कैंडिडा डाइट क्या है? जानें किस इंफेक्शन से करता है आपका बचाव

कैंडिडा डाइट एक ऐसी डाइट है जिससे कैंडिडा के इंफेक्शन से बचा जा सकता है। लेकिन इस डाइट का पालन सख्ती से किया जाता है। आइए जानते हैं कि कैंडिडा डाइट कब और क्यों जरूरी है। साथ ही किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।  
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कैंडिडा डाइट क्या है? जानें किस इंफेक्शन से करता है आपका बचाव


कैंडिडा मानव शरीर में एक तरह की फंगस होती है। यह मुंह, पैरों के नाखून, त्वचा व पाचन तन्त्र आदि जगह पर पाई जाती है। इस फंगस से वैसे तो कोई समस्या नहीं होती है पर जब यह बहुत अधिक हो जाती है तो इस से इंफेक्शन होने का खतरा हो सकता है। कैंडिडा डाइट शुरू करने से पहले डिटॉक्सिफिकेशन की आवश्यकता होती है। इसके लिए कुछ दिनों तक डिटॉक्स ड्रिंक्स, स्टीम्ड सब्जियां और जड़ी-बूटियां और मसालों व  कच्ची सलाद का सेवन किया जाता है।

कैंडिडा डाइट में मुख्यत: जंक फ़ूड ,अतिरिक्त चीनी वाले खाद्यों से बचना और कम स्टार्च वाली सब्जियां जैसे कि ब्रोकोली, गोभी, पालक, तोरी, प्याज, टमाटर को अपनी डाइट का हिस्सा बनाना, शामिल है। यही नहीं इस डाइट में विशेष तौर पर दही, जैतून का तेल, नारियल का तेल, नींबू, एवोकैडो, स्वस्थ प्रोटीन खाने की सलाह दी जाती है। शरीर में किसी भी हिस्से में फंगस होने पर कैफीन वाले खाद्य का भी कम सेवन करना चाहिए। आइए जानते हैं आखिर क्या है क्या कैंडिडा और इसके लक्षण।

candida diet

क्या है कैंडिडा? 

यह हमारे शरीर की आंतों में पाया जाने वाला फंगस है। जो उचित पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायक है। जब यह शरीर में बढ़ने लगता है तब गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों का कारण बन जाता है।हमारे शरीर में वैसे तो फंगस की 150 से अधिक प्रजातियां होती हैं। परंतु इंफेक्शन केवल 15 तरह की कैंडिडा प्रजातियों से होता है।

लक्षण

  • इंफेक्शन के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। जो कि त्वचा में किस हिस्से पर हैं इस बात पर निर्भर करते हैं। जैसे कि यदि इंफेक्शन त्वचा पर है तो तेज खुजली , त्वचा पर छोटे या बड़े लाल चकत्ते होना, जननांगों, नितम्बों, स्तनों के नीचे व त्वचा के अन्य भागों में चकत्ते होना या रोम छिद्रों में इंफेक्शन या मुंहासे होना।
  • यदि ओरल कैंडिडा इंफेक्शन है तो जीभ, तालु या मुंह के अन्य हिस्सों में लाल और सफेद रंग के धब्बे या थ्रश या फिर पूरी जीभ का लाल हो जाना इसके लक्षण हैं। जिसकी वजह से कुछ खाते समय, खाने में कठिनाई होना। खाने पीने के दौरान परेशानी से शरीर में पानी की कमी से डिहाइड्रेशन का खतरा भी हो सकता है। 

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  • एक और महिलाओं में होने वाला कैंडिडा इंफेक्शन है, योनी का कैंडिडा इंफेक्शन। योनि में तेज खुजली, योनि के बाहरी हिस्से में सूजन और लाली, सफेद रंग के चकते, पेशाब में दर्द और जलन या यौन संबंधों के दौरान बेहद तकलीफ होना। इन सब समस्याओं की वजह से जी मिचलाना, डाइरिया, उल्टियां व कब्ज, डिप्रेशन, जोड़ों में दर्द हो सकता है।

कैंडिडा के कारक क्या हैं 

  • शोध बताते हैं जब बाहरी या अंदरूनी तापमान या स्थिति कैंडिडा के अनुकूल हो जाते हैं तब यह शरीर में बढ़ने लगता है और रोग का कारण बनता है। साथ ही यदि ज्यादा गर्म व नम तापमान है या अंगों की ठीक से सफाई नहीं की गई या फिर ज्यादा कसे कपड़े पहनने से कैंडिडा फंगस की परेशानी बढ़ जाती है। 
  • यह इंफेक्शन त्वचा या शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। साथ ही ज्यादा कार्ब या मीठी चीजों का सेवन ज्यादा शराब, अधिक स्ट्रैस, बर्थ कंट्रोल पिल्स या एंटी बायोटिक दवाइयां, कमजोर इम्यून सिस्टम, पहले से ही डायबिटीज हो तब भी इंफेक्शन की अत्याधिक संभावना रहती है। इसके लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव जरूरी है।

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कैंडिडा डाइट कैसे काम करती है? 

  • कैंडिडा डाइट फंगस से होने वाले इंफेक्शन से बचने के लिए ली जाती है। यह अब तक इलाज का सबसे बेहतरीन इलाज माना गया है। इस डाइट में आपको चीनी या मीठी से बनी कोई भी चीज नहीं खानी होती है। इसके अलावा आपको शराब, ग्लूटेन व डेयरी उत्पादों को भी खाने से बचना है। आप इनकी जगह हरी सब्जियां या फल खा सकते हैं। 
  • परंतु यह डाइट अभी तक विज्ञान द्वारा प्रमाणित नहीं है। क्योंकि इस डाइट में आपको ग्लूटेन नहीं खाना होता है, ग्लूटेन से आपकी आंतो को खतरा हो सकता है। परंतु आज तक ऐसा कोई प्रमाण सामने नहीं आया है जिस में यह तथ्य हो कि ग्लूटेन से आपकी आंतो को खतरा होता है। 
  • ज्यादा मीठा व कार्ब का सेवन करने से आपको फंगस से सम्बन्धित बीमारी हो सकती है। लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि मीठे व कार्ब से आप के शरीर में इंफेक्शन फैलता है।
  • इस डाइट में आपको डेयरी उत्पाद नहीं खाने होते हैं क्योंकि इनसे आपका इंफेक्शन बढ़ सकता है परन्तु यह बात भी विज्ञान द्वारा प्रमाणित नहीं है। लेकिन कैंडिडा डाइट अब तक सफल डाइट है। 

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