इलाज में लापरवाही के लिए डॉक्‍टर हैं जिम्‍मेदार, जानें ये 5 कानूनी अधिकार

यहां हम आपको उपरोक्‍त बातें इसलिए बता रहे हैं कि क्‍यों कि मरीजों के लिए संविधान ने कई अधिकार सुरक्षित किए हैं, जिनके बारे में प्रत्‍येक नागरिक को पता होना चाहिए। यहां ऐसे ही कुछ प्रमुख अधिकारों के बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं। 
  • SHARE
  • FOLLOW
इलाज में लापरवाही के लिए डॉक्‍टर हैं जिम्‍मेदार, जानें ये 5 कानूनी अधिकार


इलाज के दौरान अक्‍सर मरीजों के साथ लापरवाही की घटना देखने और सुनने को मिलती है। यह एक तरह की चिकित्‍सीय उपेक्षा या लापरवाही होती है, जिसके कारण मरीज को शारीरिक और आर्थिक रूप से नुकसान होता है। डॉक्‍टर का अपने पेशेंट के प्रति यह कर्तव्‍य है कि वह उसकी देखभाल या इलाज के समय पर्याप्‍त कुशलता और ज्ञान का प्रयोग करे। ऐसा न करना चिकित्‍सीय उपेक्षा की श्रेणी में आता है। प्राय: ऐसी गलती होने पर दीवानी न्‍यायालयों द्वारा इनका फैसला किया जाता है, हालांकि दोषी पाए जाने पर चिकित्‍सकों पर आपराधिक मामले भी दर्ज किए जा सकते हैं।  

यहां हम आपको उपरोक्‍त बातें इसलिए बता रहे हैं कि क्‍यों कि मरीजों के लिए संविधान ने कई अधिकार सुरक्षित किए हैं, जिनके बारे में प्रत्‍येक नागरिक को पता होना चाहिए। यहां ऐसे ही कुछ प्रमुख अधिकारों के बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं। 

 

चिकित्‍सकीय लापरवाही के प्रकार 

चिकित्‍सकीय उपेक्षाएं कई विभिन्‍न प्रकार के स्‍वरूपों में हो सकती हैं

  • उपेक्षापूर्ण निदान
  • ऑपरेशन में लापरवाही
  • रोगी की शिकायत सुनने में असफल होना
  • गलत दवा का लापरवाही द्वारा दिया जाना
  • रोगी को इस प्रकार रखना जिससे उसे संक्रामक रोग का खतरा हो
  • ऑपरेशन के खतरे से लापरवाही द्वारा सलाह देना अथवा रोगी को इस प्रकार से खतरे की चेतावनी देने में असफल हो जाना
  • ऑपरेशन होने के बाद की स्थिति में लापरवाही करना 
  • मरीज की ठीक तरह से निगरानी न करना या अस्‍पताल में कर्मचारियों के अभाव में निगरानी न होना आदि 

मरीजों के चिकित्‍सीय अधिकार 

1-  जब डॉक्‍टर दवा देते समय उससे होने वाले दुष्‍परिणामों पर ध्‍यान न दे तो इसे उपेक्षापूर्ण कार्य कहा जा सकता है, इसके लिए डॉक्‍टर को दोषी ठहराया जा सकता है।

2- अगर डॉक्‍टर गलती से गलत दवा देता है तब भी वह दोषी माना जाएगा। साधारण लापरवाही भी दीवानी गलती मानी जाती है। पर जब व्‍यक्ति जानबूझ कर भी लापरवाही करता हो तो उसे गंभीर उपेक्षापूर्ण कार्य माना जाता है। ऐसे में यह एक आपराधिक दायित्‍व माना जाता है।

3 यदि किसी डॉक्‍टर के पास कोई मरीज आता है, तब उसका कर्तव्‍य बन जाता है कि वह मरीज को प्राथमिक चिकित्‍सा प्रदान करे। यह उसका अधिकार है। इसके पश्‍चात ही वह मरीज को दूसरे अस्‍पताल में भेज सकता है।  

4 कोई भी डॉक्‍टर चाहे वह फीस लेता हो या न लेता हो मगर दवा देने के बाद मरीज के प्रति उसकी पूरी जिम्‍मेदारी बनती है। अगर फीस न लेने की स्थिति में डॉक्‍टर द्वारा कोई लापरवाही बरती जाती है तो इसके लिए चिकित्‍सक जिम्‍मेदार होगा।  

इसे भी पढ़ें: मनोवैज्ञानिक समस्या है एडजस्टमेंट डिसॉर्डर, जानें लक्षण और बचाव 

5 अगर ऑपरेशन के दौरान डॉक्‍टर से कोई भूल हो जाती है तो भी उसके लिए चिकित्‍सक जिम्‍मेदार माना जाएगा। जैसे यदि कोई डॉक्‍टर किसी विशेष अंग का ऑपरेशन कर रहा है और उससे किसी दूसरे अंग को नुकसान पहुंचता है तो इसके लिए डॉक्‍टर जिम्‍मेदार होगा। उसे दोषी माना जाएगा। 

आउटपुट- भारतीय सामाजिक संस्‍थान द्वारा प्रकाशित चिकित्‍सकीय उपेक्षा नामक किताब से लिया गया है। 

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Healthy Living In Hindi  

Read Next

रीढ़ की हड्डी खराब करता है पीछे की पॉकिट में रखा पर्स, जानें वैज्ञानिक कारण

Disclaimer