तेमाल से उनके दांत हल्के ब्राउन भी दिखते हैं।
काले दांत हो तो लें डॉक्टरी सलाह
एक्सपर्ट बताते हैं कि पानी में आयरन की मात्रा अधिक होने से काले दांत की समस्या होती है। वहीं वैसे लोग जो ज्यादा तंबाकू का सेवन करते हैं उनके दांत का रंग भी आगे चल कर काला हो जाता है। स्ट्रेन ब्राउन (भुरा रंग) का होता है और रंग यदि काला हो तो समझें कि टार जमा है।
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पिंक दांत को न करें नजरअंदाज, है सीरियरस प्रॉब्लम
कई लोगों के दांतों के रंग पिंक पड़ जाता है। ऐसा बच्चों के साथ बड़ों में भी देखने को मिलता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब कोई गिर जाता है या फिर किसी से टकरा जाने से उसका दांत टूट जाता है, लेकिन वो दांत गिरकर अलग नहीं होता। ऐसे में दांत तक खून का प्रवाह सामान्य की तरह नहीं हो पाता है। और टूटने की वजह से खून का कनेक्शन भी टूट जाता है। ऐसे में यह दांत सड़ने लगता है और धीरे-धीरे इसका रंग पिंक हो जाता है। यह गंभीर समस्या है, इसे नजरअंदाज करने की बजाय एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए।
दांत का रंग ब्राउन होना भी है समस्या
डेंटल सर्जन सिकंदर बताते हैं कि कुछ लोगों के दांत का रंग ब्राउन होता है। ऐसा दवा का सेवन करने की वजह से हो सकता है। आज से कुछ साल पहले तक डॉक्टर मरीज को टेट्रासाइक्लिन (Tetracycline) एंटीबायटिक दवा ज्यादा ही देते थे। उस वजह से दांतों का रंग ब्राउन होने की समस्या आने लगी। ऐसा कई अन्य दवा देने के कारण भी हो सकता है।
दांत के रंग को देख लें डॉक्टरी सलाह
दांतों का रंग सामान्य से थोड़ा भी बदलता है तो उसके पीछे कोई न कोई समस्या जरूर होती है। इसलिए आपके घर-परिवार, आसपास या दोस्तों में किसी के दांत का रंग बदले तो उसे एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। नहीं तो स्थिति गंभीर हो सकती है। समय रहते ऐसी समस्याओं को कम नहीं किया गया तो यह गंभीर समस्या का रूप ले सकती हैं। वहीं हेल्दी दांतों के लिए अच्छी आदतों को जीवन में शामिल करें, जैसे समय पर दिन में दो बार दांत धोए, खाने के बाद कुल्ला करें, सही मात्रा में फ्लोराइड युक्त पानी का सेवन करें, सही टूथपेस्ट का चयन करें।
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