आपने अक्सर देखा होगा कि बुजुर्ग लोग नींद कम आने की समस्या से परेशान रहते हैं। इतना ही नहीं भारत और विदेशों में भी एक तिहाई से एक चौथाई बुजुर्ग नींद न आने जैसी समस्या की शिकायत करते हैं। कई बार बीमारियों की वजह से भी नींद कम आती है लेकिन सेहतमंद होने के बावजूद भी कुछ बुजुर्ग ठीक से नहीं सो पाते हैं। इस बात पर ध्यान देना बहुत जरूरी है कि जो बुजुर्ग लंबे वक्त तक ठीक से नहीं सो पाते हैं उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। सही नींद ना ले पाने के कारण उनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है और वे अच्छा महसूस नहीं करते। उम्र बढ़ने पर क्यों नींद आना कम हो जाता है और बुढ़ापे में शरीर के लिए कितनी जरूरी है नींद इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं।
7 से 9 घंटे की नींद जरूरी
उम्र बढ़ने या यूं कहें कि उम्रदराज व्यक्तियों को रात में कम से कम 7 से लेकर 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। जी हां, जितनी नींद की जरूरत युवाओं को होती है उतनी ही नींद उम्रदराज लोगों को भी लेनी चाहिए। कम नींद के कारण आपका शरीर प्राकृतिक रिदम खो देता है और आप दिन भर थके-थके से रहते हैं।
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60 के बाद इनसोमनिया आम
अनिद्रा (Insomnia) 60 और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए एक सामान्य नींद संबंधी समस्या है। इसमें आपको अक्सर सोने में परेशानी हो सकती है या आप बहुत जल्दी उठ जाते हैं। हो सकता है कि आप वापस सो भी न पाएं और आपको अगली सुबह थकान महसूस हो। कई अलग-अलग चीजें अनिद्रा का कारण बन सकती हैं। यदि आप अच्छी नींद नहीं ले रहे हैं तो आपको डॉक्टर के साथ बातचीत करने की जरूरत है।
बॉडी क्लॉक को समझने की जरूरत
शरीर के आंतरिक चक्र में बदलाव का मतलब हो सकता है कि आप सूर्य उदय से पहले उठ जाएं। उम्रदराज लोग अक्सर रात में जल्दी सो जाते हैं और सुबह भी जल्दी उठ जाते हैं। इसको एडवांस स्लीप फेज सिंड्रोम कहते हैं। यह कोई समस्या नहीं है। हां कभी-कभार दोस्तों या परिवार के साथ वक्त बितने में पता नहीं चलता और ये चक्र मिस हो जाता है। अगर आपको अपनी बॉडी क्लॉक को रिसेट करने की जरूरत है तो दोपहर बाद घर से बाहर सूरज की रोशनी में निकल जाइए और सूर्यस्त के बाद घर लौटिए।
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उम्र बढ़ने पर नींद आना हो जाती है कम
उम्र बढ़ने पर आपका शरीर मेलाटोनिन का निर्माण करना कम कर देता है। ये आपके मस्तिष्क में एक ग्लैंड द्वारा बनाया जाता है और ये आपके नींद चक्र को कंट्रोल करता है। यह रात में आपके रक्त में प्रवाहित होता है और आपको नींद लाने में मदद करता है। इसका स्तर रात में बहुत ज्यादा होता है और अगली सुबह अचानक गिर जाता है।
20 मिनट से ज्यादा झपकी न लें
आप पाते होंगे कि उम्र बढ़ने पर झपकी लेना आपके लिए अक्सर मुश्किल हो जाता है। झपकी लेना आपको ऊर्जा देता है लेकिन इनकी अवधि छोटी रखिए। ये सिर्फ आपको बेहतर महसूस कराने के लिए होती हैं। ज्यादा देर तक झपकी लेने से आप मदहोशी जैसा महसूस करते हैं। दोपहर बाद या शाम को झपकी न लें क्योंकि यह आपकी रात में नींद मुश्किल कर सकती है। अगर आपको सोना ही है तो दोपहर में 20 मिनट से ज्यादा की झपकी न लें।
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