प्रोजेरिया सिंड्रोम (Progeria Syndrome) एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है जो बच्चों में पायी जाती है या यूं कहें कि इस बीमारी की वजह से बच्चे बूढ़े दिखने लगते हैं। आपको याद होगा कुछ साल पहले आई फिल्म पा में अमिताभ बच्चन का वो किरदार जिसमें वे बच्चे होते हुए भी बूढ़े जैसे दिख रहे थे। दरअसल उस फिल्म में अमिताभ बच्चन का किरदार इसी बीमारी पर बेस्ड था। इस गंभीर और भयानक बीमारी के बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी है। दरअसल प्रोजेरिया सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी हैं जिसकी वजह से बच्चों का शरीर, चेहरा और उनकी बनावट बूढों जैसी लगने-लगती है। प्रोजेरिया सिंड्रोम शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया शब्द है जिसका मतलब होता है 'समय से पहले बूढ़ा होना'। इस बीमारी को हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम के नाम से भी भी जाना जाता है। आइये जानते हैं इस बीमारी के बारे कारण, लक्षण और इलाज के बारे में।
क्या है प्रोजेरिया सिंड्रोम की बीमारी? (What is Progeria Syndrome?)
प्रोजेरिया सिंड्रोम बच्चों को कम समय में बूढ़ा बनाने वाली बीमारी है जिसे हचिंसन-गिलफोर्ड सिंड्रोम (Hutchinson Gilford Progeria Syndrome) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक जानलेवा बीमारी है जिसकी वजह से बच्चों की मौत 10 से 15 साल के भीतर हो जाती है। प्रोजेरिया सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे आमतौर पर जन्म के समय सामान्य दिखाई देते हैं। लेकिन उसके बाद पहले साल उनके शरीर का विकास बहुत धीमी गति से होता है और उनके बाल झड़ने लगते हैं। इस बीमारी के कारण बच्चों में हृदय से जुड़ी बीमारियां पैदा होती हैं। प्रोजेरिया सिंड्रोम की समस्या में ज्यादातर बच्चे दिल से जुड़ी गंभीर स्थिति के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। एक्सपर्ट्स और इस बीमारी को लेकर हुई तमाम रिसर्च के मुताबिक प्रोजेरिया सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों की औसत आयु 13 साल होती है। इस बीमारी में बच्चे हार्ट स्ट्रोक और हार्ट फेलियर की समस्या का शिकार होते हैं।
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प्रोजेरिया सिंड्रोम की बीमारी के कारण (What Causes Progeria Syndrome?)
प्रोजेरिया सिंड्रोम को एक जेनेटिक समस्या माना जाता है। इस समस्या में गईं उत्परिवर्तन को प्रमुख कारण माना जाता है। लैमिन ए (LMNA) नाम से जाना जाने वाला जीन जो कि कोशिका को एकसाथ रखने के लिए आवश्यक प्रोटीन का निर्माण करता है, की वजह से यह समस्या होती है। इस जीन में उत्परिवर्तन होने की वजह से कोशिकाएं अस्थिर हो जाती हैं और यह प्रोजेरिया को जन्म देता है। हालांकि इस गंभीर बीमारी को लेकर दुनियाभर में तमाम शोध चल रहे हैं। अभी तक वैज्ञानिकों को इस बीमारी का कोई सटीक जोखिम या कारण नहीं मिल पाया है। आमतौर पर इस बीमारी का कोई पारिवारिक इतिहास यानि जेनेटिक हिस्ट्री भी नहीं है।
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प्रोजेरिया सिंड्रोम के लक्षण (Progeria Syndrome Symptoms)
प्रोजेरिया सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में जन्म के समय कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। बच्चों के जन्म के एक साल बाद धीरे-धीरे उनमें ये लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। शुरुआत में बच्चों का विकास धीमी गति से होता है और फिर उनके बाल भी झड़ने लगते हैं। प्रोजेरिया से पीड़ित बच्चों के बड़े होने पर उनकी हड्डियों को नुकसान, धमनियों का सख्त होना और हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारियां होने लगती हैं। आमतौर पर इस बीमारी से ग्रसित बच्चे के 10 से 13 साल की उम्र में मौत हो जाती है। प्रोजेरिया सिंड्रोम में दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।
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- बच्चों का विकास धीमी गति से होना।
- उम्र बढ़ने पर भी औसत से कम लंबाई और वजन।
- संकुचित चेहरा और चोंच जैसी नाक व जबड़े नीचे की तरफ धंसे हुए।
- बालों के झड़ने की समस्या।
- पलक और भौंहों के बाल का झड़ना।
- सुनने में दिक्कत।
- कम उम्र में ही बूढ़ा दिखने लगना।
- इसके अलावा कई अन्य लक्षण।
प्रोजेरिया सिंड्रोम का इलाज (Progeria Syndrome Treatment)
प्रोजेरिया सिंड्रोम की बीमारी का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं मिल पाया है। इस बीमारी को लेकर पूरी दुनिया में रिसर्च और अध्ययन जारी है। कैंसर की कुछ दवाओं का इस्तेमाल इस बीमारी के इलाज में किये जाने की बातें चल रही थीं इन दवाओं को अभी भी ट्रायल के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए चिकित्सक कोलेस्ट्रॉल कम करने या रक्त के थक्कों को रोकने के लिए दवाएं देते हैं। प्रोजेरिया सिंड्रोम की वजह से होने वाली दिक्कतों से बचाव के लिए भी दवाएं और डाइट की सलाह चिकित्सक देते हैं। इस बीमारी में खानपान और नियमित दवाओं का सेवन करने से बच्चों की उम्र थोड़ा बढ़ जाती है।
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